मुरलीगंज प्रखंड कार्यालय परिसर के सभा भवन के बगल में काउंटर पर हजारों की संख्या में उपस्थित पुरुष एवं महिला धक्का-मुक्की करते हुए बिस्कोमान के प्रभारी प्रबंधक पर खिड़की से पत्थर बरसाने लगे. साथ ही गाली गलौज कर रहे थे. ऐसे में किसी तरह बिस्कोमान प्रबंधक द्वारा खिड़की बंद कर वितरण बंद कर दिया गया और ग्रिल के अंदर बंद रहे. वहीं जब मुरलीगंज थानाध्यक्ष अखिलेश कुमार ने पहुंचकर स्थिति को संभालने का प्रयास किया तो किसान कहाँ मानने वाले थे और ना लाइन में खाद लेने के लिए तैयार थे. जोर जबरदस्ती पर उतारू किसी तरह वहां से बिस्कोमान के अधिकारियों को किसानों के आक्रोश से बचाते हुए निकाल कर बाहर लाए.
पिछले तीन महीने से ही किसानों को स्थानीय बाजार में आसानी से यूरिया नहीं मिल रहा है. खाद जब आता है तो एक ही दिन में खत्म होने की भी सूचना मिल जाती है.
मुरलीगंज नगर पंचायत क्षेत्र एवं प्रखंड के ग्रामीण क्षेत्रों सहित अन्य गांवों के कई किसानों ने अधिकारियों से शिकायत की थी कि दो बोरा खाद खरीदने पर भी उन्हें पांच तो कभी सात बोरा खरीदने का मैसेज मोबाइल पर आता है. वहीं कई किसानों ने बताया कि हमारा आधार तो मोबाइल से लिंक था पर मैसेज ही नहीं आया. जबकि अंगूठा लगाया पता नहीं क्या हुआ. किसानों ने कहा कि इससे साफ स्पष्ट होता है कि प्रखंड क्षेत्र में खाद की कालाबाजारी जमकर हो रही है. किसानों का कहना है कि गैर लाइसेंसी दुकानों से 266.59 रुपये की यूरिया खाद की बोरी पांच सौ से आठ सौ रुपये प्रति बोरी की दर से आसानी से उपलब्ध हो रही है.
मुरलीगंज प्रखंड मुख्यालय से 4 किलोमीटर दूर एनएच 107 पर पूर्णिया जिले के सीमा भंगहा के किसानों ने बताया कि यहां पर ₹800 प्रति बोरी की दर से खाद उपलब्ध हो जाती है और हम लेने के लिए भी मजबूर हैं. वहीं कई किसानों ने अपना नाम ना छापने एवं चर्चा न करने की बात भी की. खरीदार किसानों से कहा कि वे कहीं भी इसकी चर्चा न करें. नहीं तो जो भी मिल रहा है वह भी बंद हो जाएगा.
ऐसे में कई किसान बाजार में विकल्प के तौर पर उपलब्ध नई किस्म की छिड़काव करने वाली यूरिया का उपयोग करने लगे हैं. किसानों के अनुसार ढाई सौ में एक बोरा के समतुल्य छिड़काव वाली यूरिया तैयार होती है. यह बाजार में आसानी से मिल भी जाती है. किसानों की मानें तो गेहूं के पौधे को इससे अच्छा लाभ भी मिलता है. कोल्हायपट्टी के किसान गुड्डू कुमार ने कहा कि पता नहीं सरकार की घोषणा और सरकारी बाबुओं के रवैये में क्या सामंजस्य है. इसके चलते किसान कभी डीएपी तो कभी यूरिया के लिए चक्कर लगा रहे हैं. कोई किसी की सुनने वाला नहीं है.
पकिलपार के किसान रविकांत कुमार ने कहा कि वे तो यूरिया के लिए लगातार पांच दिनों तक परेशान हुए. बाद में गुप्त सूचना पर एक गैर लाइसेंसी दुकानदार जो ग्रामीण इलाके में यूरिया एकत्र कर इन खाद के थोक विक्रेताओं से रातों को माल खरीद कर मंगाते हैं, ने नाम नहीं बोलने की शर्त पर पांच सौ रुपये की दर से दो बोरी यूरिया मिली. कौन जाएगा ब्लॉक में बिस्कोमान का यूरिया लेने के लिए धक्के खाने के लिए.
कई किसानों ने बताया कि अनुज्ञप्ति धारी दुकानदार और गैर अनुज्ञप्ति धारी दुकानदार एक सुर में यह कहते हैं कि यही तो सीजन है कमाने का. अभी नहीं कमाएंगे तो कब कामएंगे. बताया कि खाद के मामले में अधिकारियों का रवैया सही नहीं होने के कारण किसानों को परेशानियों के साथ अधिक मूल्य की मार झेलने को मजबूर होना पड़ता है.
किसानों के यूरिया किल्लत की समस्या की जानकारी लेने के लिए जब प्रखंड कृषि पदाधिकारी प्रभुनाथ मांझी को उनके मोबाइल नंबर 9631655951 पर फोन मिलाया गया तो वह स्विच ऑफ बता रहा था. वहीं किसानों ने कहा कि उनका मोबाइल हमेशा ही स्विच ऑफ रहता है.
ग्रामीण क्षेत्र के गैर अनुज्ञप्तिधारी लोगों के पास कहां से यूरिया उपलब्ध होती है, यह पता नहीं चल पाता है. किसानों के बीच यूरिया के लिए हाहाकार की स्थिति बनी है, यह भी सही है. यूरिया के लिए किसान एक दूसरे को लाइन में मरने मारने पर उतारू दिखे एवं आक्रामक रूप में पुलिस पदाधिकारियों पर भी गुस्सा करते हुए नजर आए. वहीं मामले में जिला कृषि पदाधिकारी राजन बालन ने कहा कि अगले दो-तीन दिनों में यूरिया की रेक उतरने वाली है. फिर किसानों को अनुज्ञप्ति धारी दुकानों से खाद मिलना शुरू हो जाएगा.
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