श्रंद्धांजलि - वरीय अधिवक्ता स्व रमेश चन्द्र यादव (१३ मई १९३८-२ अप्रैल २००५), के छठे पुण्यतिथि पर.
स्व रमेश चन्द्र यादव स्व रासबिहारी लाल मंडल, ज़मींदार मुरहो स्टेट , मधेपुरा (बिहार) के प्रथम सुपुत्र स्व भुब्नेश्वरी प्रसाद मंडल, ऍम एल सी, १९३७ बिहार-ओड़िसा विधान परिषद्, एवं, अध्यक्ष, जिला परिषद् , भागलपुर(अपने मृत्यु १९४८ तक) के तृतीय सुपुत्र थे. उनके सबसे बड़े भाई स्व न्यायमूर्ति राजेश्वर प्रसाद मंडल, पटना उच्च न्यायलय के पिछड़े वर्ग से आने वाले प्रथम न्यायधीशों में थे. उनके दूसरे बड़े भाई स्व सुरेश चन्द्र यादव , पूर्व विधायक, तथा सहरसा जिला परिषद् के पूर्व अध्यक्ष थे.
स्व रमेश चन्द्र यादव मधेपुरा के वरिष्ठ व निर्भीक अधिवक्ता थे. वे मधेपुरा के सांस्कृतिक, सामाजिक व राजनैतिक जीवन के एक युग का प्रतिनिधित्व करते थे. वे मधेपुरा भूमि विकास बैंक के कई कार्यकाल तक अध्यक्ष रहे. मधेपुरा- सुपौल केन्द्रीय सहकारी बैंक के निदेशक रहे और किसानो के लिए हमेशा कम करते रहे. लगभग तीन दशकों तक मधेपुरा के सांस्कृतिक जीवन की अभिन्न पहचान त्रिदिवसीय सार्वजनिक दशहरा संगीत समरोह के करता-धर्ता स्व रमेश बाबु ही थे जो उनकी मृत्यु के बाद समाप्त ही हो गयी. मधेपुरा में खेल-कूद से जुड़े हरेक कार्यक्रम में उन्ही का योगदान होता था. मधेपुरा नगर पालिका में जब तक वे प्रमुख व विशिष्ठ वार्ड संख्या का प्रतिनिधित्व करते रहे, नगरपालिका का कार्य भी सही ढंग से चलता रहा. वे अपने चाचा स्व बी पी मंडल के लगभग सभी चुनाव के चुनाव प्रभारी रहे और मधेपुरा की स्थानीय राजनीती में सम्मानीय मुरहो परिवार का प्रतिनिधित्व करते रहे. रासबिहारी उच्च विद्यालय के प्रबंध समिति में दानदाता परिवार के नाते हमेशा सदस्य रहे और शिवनंदन प्रसाद मंडल उच्च विद्यालय में प्रबंधन को लेकर जब तथा कथित अगरों-पिछड़ों का संघर्ष हुआ तो वे आसानी से विद्यालय प्रबंधन समिति के सचिव चुने गए और कई वर्षों तक बने रहे. उन्ही के प्रयास से विद्यालय के परिसर के चारों ओर दीवाल का निर्माण हुआ जिससे विद्यालय के ज़मीन की सुरक्षा हुई और मुख्य सड़क के किनारे दुकानों के निर्माण से विद्यालय को आमदनी का स्रोत निश्चित हुआ.
स्व रमेश बाबु कभी भी मधेपुरा के आम नागरिकों के लिए किसी भी पदाधिकारी से आमना-सामना करने के लिए तैयार रहते थे. एक बार एक जिला पदाधिकारी के इशारे पर मधेपुरा के सम्मानीय घोष परिवार के विरुद्ध एक झूठा मामला दर्ज किया गया और अधिवक्ताओं को इस मामले में पैरवी नहीं करने की धमकी दी गयी. स्व रमेश बाबु ने न सिर्फ उस व्यक्ति के मामले की न्यायलय में पैरवी की बल्कि उसे निर्दोष भी साबित किया. बाद में उक्त जिला पदाधिकारी ने उनके उपर झूठा मुकदमा करवाया. आनन फानन में मधेपुरा वासियों ने मधेपुरा बंद किया. तत्कालीन प्रधान मंत्री स्व विश्वनाथ प्रताप सिंह के हस्तक्षेप के बाद बिहार के मुख्यमंत्री लालू प्रसाद ने उस जिला पदाधिकारी का रातों रात तबादला किया.
स्व रमेश चन्द्र यादव कुछ समय तक बीमार रहे और दिल्ली में उनका इलाज़ चल रहा था. २००५ के होली क अवसर पर वे चिकित्सकों के सलाह के विपरीत मधेपुरा आयें. शाम को मधेपुरा के प्रमुख अधिवक्ताओं, जैसे श्री रंधीर सिंह,श्री धीरेन्द्र झा, श्री सोहन झा, श्री प्रफुल यादव इत्यादि , का जमघट रमेश बाबु के घर पर था और ठहाकों के बीच उन्हें ब्रेन हमोरज हुआ. उन्हें रातों रात दिल्ली के अपोलो अस्पताल में भारती कराया गया. परन्तु २ अप्रैल को उनका स्वर्गवास हो गया. अगले दिन उनका दाहसंस्कार हरिद्वार में किया गया.
उनके तीन पुत्र प्रो सूरज यादव, प्राध्यापक दिल्ली विश्वविद्यालय, संजीव कुमार अधिकारी, हिंदुस्तान लाटेक्स लिमिटेड व संदीप कुमार, अधिकारी हुडको स्व रमेश चन्द्र यादव के रस्ते पर चल रहे हैं. परन्तु मधेपुरा के सांस्कृतिक, सामाजिक व राज्नैतीं जीवन में उनकी कमीं को पूरा करना संभव नहीं है.मधेपुरा टाइम्स उनके छठे पुण्यतिथि पर श्रद्धांजलि अर्पित करता है.
वरीय अधिवक्ता स्व रमेश चन्द्र यादव की पुण्यतिथि पर विशेष
Reviewed by मधेपुरा टाइम्स
on
April 02, 2011
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Swargiya Ramesh Babu ek nirbhik insan the kafi milansaar aur har kisi ka muskarakar abhiwadan karna unka swabhaw tha.Unse kabhi-kabhi hui meri baat aur unki muskarahat aaj bhi mujhe yaad hai.Un mahan aatma ki shrandhanjali me mera pranaam .
ReplyDeleteThanks for the post, Rakesh ji.
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