‘अब वोट नहीं, लौटा दो मेरा एक नोट’- भाजपा कार्यकर्ता पहुंचे जिलाध्यक्ष के पास

|राजीव रंजन|16 मार्च 2014|
मधेपुरा लोकसभा क्षेत्र से भाजपा के प्रत्याशी विजय कुमार कुशवाहा का नाम घोषित करने के बाद उठे विरोध के स्वर धीमा होता नहीं दिख रहा.
      मधेपुरा के कई भाजपा कार्यकर्ता अब भी केन्द्रीय और राज्य भाजपा नेतृत्व से मधेपुरा के प्रत्याशी को बदलने की मांग कर रहे हैं. कल जहाँ एक बैठक में भाजपा नेता प्रो० बिन्देश्वरी प्रसाद यादव और पूर्व जिलाध्यक्ष अरविन्द कुमार अकेला ने वर्तमान प्रत्याशी के प्रति विरोध जाहिर किया वहीँ भाजपा नेता और दिल्ली विश्वविद्यालय के प्रो० सूरज यादव ने भी केन्द्रीय नेतृत्व को प्रत्याशी पर फिर से विचार करने का आग्रह किया है.
      प्रो० बिन्देश्वरी प्रसाद यादव ने कहा कि शरद यादव के सामने इस तरह के आया राम गया राम जैसे बौना नेता को नहीं खड़ा करना चाहिए था. वहीँ अरविन्द कुमार अकेला को जहाँ अब मधेपुरा में भाजपा का वोट बैंक बिगड़ने की आशंका दिख रही है और वे बताते हैं कि इनपर पूर्व में एक दलित को अपमानित करने का मामला भी दर्ज हुआ था. प्रो० सूरज यादव कहते हैं कि मधेपुरा बाहरी नेताओं से तंग आ चुका है. ऐसे में नए भाजपा प्रत्याशी का नाम सुनकर लोग अचंभित हैं.

      आज कई भाजपा कार्यकर्ता तो स्थानीय कार्यकर्ता की उपेक्षा कर नए प्रत्याशी के चयन के विरोध स्वरुप जिलाध्यक्ष अनिल कुमार यादव के घर तक पहुँच गए और एक वोट- एक नोट के तहत अपने द्वारा दिए गए नोट को लौटाने की मांग करने लगे.
      अब देखना है कि आगे राजनीति कौन सा करवट लेती है और क्या भाजपा अपने घोषित प्रत्याशी को बदलती है और यदि नहीं तो क्या आने वाले दिनों में सचमुच भाजपा कार्यकर्ता की उदासीनता का प्रभाव मधेपुरा लोक सभा क्षेत्र में दीखता है ? सवाल कई हैं जिनका जवाब मिलना अभी बाक़ी है.
‘अब वोट नहीं, लौटा दो मेरा एक नोट’- भाजपा कार्यकर्ता पहुंचे जिलाध्यक्ष के पास ‘अब वोट नहीं, लौटा दो मेरा एक नोट’- भाजपा कार्यकर्ता पहुंचे जिलाध्यक्ष के पास Reviewed by मधेपुरा टाइम्स on March 16, 2014 Rating: 5

9 comments:

