
गीतांजलि, एक परिचयः खगड़िया जिले के अलौली प्रखंड अंतर्गत रौन पंचायत में जन्मी गीतांजलि का झुकाव बचपन से ही खेलों में कुछ अधिक था. 10 वर्ष की ही उम्र से ही गीतांजलि ने धावन में प्रैक्टिश शुरू किया और महज एक ही वर्ष के कठोर मिहनत के बल पर वर्ष 1991 में मुजफ्फरपुर में आयोजित राज्य स्तरीय प्रतियोगिता जूनियर वर्ग में प्रथम स्थान प्राप्त कर लिया. उसके बाद इन्होंने कभी पीछे मुड़कर नहीं देखा और 2006 तक लगातार राज्य स्तरीय प्रतियोगिता में व्यक्तिगत चैंपियन होती गईं. गीतांजति 1992 में मधेपुरा आ गईं और मधेपुरा को ही अपना कर्मक्षेत्र बनाते हुए महिला खिलाड़ियों को आगे लाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाने लगी. इसके बाद मधेपुरा में भी गीतांजलि के नेतृत्व व

सर्वप्रथम वर्ष 1996 में गीतांजलि ने खेल प्रतिभा के आधार पर टिस्को कंपनी में योगदान किया और फिर छह महीने के बाद रांची स्थित सीएमपीडीआई कंपनी में योगदान किया. फिर बिहार सरकार के पुलिस विभाग ने अखिल भारतीय स्तर पर कई गोल्ड मेडल के आधार पर इनकी नियुक्ति वर्ष 1998 में पुलिस विभाग में हुई और तब से गीतांजलि सचिवालय स्थित सीआईडी में बतौर पदाधिकारी कार्यरत रहीं. छह अगस्त 2013 को प्रसव के दौरान इनकी मृत्यु पटना के कुर्जी अस्पताल में हो गई. ये अपने पीछे एक 12 वर्षीय दामिनी को छोड़ गयीं.
गीतांजलि के पति समीर कुमार पटना स्थित एक उच्चतर माध्यमिक विद्यालय के शिक्षक हैं. बीच सफ़र में साथ छूट जाने से आहत समीर मधेपुरा टाइम्स को बताते हैं कि वे गीतांजलि फाउंडेशन को और ज्यादा सशक्त करने लिए प्रयासरत हैं ताकि सूबे के महिला एथलीटों के प्रयास को और मजबूत पंख लग सके. (नि.सं.)
"गीतांजलि जैसे खिलाड़ी बिरले ही पैदा लेते हैं": राष्ट्रीय एथलीट की पुण्यतिथि पर रोड रेस
Reviewed by मधेपुरा टाइम्स
on
August 08, 2015
Rating:

No comments: