राष्ट्रीय स्तर की प्रतियोगिताओं में गोल्ड सहित दर्जन मेडल जीतकर लगभग 15 वर्षों तक लगातार स्टेट चैंपियन रही और पूरे देश में मधेपुरा और बिहार का नाम रौशन करने वाली गीतांजलि की दूसरी पुण्यतिथि पर मधेपुरा में रोड रेस का आयोजन किया गया और खेल कोटे से पुलिस विभाग में लगभग 18 वर्षों तक सेवा करने वाली गीतांजलि की बात चली तो मधेपुरा के कई अधिकारी और शिक्षाविद भाव विह्वल हो गए. दो वर्ष पूर्व -प्रसव के दौरान पटना में गहरी नींद सो जाने वाली गीतांजलि के बारे में जहाँ जिला परिषद् अध्यक्षा मंजू देवी, एसडीओ संजय कुमार निराला, सीओ उदय कृष्ण यादव, प्राचार्य डॉ० अशोक कुमार समेत दर्जनों लोगों ने कई ख़ास बातें कहीं वहीँ मधेपुरा के जिलाधिकारी लक्ष्मी प्रसाद चौहान ने तो यहाँ तक कहा कि गीतांजलि जैसी खिलाड़ी बिरले ही पैदा होती है. रोड रेस में 150 से अधिक छात्र-छात्रा प्रतिभागियों ने हिस्सा लिया.गीतांजलि, एक परिचयः खगड़िया जिले के अलौली प्रखंड अंतर्गत रौन पंचायत में जन्मी गीतांजलि का झुकाव बचपन से ही खेलों में कुछ अधिक था. 10 वर्ष की ही उम्र से ही गीतांजलि ने धावन में प्रैक्टिश शुरू किया और महज एक ही वर्ष के कठोर मिहनत के बल पर वर्ष 1991 में मुजफ्फरपुर में आयोजित राज्य स्तरीय प्रतियोगिता जूनियर वर्ग में प्रथम स्थान प्राप्त कर लिया. उसके बाद इन्होंने कभी पीछे मुड़कर नहीं देखा और 2006 तक लगातार राज्य स्तरीय प्रतियोगिता में व्यक्तिगत चैंपियन होती गईं. गीतांजति 1992 में मधेपुरा आ गईं और मधेपुरा को ही अपना कर्मक्षेत्र बनाते हुए महिला खिलाड़ियों को आगे लाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाने लगी. इसके बाद मधेपुरा में भी गीतांजलि के नेतृत्व व
प्रशिक्षण में दर्जनों महिला एथलीट राज्य स्तरीय विभिन्न प्रतियोगिताओं में अव्वल आने लगी.
सर्वप्रथम वर्ष 1996 में गीतांजलि ने खेल प्रतिभा के आधार पर टिस्को कंपनी में योगदान किया और फिर छह महीने के बाद रांची स्थित सीएमपीडीआई कंपनी में योगदान किया. फिर बिहार सरकार के पुलिस विभाग ने अखिल भारतीय स्तर पर कई गोल्ड मेडल के आधार पर इनकी नियुक्ति वर्ष 1998 में पुलिस विभाग में हुई और तब से गीतांजलि सचिवालय स्थित सीआईडी में बतौर पदाधिकारी कार्यरत रहीं. छह अगस्त 2013 को प्रसव के दौरान इनकी मृत्यु पटना के कुर्जी अस्पताल में हो गई. ये अपने पीछे एक 12 वर्षीय दामिनी को छोड़ गयीं.
गीतांजलि के पति समीर कुमार पटना स्थित एक उच्चतर माध्यमिक विद्यालय के शिक्षक हैं. बीच सफ़र में साथ छूट जाने से आहत समीर मधेपुरा टाइम्स को बताते हैं कि वे गीतांजलि फाउंडेशन को और ज्यादा सशक्त करने लिए प्रयासरत हैं ताकि सूबे के महिला एथलीटों के प्रयास को और मजबूत पंख लग सके. (नि.सं.)
"गीतांजलि जैसे खिलाड़ी बिरले ही पैदा लेते हैं": राष्ट्रीय एथलीट की पुण्यतिथि पर रोड रेस
Reviewed by मधेपुरा टाइम्स
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August 08, 2015
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