इस मामले में जिला कृषि पदाधिकारी राजन बालन ने कहा है कि पिछले वर्ष जुलाई तक करीब 75% धान की रोपनी हो गई थी लेकिन इस वर्ष जुलाई अन्य वर्षो के अनुपात में काफी कम बारिश नहीं होने की वजह से अब तक मात्र 34% ही धान की रोपाई हो पाई है. लगातार तेज धूप और बारिश नहीं होने की वजह से धान का बिचड़ा सूखने और धान रोपी गई खेतों में दरारे पड़ रही है. जिससे धान की फसल सूख रही है. इस संबंध में सुखार को देखते हुए डीजल अनुदान के लिए विभाग को अनुशंसा किया गया है. उम्मीद है कि जल्द ही इसकी घोषणा भी हो जाएगी, साथ ही सभी प्रखंड कृषि पदाधिकारियों को निर्देशित किया गया है कि पंचायतवार धान की फसल का सर्वेक्षण सूची तैयार करें ताकि यह जानकारी मिल सके कि क्षेत्र में कितने एकड़ में फसलों को नुकसान हो रहा है जिससे किसानों को सरकारी सहायता उपलब्ध हो सके.
वहीं इस मामले में कोसी प्रमंडल सहरसा कृषि विभाग के संयुक्त निदेशक उमेश मंडल ने कहा कि बढ़ते तापमान और बिचड़ा सूखने की शिकायत मिल रही है इससे कृषि विभाग चिंतित हैं साथ ही विभाग के द्वारा किसानों को डीजल अनुदान उपलब्ध कराने के लिए कार्यवाही की जा रही है.
वहीं उन्होंने किसानों से अपील करते हुए कहा है कि सबसे पहले बिचड़ा को संरक्षित करने के लिए विशेष रूप से ध्यान दें. बिचड़ा में पानी डालें संभव हो तो स्प्रे घोलने वाले मशीन से शाम के समय पानी का छिड़काव करें और जो धान की रोपाई कर लिए हैं खेतों में दरार पड़ रही हैं तो ऐसे किसान अहले सुबह पटवन करें या शाम के समय में पटवन करें. अभी ज्यादा पानी ना दें ज्यादा पानी रहने से और तेज धूप में धान के पौधे गल सकते हैं. सिर्फ जमीन पूरी तरह भीग जाए इतना ही पानी डालें. इससे फसलों को नुकसान होने की संभावना काफी कम रहती है. दोपहर में अत्यधिक धूप और तापमान की वजह से सिंचाई करने पर धान की फसलों को नुकसान हो सकता है.
गौरतलब हो कि बीते एक पखवारे से बारिश नहीं होने और तापमान में अत्याधिक वृद्धि होने की वजह से धान के खेतों में दरार पड़ रही है, तो वहीं बिचड़ा सूख रहा है जिससे किसान काफी परेशान हैं.

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