शिविर का उद्घाटन करते हुए प्राचार्य भूपेंद्र प्रसाद ने कहा कि हीमोफीलिया के मरीजों को चोट और दुर्घटना से हमेशा बचना चाहिए. उन्होंने कहा कि पैदल चलना, साइकिल चलाना और तैरना जैसे व्यायाम जोड़ों की रक्षा करते हुए मांसपेशियों को मजबूत बनाने में मदद करते हैं. वही फुटबॉल, हॉकी और कुश्ती जैसे खेल हीमोफिलिया वाले लोगों के लिए असुरक्षित हैं. क्योंकि चोट लगने के बाद अंदर अंदर ही खून का रिसाव होते रहता है.
मेडिकल कॉलेज की अधीक्षक डा. मालती कुमारी ने बताया कि हीमोफीलिया एक आनुवंशिक रोग है. जिसमें शरीर के बाहर बहता हुआ रक्त जमता नहीं है. इसके कारण चोट या दुर्घटना में यह जानलेवा साबित होती है. क्योंकि इसमें रक्त का बहना जल्द ही बंद नहीं होता. इस रोग का कारण एक रक्त प्रोटीन की कमी है. यह बीमारी रक्त में थ्राम्बोप्लास्टिन नामक पदार्थ की कमी से होता है. थ्राम्बोप्लास्टिक में खून को शीघ्र थक्का कर देने की क्षमता होती है. खून में इसके न होने से खून का बहना बंद नहीं होता है.
आपातकालीन प्रभारी डा. प्रियरंजन भास्कर ने बताया कि हीमोफिलिया जीन में उत्परिवर्तन के कारण होता है. जो रक्त का थक्का बनाने के लिए आवश्यक थक्के बनने वाले प्रोटीन के निर्माण के लिए सहायता प्रदान करता है. जब किसी व्यक्ति के शरीर से खून बहता है तो खून बहने से रोकने के लिए शरीर सामान्य रूप से रक्त कोशिकाओं को एक थक्का बनाने के लिए इकट्ठा करता है. क्लॉटिंग फैक्टर कहे जाने वाले रक्त प्रोटीन प्लेटलेट जैसी कोशिकाओं के साथ मिलकर थक्का बनाने का काम करते हैं. जब क्लॉटिंग फैक्टर अनुपस्थित होता है या अपर्याप्त मात्रा में मौजूद होता है तो उसे ही हीमोफिलिया कहा जाता है.
उपाधीक्षक डा. कृष्णा प्रसाद ने बताया कि मेडिकल हीमोफीलिया से ग्रसित मरीज को ब्लड सेल प्रोडक्शन को मेंटेन रखने के लिए डाइट पर ध्यान रखना होगा. जिन चीजों का सेवन कर रहे हैं, उसका उनकी कंडिशन पर बुरा असर तो नहीं होगा, इस कंडिशन में आयरन से भरपूर चीजों का सेवन फायदेमंद माना जाता है क्योंकि ये शरीर में हीमोग्लोबिन के निर्माण में मदद करता है. इसके अलावा विटामिन के, विटामिन सी, विटामिन-बी, कॉपर, विटामिन बी 12 नए ब्लड सेल्स के प्रोडक्शन के लिए अच्छा है. अपनी डायट में मौसमी सब्जियों और फलों को शामिल करें.
रक्त कोष प्रभारी डा. अंजनी कुमार ने बताया कि मेडिकल कॉलेज में लगभग 36 हीमोफीलिया के मरीजों का इलाज हो रहा है. इस इलाज में उपयोग होने वाली सुई फेक्टर 7 और फेक्टर 8 मेडिकल कॉलेज में उपलब्ध है.
इस अवसर पर लाइंस क्लब की ओर से रक्तदान शिविर का भी आयोजन किया गया, जिसमें रिलायंस लाइफ साइंस के प्रतिनिधि विश्वजीत करण के द्वारा हीमोफीलिया पर एक वीडियो दिखाया गया. वहीं समाज सेवा के भाव से जुड़े लोगों के द्वारा बढ़-चढ़कर रक्तदान किया जा रहा है. इस अवसर पर क्लब ने हीमोफीलिया के मरीज नीरज कुमार निराला, आनंद कुमार, घुरन यादव, मिथुन राज और शुभाशीष गांगुली के बीच उपहार स्वरूप किट का वितरण किया गया. मौके पर डा. यश शर्मा, लायंस क्लब के अध्यक्ष चंद्रशेखर, मनीष सर्राफ, इंद्रनील घोष, विकास सर्राफ सहित कई लोग मौजूद थे.

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