  1. मधेपुरा (बिहार ) की जनता ने मधेपुरा मे भाजपा से टिकट देने पर भाई श्री नरेंद्र मोदी से किया कुछ सवाल , क्यॊ हुआ यहाँ क़ी जनता के साथ मजाक ?
    १ ) यहाँ पिछले कई वर्षो से बाहरी नेताओ द्वारा प्रतिनिधित्व किया जा रहा है , जिससे कि जनता परेशान व् असंतोषग्रस्त है एवं चाहती है कि भाजपा एक युवा इमानदार ,मजबूत एवं स्वछ छवि धरतीपुत्र का प्रतिनिधित्व यहाँ दे ताकि लोग उसे भरपूर मत से जीता सके । फिर भी यहाँ एक ऐसे बाहरी एवं राजनितिक रूप से अनुभवहीन उम्मीदवार थोपा जा रहा है जो मधेपुरा एवं सहरसा जनता को तो दूर वे यहाँ के चौक चौराहे को भी नहीं पहचानते उसे लोग क्यों वोट देंगे?
    2) मधेपुरा लोकसभा क्षेत्र जहाँ से देश की राजनीति की दिशा एवं दशा तय होती है है । यादवो के गढ़ मधेपुरा जिसे बी पी मंडल कि धरती कहा जाता है |जातीय आंकड़े के मुताबिक मधेपुरा लोकसभा क्षेत्र में 42 प्रतिशत मतदाता यादव है, इससे साफ है कि जिस ऒर यादव मतदाता करवट लेंगे वहीं फतह हासिल करेंगे । कोई भी पार्टी अगर देश मे सत्ता पाना चाहती है तो जातीय समीकरण से मधेपुरा से गोप को प्रत्य़ाशी बनाये वगैरह सम्भव नहीं है ।, फिर भी यहाँ से एक कमजोर गैर यादव को प्रत्य़ाशी बनाकर भाजपा द्वारा क्या यह सीट शरद यादव को मदद पहुंचाकर हारने हेतु रखा गया है ?
    3) लोकसभा चुनाव मे बिहार जिस बिहार कि धरती पर द्वारिका कि धरती से आकर नमो ने राज्य मे यादवो को सीधे आह्वानकर वोट देने को कहा है। श्री नरेंद्र मोदी द्वारा यादवो को इज्ज्तेअफ़जाही देने से यादवो का भरपूर रुझान भी लोकसभा चुनाव के लिए बीजेपी कि तरफ बढ़ा है वे श्री नरेंद्र मोदी को वोट देंगे और पीएम के रूप मे देखना पसंद करेंगे । नमो ने यहाँ आकर अपने रिश्ते की जजबात कृष्णे के वंशजो के साथ बताया उसी यादवो की राजधानी मधेपुरा मे यदुबंशीयो को प्रत्य़ाशी नहीं बनाकर यदुबंशीयो के बिश्वास को क्यों तोड़ा एवं आपमान किया ? क्या यह सन्देश पी ऍम फॉर नरेंद्र मोदी के लिए गतिरोधक नहीं बन सकता है?

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  2. मधेपुरा लोकसभा क्षेत्र से देश की राजनीति की दिशा तय किया जाता है है । पुराना कहावत है कि रोम पोप का मधेपुरा गोप का । सभी पार्टिया इस बात को समझती है कि मधेपुरा से यादव को प्रत्य़ाशी बनाये वगैरह जीत सम्भव नहीं है ।जातीय आंकड़े के मुताबिक मधेपुरा लोकसभा क्षेत्र में 42 प्रतिशत मतदाता यादव है , 14 प्रतिशत मुसलमान है। इसके अलावे शेष अन्य जाति है । पार्टी के जीत मे यादव मतदाता के वोट का महत्वपूर्ण रोल है, और हारजीत का निर्णय करते है । मधेपुरा का एक और इतिहास यह भी रहा है कि जो पार्टी गोप को दरकिनार करना चाही है ,उसके बड़े नेता को उसका खामियाजा भी भुगतना पड़ा है ,जैसे पूर्व प्रधान मंत्री स्वर्गीय इनिदरा गांधी, स्वर्गीय राजीव गांधी और पूर्व उप प्रधानमंत्री लाल कृष्णा आडवाणी भी यहाँ भरी सभा मे जनता के भारी आक्रोश का सामना करना पड़ा |ऐसी स्थ्तिी मे जिस प्रकार इस लोकसभा चुनाव मे राजद एवं जदयू ने पप्पू यादव एवं शरद यादव को प्रत्य़ाशी बनाया है, परन्तु ज़ाहिर है कि बिहार भाजपा जान बूझकर मधेपुरा से स्थानीय इमानदार , मजबूत एवं स्वछ छवि का मजबूत यादव को प्रत्य़ाशी नहीं बनाया ताकि पार्टी के देश मे चल रहे नमो कि हवा को मधेपुरा मे विराम लगे । बिहार भाजपा मधेपुरा मे जदयू के शरद यादव के खिलाफ ग़ैर यादव, कमजोर ,बाहरी उम्मीदवार एवं जिससे यहाँ की जनता कई सालो से परेशान एवं ग्रस्त है ऐसे उम्मीदवार को उतार कर शरद यादव को मदद पहुचाने का काम कर रही है, | बिहार भाजपा मोदी फॉर पी ऍम की जगह बिहार मे मोदी फॉर सी ऍम की फिक्र है ।

