‘मुश्किल में पत्रकारिता: गर्दिश के दिन से गुजर रहे हैं पत्रकार’

आरिफ आलम/24/09/2012
प्रखंड सभागार चौसा में नेशनल यूनियन ऑफ जर्नलिस्ट (एनयूजे)  बिहार की मधेपुरा शाखा द्वारा आयोजित परिचर्चा पत्रकारिता: आजकल की अध्यक्षता करते हुए वरिष्ट पत्रकार तथा एनयूजे के प्रदेश उपाध्यक्ष डा० देवाशीष बोस ने कहा कि आज मुश्किल में है पत्रकारिता और पत्रकार गर्दिश के दिन से गुजर रहे हैं. उन्होंने कहा कि पूंजीपति अखबार मालिक पत्रकारों पर विज्ञापन का दवाब डाल कर राजस्व उगाही करते हैं और दो करोड़ को चार करोड़ बनाने की जुगत में लगे रहते हैं.डा० बोस ने खतरों से खेलकर समाचार संकलन करने वाले पत्रकारों के लिए जर्नलिस्ट प्रोटेक्शन एक्ट की आवश्यकता जताई.उन्होंने यह भी कहा कि बिहार की पत्रकारिता फिलहाल आजाद नहीं है और ये कहीं न कहीं सरकारी बंदिशों से गुजर रही है.
      इस अवसर पर बेबाक पत्रकारिता के लिए मधेपुरा टाइम्स के प्रबंध संपादक राकेश सिंह को अंगवस्त्र प्रदान कर सम्मान कर सम्मानित किया गया, वहीं हिन्दी पत्रकारिता की दीर्घ सेवा के लिए डा० देवाशीष बोस को स्थानीय लोगों की ओर से सम्मानित किया गया.निर्भीक और जांबाज पुलिस पदाधिकारी तथा चौसा के थानाध्यक्ष प्रशांत कुमार मिश्रा तथा चिकित्सक हरिनंदन प्रसाद को भी सम्मानित किया गया.बाल लोक गायक सर्वजीत को भी पुरस्कृत किया गया.
    खचाखच भरे प्रखंड सभागार में आयोजित इस कार्यक्रम का उदघाटन मधेपुरा के पुलिस अधीक्षक सौरभ कुमार शाह के हाथों होना था,पर अचानक उनकी तबियत बिगड़ जाने के कारण कार्यक्रम का उदघाटन चौसा के बीडीओ संजय कुमार के द्वारा किया गया. इस कार्यक्रम की एक बड़ी विशेषता यह रही कि इसमें स्थानीय लोगों और जनप्रतिनिधियों को जम कर अपनी बात कहने का मौका मिला.समस्याग्रस्त चौसा प्रखंड के बीजेपी प्रखंड अध्यक्ष मनोज शर्मा ने कहा कि शासन के विरोध नहीं बोलने से अब काम चलने वाला नहीं है.लेखनी से देश की तस्वीर बदले पत्रकार.कॉंग्रेस के राजेश कुमार सिंह का मानना था कि समाज को बदलने में समाचार पत्रों की भूमिका अहम होती है.आवश्यकता है जिम्मेवारी के साथ कलम उठाने की जिससे समाज में बदलाव आ सके. वहीँ अधिवक्ता श्यामल किशोर यादव ने आज के प्रिंट मीडिया को जम कर कोसा. चौसा के मशीर आलम सिद्दीकी ने कहा कि पत्रकारिता में अनस्किल्ड लोगों से स्किल्ड काम लिया जा रहा है.आज जिले की खबर कोसी में ही रह जाती है,खबर को पूरे राज्य में प्रकाशित होनी चाहिए.विशु राउत महाविद्यालय के प्राचार्य प्रो० उत्तम कुमार ने समाचार पत्रों में लेखनी पर नियंत्रण रखने की बात कही.वहीं अवकाश प्राप्त प्राध्यापक कुलदीप पासवान ने पत्रकारों को कलम चलाने में कंजूसी न बरतने की सलाह दी.
   मंचासीन चौसा थानाध्यक्ष प्रशांत कुमार मिश्रा ने कहा कि पत्रकार को भेदभाव नहीं करना चाहिए.इससे समाज में विद्वेष फैलता है.समाचार समाज का चेहरा दिखाने वाले दर्पण की तरह है, दर्पण जितना साफ़ होगा, चेहरा उतना अच्छा दिखेगा. पीएचसी के चिकित्सा पदाधिकारी हरिनंदन प्रसाद का मानना था कि समाचार को प्रकाशित करने से पूर्व खबर की सत्यता की आवश्यक छानबीन होनी चाहिए.मधेपुरा टाइम्स के प्रबंध संपादक राकेश सिंह ने जिले और प्रखंड स्तर पर व्याप्त भ्रष्टाचार को रोकने के लिए पत्रकारों को कदम उठाने की सलाह दी वहीं प्रखंड विकास पदाधिकारी ने कहा कि वे भ्रष्टाचार के खिलाफ हैं और साफ़-सुथरे काम में विश्वास रखते हैं ताकि विभिन्न योजनाओं का लाभ अंतिम आदमी तक पहुंचे.कार्यक्रम को प्रो० विष्णुदेव सिंह शास्त्री, रउत सिद्दीकी, राजकिशोर पासवान, अनिल पोद्दार, शिवेंद्र मोदी, भूपेंद्र पासवान, भाजपा की मीरा देवी, सीपीआई के संतोष पासवान,विनोद पाटिल, उपप्रमुख विनोद सिंह आदि ने भी संबोधित किया वहीं मंच पर प्रखंड प्रमुख अझली देवी की उपस्थिति भी महत्वपूर्ण रही.
   कार्यक्रम के सफल आयोजन में स्थानीय पत्रकार दैनिक आज के सुबोध सौरभ, हिन्दुस्तान के विनोद आजाद, सुनील अमृतांशु,  दैनिक जागरण के संजय सुमन, मनीष गुप्ता अकेला, राष्ट्रीय सहारा के शेख याहिया सिद्दीकी, प्रभात खबर के मो० इमदाद, बिपिन बिहारी, मधेपुरा टाइम्स के आरिफ आलम आदि की भूमिका काफी सराहनीय रही.
‘मुश्किल में पत्रकारिता: गर्दिश के दिन से गुजर रहे हैं पत्रकार’ ‘मुश्किल में पत्रकारिता: गर्दिश के दिन से गुजर रहे हैं पत्रकार’ Reviewed by मधेपुरा टाइम्स on September 24, 2012 Rating: 5

