मौके पर मौजूद ऑल इंडिया स्टूडेंट यूनियन के राष्ट्रीय अध्यक्ष ई. मुरारी ने कहा कि आज हमलोग संविधान निर्माता बाबा साहब के पुण्यतिथि पर उनके पुष्पचित्र पर पुष्पांजलि करके उनके विचारों पर अमल करते हुए एक गोष्ठी आयोजित किया है और उनके विचारों से आज के पीढ़ियों को अवगत कराया.
अम्बेडकर साहब ने कहा था "छुआछूत गुलामी से भी बदतर है" अम्बेडकर साहब बड़ौदा के रियासत राज्य द्वारा शिक्षित थे, अतः उनकी सेवा करने के लिए बाध्य थे. उन्हें महाराजा गायकवाड़ का सैन्य सचिव नियुक्त किया गया लेकिन जातिगत भेदभाव के कारण कुछ ही समय में उन्हें यह नौकरी छोड़नी पड़ी. उन्होंने इस घटना को अपनी आत्मकथा, वेटिंग फॉर अ वीजा में वर्णित किया है. इसके बाद, उन्होंने अपने बढ़ते परिवार के लिए जीविका साधन खोजने के पुनः प्रयास किये, जिसके लिये उन्होंने लेखाकार के रूप में व एक निजी शिक्षक के रूप में भी काम किया और एक निवेश परामर्श व्यवसाय की स्थापना की, किन्तु ये सभी प्रयास तब विफल हो गये जब उनके ग्राहकों ने जाना कि ये अछूत हैं. 1918 में ये मुंबई में सिडेनहम कॉलेज ऑफ कॉमर्स एंड इकोनॉमिक्स में राजनीतिक अर्थशास्त्र के प्रोफेसर बने. हालांकि वे छात्रों के साथ सफल रहे, फिर भी अन्य प्रोफेसरों ने उनके साथ पानी पीने के बर्तन साझा करने पर विरोध किया.
आज भी हमारे समाज में छुआ-छूत एक बहुत बड़ी समस्या है. हमलोगों को जागने की जरुरत है और बाबा साहब के विचारों को जन-जन तक पहुंचाने की जरुरत है. आज हमलोगों ने बाबा साहब के विचारों पर विस्तार से चर्चा किया है और बाबा साहब के विचारों को जन-जन तक पहुंचाने के लिए सदा प्रयास करते रहेंगे.
कार्यक्रम में जिला उपाध्यक्ष विकास कुमार राजा, जीतेन्द्र भगत, मनीष कुमार, सुशील कुमार, शैलेन्द्र कुमार, पावन कुमार, मो. अफरोज, मो. फिरोज, मंगल रजक, अमित पासवान, राहुल पासवान, गौतम कुमार, पुष्पक कुमार, दिलखुश कुमार, विक्की कुमार सहित दर्जनों छात्र, मजदूर, किसान मौजूद रहे.

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