सूर्य अस्त बिहार मस्त: हर चौराहे की शोभा बनी है शराब: एक खास रिपोर्ट

"मदिरालय जाने को घर से
चलता है पीनेवाला,
'
किस पथ से जाऊँ?'  

असमंजस में है वह भोलाभाला,
अलग-अलग पथ बतलाते सब 

पर मैं यह बतलाता हूँ -
'
राह पकड़ तू एक चला चल

 पा जाएगा मधुशाला।"
प्रसिद्ध कवि हरिवंश राय बच्चन की यह कविता और कहीं लागू हो या न हो, पर बिहार में आप किसी रास्ते से चलें, मधुशाला आपको शर्तिया मिल जायेगी. पीने के मामले में वैसे तो पूरे बिहार में कमोबेश यही स्थिति है, पर बिहार का पूर्णिया जिला शराब के लिए सूर्यास्त का भी इंतज़ार नहीं करता, यहाँ दिन में भी शराब के नशे में लड़खड़ाते लोग मिल जाते हैं.
     पूर्णिया शराबियों का शहर बनता जा रहा है. ये मै नहीं कहता, उत्पाद विभाग के आंकड़े बताते हैं. बिहार सरकार के आर्थिक सर्वेक्षण के मुताबिक बीते दस साल में शराब की बिक्री से होने वाले राजस्व में दस गुना से भी अधिक की बढ़ोतरी हुई है. वित्तीय वर्ष 2014-15 में तो सरकार को इससे तीन हजार करोड़ रुपए से भी अधिक का राजस्व मिला. यह राशि इसी वित्तीय वर्ष में राज्य द्वारा अपने स्रोतों से जुटाए गए राजस्व का करीब 13 प्रतिशत थी. इसके तहत बड़ी संख्या में पंचायतों से लेकर शहरों तक में देशी-विदेशी शराब की दुकानें खोलने के लाइसेंस दिए गए. यही नहीं, इनके लिए बिक्री का लक्ष्य भी तय किया गया ,
     हालाँकि शराब की खपत बढ़ने की सबसे ज़्यादा कीमत महिलाओं को चुकानी पड़ी. जबकि माना जाता है कि 2010 के विधानसभा चुनाव की कामयाबी के पीछे नीतीश कुमार को महिलाओं का मिला जबरदस्त समर्थन भी था.
      शराब आज हर चौक चौराहे की शोभा बन गई है, और सड़क किनारे खाली जगह बने मैख़ाने से महिलाओं का शाम में चलना मुश्किल हो गया है. बिहार में शराब से कई लोगों की घर तबाह हुए हैं. कई लोगों की जाने गयी है, कई घरों के चूल्हे भी कई दिनों तक बंद रही है, पर सरकार को इससे क्या गांव घर की महिलाएं शराब से परेशान होकर शराबबंदी को लेकर कई बार अपनी आवाज़ को सरकार तक पहुँचाने की कोशिश की,  मगर नीतीश कुमार के सामने महिलाओं की गुहार नक्कारखाने में तूती की आवाज बनकर रह गई. जब नीतीश बाबू से शराब के मामले पर जवाब पूछा गया तो उन्होंने जवाब दिया, "जो शराब पीना चाहते हैं वो टैक्स देकर पीयें. टैक्स का पैसा आएगा तो हम कई जनहित योजनाएं शुरू कर पाएंगे." यह वाक्य 2012 में एक कार्यक्रम के दौरान कहा गया था.
          बिहार में फिर विधानसभा का चुनाव होने जा रहा है और नीतीश बाबू जीत के लिए हथकंडे अपना रहे हैं. इसी कड़ी में गुरुवार को पटना के श्रीकृष्ण मेमोरियल हॉल में मुख्यमंत्री नीतीश कुमार एक कार्यशाला में शराबबंदी को लेकर जागरूक हो गए और चुनाव जीतने के बाद सत्ता में आने पर पूर्ण रूपेण शराब बंद करने की बात कही. ये वही नीतीश कुमार हैं जो कुछ साल पहले इस मामले पर अलग राय रखते थे. अब देखना यह होगा कि यह ऐलान एक चुनावी वादा भर है या बिहार में महिलाओं की बातों और परेशानियों का असर हुआ है और अमल भी होगा.
सूर्य अस्त बिहार मस्त: हर चौराहे की शोभा बनी है शराब: एक खास रिपोर्ट सूर्य अस्त  बिहार  मस्त: हर चौराहे की शोभा बनी है शराब: एक खास रिपोर्ट Reviewed by मधेपुरा टाइम्स on July 12, 2015 Rating: 5

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