नहाय-खाय के साथ आस्था का महापर्व छठ हुआ शुरू: जानें क्यों मनाते हैं छठ ?

कल नहाय-खाय के साथ ही चार दिनों तक चलने वाला आस्था का महापर्व छठ शुरू हो गया. बाजार में जहाँ छठ पर्व में उपयोग में लाये जाने फलों व पूजा सामग्रियों की भरमार है वहीँ कल व्रतियों ने पर्व के लिए सुरक्षित जगहों पर गेहूं भी सुखाया. आज खरना है और कल श्रद्धालु डूबते सूर्य को अर्ध्य प्रदान करेंगे और परसों उगते सूर्य को अर्ध्य प्रदान करने के साथ ही इस महापर्व का समापन हो जाएगा.

जानें छठ के बारे में विस्तार से: हिंदी महीने के कार्तिक माह में चार दिनों तक  चलनेवाला महापर्व बिहार और उतर प्रदेश के क्षेत्रो में श्रद्धा और नियम से मनाया जाता है.       अब तो यह पर्व दिल्ली और मुम्बई जैसे महानगरो में भी मनाया जाने लगा है जहां यूपी और बिहार के लोग रहते है. वैसे पटना, मिथिलांचल और सीमांचल के क्षेत्रों का छठ के दौरान अलग ही माहौल होता है. इस पर्व में किसी प्रकार की त्रुटि न हो इस बात का भी ध्यान रखा जाता है. पहले दिन व्रती निर्जला उपवास करके एक समय  शुद्धता के साथ कद्दू भात का सेवन करती है. दूसरे दिन भी निर्जला ही रहती है और संध्या समय खीर और बिना तावे की रोटी बनाकर व्रती आहार लेती है. महिलाये छठी मइया की गीत गाती  है, और तीसरे दिन सांध्य समय जलाशय या गंगा में खड़े रहकर व्रती सूर्यदेव की आराधना करते हुए डूबते सूर्य को अर्ध्य देती है, इनके साथ आये हुए परिवार के लोग इनका सहयोग करते हैं. महिलाये गीत गाती है, चौथे दिन अहले सुबह गंगा/नदी तट पर पहुँच कर सूर्योदय होने का इंतजार करती है और उगते सूर्य को अर्ध्य देती है तब जाकर अनुष्ठान पूरा होता है.
           इस व्रत के पीछे जुडी हुयी कई कहानियाँ है. पहला तो यह कि जब श्री रामचन्द्र जी श्रीलंका पर विजय प्राप्त कर वापस अयोध्या लौटेतो दीपावली मनायी गयी. और राज्याभिषेक  की बात तेजस्वी पुत्र की प्राप्ति के लिए षष्टी के दिन सीता और राम ने सूर्य देव की उपासना किया था.  उस दिन से छठ पर्व मनाया जाता है. दूसरी कहानी है कि सूर्य षष्टी के दिन ही गायत्री माता का जन्म हुआ था और विश्वामित्र के मुख से गायत्री मंत्र फूटा था. इसलिए इस दिन पुत्र कि प्राप्ति हेतु सूर्य की उपासना का विधान है. तीसरा यह कि जंगल में भटक रहे पांडवो के दुर्दशा से व्यथित हो कर द्रौपदी ने कार्तिक माह के षष्ठी के दिन सूर्य की उपासना कर सूर्य देव को जल अर्पित किया था. इन ही सब कारणों से इस पर्व की महत्ता बढ़ी है. 

सूर्य और छठ मईया दोनों की पूजा: एक मान्यता के अनुसार आस्था के इस महापर्व में सूर्य देवता की बहन माता छठ को विदाई दी जाती है. श्रद्धालु यह भी मानते हैं कि छठ मईया दो दिन पहले मायके आई थीं, जिन्हें पूजन-अर्चन के बाद मोरे अंगना फिर अहिया ये छठी मईया की भावना के साथ ससुराल भेज दिया जाता है. इसके बाद छठ मईया चैत माह में फिर मायके लौटती हैं. छठ मईया को ससुराल भेजने के बाद सभी लोग एक दूसरे को बधाई देते हैं और प्रसाद लेने के व्रती लोग व्रत का पारण करते हैं.
(ब्यूरो रिपोर्ट)
नहाय-खाय के साथ आस्था का महापर्व छठ हुआ शुरू: जानें क्यों मनाते हैं छठ ? नहाय-खाय के साथ आस्था का महापर्व छठ हुआ शुरू: जानें क्यों मनाते हैं छठ ? Reviewed by मधेपुरा टाइम्स on October 28, 2014 Rating: 5

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