2 comments:

  1. बहुत अच्छी पहल है लेकिन मै एक सवाल करना चाहता हूँ सभी पत्रकार बंधू से अभी के समय में पत्रकार कौन है क्या वे सही मायने में पत्रकारिता के मायने जानते है... कैमरा चलाना क्या पत्रकारिता है... क्या कभी हमने किसी मजबूर बेशहारों की आवाज बनने की कोशिशि नहीं पत्रकारिता तो सिर्फ उगाही का जरिया बन गया है... पत्रकार बनने के लिए कोइ डिग्री की जरुरत नहीं है आपका अप्रोच ही आपको पत्रकार बनता है... सवाल कई है लेकिन वो दिन दूर नहीं है जब पत्रकारिता जगत में एक बड़ी बदलाव आएगी... जिसका जीता जगता तस्वीर है मधेपुरा टाइम्स और सहरसा टाइम्स है....
    चन्दन सिंह
    9771298181
    www.saharsatimes.com

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  2. स्वार्थ और लोभ ,ये दो शव्द ऐसे हैं जिससे गिरफ़्त में सभी होते हैं |फ़र्क सिर्फ़ इतना है कि किसि को ज्यादा में तो किसि को कम में सन्तुष्टी मिलती है |पत्रकारिता और पत्रकार के गिरते स्तर की चर्चा करना एक फ़ैसन सा वन गया है |जहां भी ऐसी चर्चा होती है वहां वड़ी आसानी से ये कह दिया जाता है कि पत्रकारिता में अनपढ,स्वार्थी और लोभी किस्म के लोग जुटे हुए हैं जो अवैध उगाही किया करते हैं | इस तरह की टिप्पनी करने वाले ये नहीं वताया करते हैं कि किस पत्रकार नें किससे अवैध उगाही की या अवैध उगाही के वदौलत किस पत्रकार नें महल खड़ा कर लिया ? मेरा तो ये मानना है कि पत्रकारिता कल भी समाजसेवा था और आज भी समाजसेवा हीं है| देश और राज्य की राजधानी में पत्रकारिता करने वालों को छोरकर वाकि जगहों के पत्रकार अपनें मिडिया हाउस या वेवसाईट संचालक द्वारा फ़ेके गये टुकड़ों से अपनें परिवार का तो छोर हीं दिजिये अपना भी पेट नहीं पाल सकता है| भ्रष्टाचार अब कोढ का रुप ले चुका है लेकिन भ्रष्टाचारियों के फ़ेहरिस्त में पत्रकार का जगह सवसे निचे है | यदि पत्रकार वहुत वड़े भ्रष्टाचारी होते तो अन्ना हजारे पत्रकार के विरुद्ध हीं अनशन पर वैठते | वेहतर होगा कि पत्रकार को कोसनें के वजाय हम अपने अपने गिरेवां में झांक कर देखें कि हम कितनें गिरे हुए हैं |

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