डूबते सूरज को भी नमन करने की प्रथा से लें सीख

चार दिनों तक चलने वाले लोक आस्था के महान पर्व छठ का आज तीसरा दिन है और ख़ास है. रविवार को नहाई-खाय और कल खरना के बाद आज शाम में डूबते सूर्य को अर्ध्य प्रदान किया जाएगा. फिर कल सुबह उगते सूर्य को अर्ध्य के साथ छठ का समापन होगा.
    बता दें कि छठ का पर्व बिहार में सबसे लोकप्रिय है और ये भी माना जाता है कि बिहार, यूपी या अन्य जगह जहाँ छठ पर्व मनाते हैं, ये दुनियां में अनोखी जगह हैं जहाँ लोग डूबते सूरज को भी नमन करते हैं. जबकि बाकी जगह लोग उगते सूरज को ही नमन करना पसंद करते हैं. यदि इसे दूसरे रूप में देखा जाय तो छठ पर्व के आज का दिन हमें बहुत बड़ी बात सिखा जाती है. ये दर्शाता है कि हम किसी का अहसान नहीं भूलते हैं, और जिस सूर्य ने दिन भर हमें रौशनी और जीवन चलाने की उर्जा दी, उसके अस्त होने के समय भी हम उसे पूजते हैं ताकि कल फिर सुबह वे आयें और सृष्टि को जिन्दा रखें. वैज्ञानिक दृष्टिकोण से भी या साफ़ है कि ‘Sun is the ultimate source of ENERGY’, यानि सूर्य उर्जा का सबसे बड़ा और अंतिम स्रोत है. छठ एक तरह से प्रकृति की भी पूजा है.
     और फिर डूबते तथा उगते सूर्य को नमन करना हमें सिखाता है कि हम हर परिस्थिति में धैर्यवान और संवेदनशील बनें और दूसरों की कद्र करें. अंग्रेजी में भी एक मुहावरा है ‘Light at the end of the tunnel’, मतलब कि सुरंग के दूसरी तरफ प्रकाश है और निराशा के बाद आशा है.
डूबते सूरज को भी नमन करने की प्रथा से लें सीख डूबते सूरज को भी नमन करने की प्रथा से लें सीख Reviewed by मधेपुरा टाइम्स on November 17, 2015 Rating: 5

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