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  3. जबसे मधेपुरा लोक सभा क्षेत्र के लिए भा ज पा ने अपने प्रत्याशी कि घोषणा की है, तबसे प्रत्याशी का चौतरफा विरोध हो रहा है। पार्टी में एक दिन पहले शामिल हुए खगड़िया निवासी विजय सिंह, जिनका परिचय मात्र एक पूर्व मंत्री, (जो अब तक जद यू में है), का पति होना है , के विरुद्ध लोक सभा क्षेत्र में शामिल दोनों ज़िला - मधेपूरा और सहरसा इकाई के तमाम पदाधिकारी और कार्यकर्ता प्रत्याशी चयन पर पुनर्विचार की मांग को लेकर चरणबद्ध आंदोलन और विरोध कि घोषणा कर चुके हैं। आज से पार्टी कार्यकर्ता काला बिल्ला लगा कर घूम रहें हैं। मीडिया में भी यह कयास लगाया जा रहा है की भा ज पा कि यह हारा-किरी जदयू अध्यक्ष शरद यादव को जीतने का एक प्रयास है। यह अलग बात है कि इसका लाभ रा ज द प्रत्याशी पप्पू यादव को ही मिलेगा।
    पार्टी में बरी संख्या में शामिल यादव नेता खुद को ठगे महसूस कर रहें हैं। दरअसल भा ज पा ने पूरे कोसी क्षेत्र में एक भी यादव प्रत्याशी नहीं दिया है और अब यादवों कि राजधानी माने जाने वाले क्षेत्र मधेपुरा में भी गैर यादब को टिकट देकर सम्भवतः यादवों के वोट को अस्वीकार करने क़ी ओर इशारा कर रही है। इसके विपरीत नरेंद्र मोदी पहले पटना और अब पूर्णिया में यादवों को मदद का आह्वान कर चुके हैं। परन्तु यादव मतदाता इस अपमान का बदला लेने का भी प्रयास करेंगे।
    बहरहाल बिहार भा ज पा और चुनाव सम्बन्धी निति में सबकुछ ठीक नहीं है और इसका विपरीत प्रभाव नमो के मिशन 272 + पर ज़रूर पड़ेगा

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  4. जबसे मधेपुरा लोक सभा क्षेत्र के लिए भा ज पा ने अपने प्रत्याशी कि घोषणा की है, तबसे प्रत्याशी का चौतरफा विरोध हो रहा है। पार्टी में एक दिन पहले शामिल हुए खगड़िया निवासी विजय सिंह, जिनका परिचय मात्र एक पूर्व मंत्री, (जो अब तक जद यू में है), का पति होना है , के विरुद्ध लोक सभा क्षेत्र में शामिल दोनों ज़िला - मधेपूरा और सहरसा इकाई के तमाम पदाधिकारी और कार्यकर्ता प्रत्याशी चयन पर पुनर्विचार की मांग को लेकर चरणबद्ध आंदोलन और विरोध कि घोषणा कर चुके हैं। आज से पार्टी कार्यकर्ता काला बिल्ला लगा कर घूम रहें हैं। मीडिया में भी यह कयास लगाया जा रहा है की भा ज पा कि यह हारा-किरी जदयू अध्यक्ष शरद यादव को जीतने का एक प्रयास है। यह अलग बात है कि इसका लाभ रा ज द प्रत्याशी पप्पू यादव को ही मिलेगा।
    पार्टी में बरी संख्या में शामिल यादव नेता खुद को ठगे महसूस कर रहें हैं। दरअसल भा ज पा ने पूरे कोसी क्षेत्र में एक भी यादव प्रत्याशी नहीं दिया है और अब यादवों कि राजधानी माने जाने वाले क्षेत्र मधेपुरा में भी गैर यादब को टिकट देकर सम्भवतः यादवों के वोट को अस्वीकार करने क़ी ओर इशारा कर रही है। इसके विपरीत नरेंद्र मोदी पहले पटना और अब पूर्णिया में यादवों को मदद का आह्वान कर चुके हैं। परन्तु यादव मतदाता इस अपमान का बदला लेने का भी प्रयास करेंगे।
    बहरहाल बिहार भा ज पा और चुनाव सम्बन्धी निति में सबकुछ ठीक नहीं है और इसका विपरीत प्रभाव नमो के मिशन 272 + पर ज़रूर पड़ेगा

