रूद्र नारायण यादव/३० अप्रैल २०१०
मधेपुरा में पानी का स्तर घटा-मछली पालक किसान परेशान, तालाब में पानी सूखने के कारण मर रही है मछली, सरकार और मत्स्य विभाग की लापरवाही के चलते नहीं मिल रही है कोई सहायता, छोटी-छोटी मछली को औने-पौने भावों में बेचने को मजबूर हैं किसान.
किसान को अगर सरकार समय पर सुविधाएँ उपलब्ध कराएं तो आंध्रप्रदेश को मछली पालन में पीछे छोड़ सकता है मधेपुरा.
किसान को अगर सरकार समय पर सुविधाएँ उपलब्ध कराएं तो आंध्रप्रदेश को मछली पालन में पीछे छोड़ सकता है मधेपुरा.
मालूम हो की मधेपुरा में कुशहा त्रासदी के बाद से ही धीरे-धीरे जलस्तर में गिरावट आने लगी है.जिसके चलते जिले के सर्वाधिक छोटी-बड़ी नदियाँ तथा तालाब तेजी से सूखने लगा है. इससे सबसे अधिक प्रभावित हो रहे हैं मछली पालक किसान. आर्थिक रूप से जर्जर इन किसानों को सूख रहे तालाब में पम्पसेट से पानी देने में भी दिक्कतें आ रही है,लेकिन विभाग व् सरकार सबकुछ जानकार भी मौन साधे बैठी है.सरकार बराबर घोषणाएं करती है कि किसान को अनुदानित दर पर बैंक से ऋण मुहैया कराया जायेगा और समय समय पर सरकारी वैज्ञानिकों द्वारा उन्हें प्रशिक्षित व् जागरूक किया जाएगा,लेकिन ये सारी की सारी घोषणाएं फाईलों तक सिमट कर ही रह जाती है जिसका जीता जागता प्रमाण है मधेपुरा सदर प्रखंड के बखरी गांव के मछली पालक किसान ज्योति मंडल की दुर्दशा. श्री मंडल पिछले २५ वर्षों से १२ एकड़ की तालाब में मछली पालन का कार्य कर अच्छी आमदनी करते आ रहे हैं लेकिन इस वर्ष प्रकृति ने इन्हें दगा दे दिया. इनके तालाब में लाखों रूपये की मछली है जो पूर्णरूपेण तैयार नहीं हुआ है और तालाब में पानी सूख चला है,दरारें पड़ गयी हैं.इनके पास पैसे की कमी हो गयी है जिसके चलते तालाब में पानी पम्पसेट से देने में सक्षम नहीं हो पा रहे हैं.नतीजतन मछली तेजी से मरने लगी है.किसान श्री मंडल मछली को इस तालाब से उस तालाब में डलवा कर बचाना तो चाह रहे हैं लेकिन सभी तालाब कि स्थिति एक जैसी है.
श्री मंडल ने कहा कि पोखर के मुताबिक़ उन्हें मत्स्य विभाग से अनुदान के लिए प्रोजेक्ट रिपोर्ट ही नहीं बनाए गए जिसके चलते बैंक से बहुत कम मात्रा में ऋण प्राप्त हुआ.श्री मंडल का दावा है कि सरकार अगर सहायता करे तो आंध्रप्रदेश से अच्छी उपज मछली का मधेपुरा में हो सकती है,बशर्ते कि उस हिसाब से अनुदानित दर पर ऋण बैंक से प्राप्त हो जाए.उन्होंने सरकार से आग्रह किया कि चाईना के तरह पानी को चैनेलाईज कर उस पानी को मछली पालन में उपयोग किया जाये तो बाढ़ की संभावना भी खत्म हो जायेगी और मछली की उपज इतनी बढ़ सकती है कि सरकार को बाहर के बाजार में भेजनी पड़ेगी.
श्री मंडल ने कहा कि पोखर के मुताबिक़ उन्हें मत्स्य विभाग से अनुदान के लिए प्रोजेक्ट रिपोर्ट ही नहीं बनाए गए जिसके चलते बैंक से बहुत कम मात्रा में ऋण प्राप्त हुआ.श्री मंडल का दावा है कि सरकार अगर सहायता करे तो आंध्रप्रदेश से अच्छी उपज मछली का मधेपुरा में हो सकती है,बशर्ते कि उस हिसाब से अनुदानित दर पर ऋण बैंक से प्राप्त हो जाए.उन्होंने सरकार से आग्रह किया कि चाईना के तरह पानी को चैनेलाईज कर उस पानी को मछली पालन में उपयोग किया जाये तो बाढ़ की संभावना भी खत्म हो जायेगी और मछली की उपज इतनी बढ़ सकती है कि सरकार को बाहर के बाजार में भेजनी पड़ेगी.
सूख रहा तालाब-मर रही मछली-किसान परेशान
Reviewed by Rakesh Singh
on
April 30, 2010
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