एक तरफ भेलाही के किसान बृजेश यादव कहते हैं कि पटसन की खेती कोसी क्षेत्र के लिए वरदान थी. अच्छी खासी पैदावार होती थी लेकिन अब किसान मेहनत के अनुसार और लागत के अनुसार पटसन की खेती में मुनाफा नहीं होने के कारण धीरे धीरे छोड़ने लगे हैं.
खेती में लागत
जूट की अलग-अलग किस्मों की भूमि और वातावरण के हिसाब से रोपाई फरवरी मध्य से लेकर जून और मध्य जुलाई तक की जाती है. जूट का पौधा रेशेदार पौधा होता है. जिसे पटसन के नाम से भी जाना जाता है. इसके पौधे की लम्बाई 6 से 10 फीट तक पाई जाती है. इसके पौधे को सड़ाकर इसके रेशे तैयार किये जाते हैं. जिनसे कई चीजें बनाई जाती है. इसके रेशों का इस्तेमाल बोरे, दरी, टाट, तम्बू, तिरपाल, रस्सियाँ, निम्न कोटि के कपड़े और कागज बनाने में किया जाता है.
10 वर्षों से मृतप्राय जे सी आई (जूट कॉरपोरेशन ऑफ इंडिया)
पकिलपार के जूट उत्पादक किसान रविकांत ने बताया कि पिछले 10 वर्षों से (जे सी आई) कॉरपोरेशन ऑफ इंडिया लिमिटेड में किसानों के तैयार पटसन की खरीद नहीं होती है. सरकार एक तरफ एमएसपी की बात करती है जो पटसन खरीद का न्यूनतम समर्थन मूल्य जूट कॉरपोरेशन ऑफ इंडिया जेसीआई मे दिया गया है. बाजार में जो व्यापारी ले रहे हैं उससे ₹3000 कम है. सरकार द्वारा पटसन की खरीद का जो समर्थन मूल्य जानबूझकर बाजार से कम रखा गया है और व्यापारी सरकार के न्यूनतम समर्थन मूल्य से थोड़े ज्यादा कीमत रखकर किसानों से जूट खरीद कर अपने गोदामों में स्टॉक करते हैं और फिर बढ़ी हुई कीमतों पर कोलकाता के मिलों को भेजते हैं. किसानों को मजबूरीवश ओने पौने दामों में अपने फसल को व्यापारियों के हाथों बेचने को मजबूर होना पड़ता है.
क्षेत्र के अधिकांश लघु एवं सीमांत किसान इसकी खेती करते हैं परंतु पिछले कुछ वर्षों से जूट उत्पादक किसानों को कठिनाईयों का सामना करना पड़ रहा है. क्षेत्र के जूट उत्पादक किसानों का कहना है कि उचित मूल्य नहीं मिलता है. विगत दस वर्षों से क्षेत्र में जूट की सरकारी खरीद नहीं की गई. जब किसान जूट तैयार करते हैं, तब बाजार में उचित भाव नहीं रहता है. गरीब किसानों का पैदावार बिक जाता है, तब व्यापारियों के लिए भाव बढ़ा दिया जाता है.
किसान अनिल कुमार का कहना है कि पाट के पौधे को सड़ने के लिए पानी के लिए दर-दर भटकना पड़ता है. नदी-नाले, पोखर व तालाब में पानी नहीं रहने से जूट उत्पादकों को काफी परेशानी झेलनी पड़ती है. बावजूद किसान तमाम कठिनाइयों को झेलते हुए पाट तैयार करते हैं लेकिन सरकार द्वारा उचित व्यवस्था नहीं रहने से सरकारी निर्धारित न्यूनतम मूल्य से भी काफी कम कीमत मिलती है. आर्थिक तंगी के कारण किसान पाट के बाजार मूल्य में वृद्धि होने का प्रतीक्षा भी नहीं कर पाते हैं. किसानों को अपनी आवश्यकताओं को पूरा करने के लिए औने-पौने कीमत पर जूट बेचना पड़ता है.
वहीं कई किसानों ने कहा कि पटसन की खेती अब आसान नहीं रह गई. बुवाई से लेकर पाठ के पौधे को काटकर पहले पत्ते झरने देना फिर उसे पानी में निगोरना फिर उसे पानी में साफ कर सुखाना, बहुत सारे कठिनाइयों का सामना करना पड़ता है. फिर भी उचित कीमत नहीं मिल पाता है. जिसके कारण पहले जहां 20 से 25 एकड़ में खेती होती थी अब लोग कुछ बीघे जमीन में पटसन की पैदावार करते हैं. अब धीरे-धीरे लोग इस खेती से विमुख होते जा रहे हैं. पहले यह एक नगदी फसल हुआ करती थी लेकिन सरकारी न्यूनतम समर्थन मूल्य एवं व्यापारियों द्वारा ओने पौने भाव में खरीदने के कारण किसानों को अब इस नकदी फसल में घाटा होने लगा है. अब किसान इसकी खेती की ओर से विमुख होते जा रहे हैं.
दुर्गा स्थान चौक के किसान सुनील कुमार ने कहा कि मुरलीगंज के व्यापारी कहते हैं कि क्विंटल में 5 किलो भालता देना ही पड़ेगा वरना आपको जहां जाना है जाइए.
मामले में मुरलीगंज जे सी आई के एडिशनल (जी आई) मनोज कुमार ने बताया कि हमारे यहां मिड्ल क्लास के पटसन की कीमत 4500 रु० प्रति क्विंटल रखा गया है जबकि बाजार में ₹5600 तक क्विंटल खरीद की जा रही है. किसान हमारे यहां कम कीमत पर बेचने आएंगे और सरकार का यही गाइडलाइन है हम सरकार के गाइडलाइन को फॉलो करते हैं.
इस छोटी कोलकाता कहे जाने वाले मुरलीगंज शहर में अभी भी 10 व्यापारी ऐसे हैं जो कोसी क्षेत्र के बड़े कारोबारियों में से हैं.
पटसन के कारोबार में मुरलीगंज के बड़े-बड़े स्टॉक वाले व्यापारी
कैलाश राठी, गोपाल भूत, इनकी दर्जनों बड़ी-बड़ी गोदामें हैं. प्रकाश मंडल, मनोज सोमानी, जयप्रकाश साह जिनका कारोबार स्टेट हाईवे 91 बिहारीगंज रोड में है. रूपचंद सेठ, विश्वनाथ झंवर, शंभू चौधरी, नंदू राठी, मनोज राठी, प्रकाश करनानी, विनोद करनानी, प्रमोद करनानी, इंदर चंद जैन यह सारे बड़े व्यापारियों की शहर भर में बड़ी-बड़ी दर्जनों गोदामें हैं. कई किसानों का कहना है कि कई गोदामों में पटसन का स्टॉक कर कोलकाता में ऊंचे भाव होने पर भेजे जाते हैं.
![जूट उत्पादक किसान परेशान, जूट व्यापारियों की कट रही है चांदी](https://blogger.googleusercontent.com/img/b/R29vZ2xl/AVvXsEgaStAqB0qk7AzR_f_tHcyshldsAW7yuCE1rAiR9eTNyn8Q1lePT0bzVKnYrSJZecIUJJKIU8PCWBM_rVg5ahztfnPWo4tM25FQXTrd9y1cMMQAysifCdFNZ6IA2ExhhNpHCzQfz062hps/s72-c/WhatsApp+Image+2021-09-22+at+7.52.14+PM.jpeg)
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