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  5. यह सच है कि बिहार में चुनाव में हरेक पार्टिया जातीय समीकरण को देख कर के ही प्रत्याशी चुनती है ताकि चुनाव जीत सके । इस राज्य मे जातीय समीकरण मे यादव करीब 25 प्रतिशत , मुसलमान करीब 18 प्रतिशत , अगरी जाती (बरह्मण , राजपूत आदि ) करीब 15 प्रतिशत , पचपनिआ ( कुर्मी , कोयरी ,धानुक आदि ) लगभग 15 प्रतिशत, वैश्य (बनिया ) लगभग 5 प्रतिशत , दलित एवं पासवान लगभग 12 प्रतिशत एवं ३ प्रतिशत एवं 7 प्रतिशत अन्य जाति है । यादवो के अधिकांश जनसंख्यां होने के कारन चुनाव मे उनका वोटो का महत्व् यादवो के अधिकांश जनसंख्यां होने के कारन चुनाव मे उनका वोटो का महत्व् रहता है । इस लोकसभा चुनाव मे बिहार राज्य मे श्री नरेंद्र मोदी ने यादवो को सीधे आह्वान कर वोट देने को कहा है। बिहार राज्य मे यदि जातीय समीकरण इस लोकसभा चुनाव मे देखते है तो बीजेपी के हिस्से मे कांग्रेस एवं जद यू से बटकर अगरी जाति का वोट लगभग 8 प्रतिशत , कुर्मी ,कोयरी लगभग 7 प्रतिशत , वैश्य लगभग 5 प्रतिशत , दलित एवं पासवान का वोट लगभग 5 प्रतिशत आते है तो टोटल वोटो का प्रतिशत 25 प्रतिशत लगभग होता है | इस हालत मे यदि यादवो का 12 प्रतिशत वोट बीजेपी को आ जाएगा तो वह वोटो का संपूर्ण योग लगभग 37 प्रतिशत होगा , इससे बीजेपी का आसानी से सभी सीटे में जीत हो सकता है ।
    परन्तु दुर्भाग्य से यादवों के गढ़ मधेपुरा मे भाजपा ने एक गैर यादव, राजनीती रूप से अनुभवहीन, बाहरी उम्मीदवार थोपा गया जैसे कि मधेपुरा कि जनता उनका बंधुआ मजदुर हो ,यादवो को अपमानकर क्या ये बिहार मे जीत का पंचम फहरा सकेंगे । यदि वो किसी को मधेपुरा से मदद पहुचाने हेतु सोचे है तो सभी जनता को पता है कि अबकी चुनाव आयोग ने एक चॉइस चुनाव मे बटन दबाने मे यह भी दिया है " इस मे से कोई भी नहीं "। इस बटन को दबाने से फिर मधेपुरा से ये नेता चुनाव नहीं लड़ सकेंगे ।

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  6. asal me pure koshi ilake mein BJP ke pas koi chehra hi nahi hai jo MP ke chunav mein khada ho sake. Pure kosi pramandal mein Saharsa seat ke alawa BJP kahin se nahi jeeti hai aur na uske jeetne ka itihas raha hai. Isilye BJP ne ticket ke mamle mein experiment kiya. Patliputra se BJP ne Ramkripal Yadav ko ticket diya jo kal tak RJD mein the.Kyunki woh strong candidate hain.BJP jeete ya na jeete lekin Sharad Yadav ki mushkil ko badha zaroor diya hai.

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  7. Madhepura has 16% Dalit voters and 12% muslim voters.

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  8. BJP is humiliating and ignoring the sentiment and importance of Yadvas of Bihar that is why he did not given ticket to any yadav candidate in huge populated YADAV community dominated (area) constituency Madhepura. How can yadavs accept this humiliation?

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  9. बिहार में यादवो कि जनसँख्या ३२ % है ।

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