

सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार
इन तीनों अल्पसंख्यक समुदाय की गूंगी बच्चियों के परिजन अपनी गरीबी और सामाजिक प्रतिष्ठा
के कारण और वार्डेन श्वेता भारती की धमकी की वजह से थाने में दिए आवेदन में छेड़छाड़
से संबंधित विस्तृत जानकारी इसलिए नहीं दी. बताया जाता है कि भविष्य में इन बेटियों
की शादी करने में समाज में परेशानियों का सामना न करना पड़े, शायद इसी वजह से
परिजनों ने अपने को रोक लिया. वहीं मधेपुरा टाइम्स पर दिखाए गए इन मूकबधिर लड़कियों
के द्वारा चौसा थानाध्यक्ष के सामने इशारे से बताई आपबीती के वीडियो से यह कहीं ना
कहीं प्रतीत होता है कि इन मासूमों बच्चियों के साथ ‘कुछ और’ तरह की घटना को भी अंजाम देने का
भरसक प्रयास किया गया हो. गूंगी लड़कियों ने जिस तरह अपने जिस्मों के जख्म को दिखाया
है, वह कस्तूरबा विद्यालय में हो रही अनहोनी की आशंका को दर्शाता है.
शक की एक बात और है कि पुरैनी बीआरसी
में पदस्थापित वरीय बीआरपी सह उत्क्रमित मध्य विद्यालय तेलियारी के प्रभारी प्रधानाध्यापक
के रूप में स्थापित हैं. कहा जाता है कि नियम को ताक पर रखकर विभाग की मिली भगत से
बीआरसी स्थित मध्य विद्यालय के प्रधानाध्यापक
नीरज कुमार के जगह बीआरसी से 6 किलोमीटर
दूर तेलियारी के प्रभारी एचएम मणि राम को कस्तूरबा का वर्तमान संचालक बना दिया गया
है. सूत्रों के मुताबिक़ कई बार वार्डेन रात में अपने निजी गाड़ी से प्रखंड मुख्यालय
के ही दुहबी सुहबी स्थित अपने ससुराल चली जाती हैं और सुबह वापस विद्यालय में हाजिर
हो जाती है.

मामले को दबाने का किया जा रहा है
प्रयास: कहते हैं कि जैसे ही वार्डेन को लड़कियों के चौसा में होने का पता चला घटना
की रात ही कस्तूरबा वार्डेन श्वेता भारती एवं संचालक मणि राम अपने सह कर्मियों के साथ
चौसा स्थित मो. साह के घर पहुंचकर पहले उसे धमकी दी. बाद में जब मामला तूल पकड़ने लगा
तो चौसा के ही एक मुस्लिम समुदाय के शिक्षक एवं स्थानीय छूटभैईये नेताओं के सहयोग से
मो. साह एवं बच्चियों के परिजनों को ले-देकर मामले को दबाने का भरसक प्रयास किया गया
और मेल-जोल का यह प्रयास कुछ हद तक सफल भी हुआ और उसके बाद आवदेन में बहुत कुछ
नहीं लिखा गया. चौसा थाना में दिए गए आवेदन के आलोक में पुरैनी थाना में थानाध्यक्ष
सुनील कुमार द्वारा कांड संख्या 111/14 के तहत धारा 341, 323, 504, 506 भादवि में वार्डेन तथा अन्य
के खिलाफ एफआईआर दर्ज कर लिया गया है. पर कहा जाता है कि वार्डेन की पहुंच काफी
ऊपर तक है और इनकी सासू जी बिहार सरकार के
एक वरीय पदाधिकारी हैं. वार्डेन के पति पर भी फर्जी शिक्षक के रूप बहाल होने पर पुरैनी
थाना में मामला दर्ज है.
पुरैनी मामले को दबाने के प्रयास: क्या कस्तूरबा विद्यालय में सुरक्षित हैं बेटियां ?
Reviewed by मधेपुरा टाइम्स
on
December 20, 2014
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