अब तैयार धान को औने पौने दाम में बेचने को विवश हैं स्थानीय व्यवसायियों द्वारा अधिकतम 1200 ₹ प्रति क्विंटल धान किसानों से खरीदा जा रहा है जबकि सरकार द्वारा धान का न्यूनतम समर्थन मूल्य ₹ 1868 प्रति क्विंटल निर्धारित किया गया है. इस तरह ₹600 प्रति क्विंटल घाटा लगाकर धान बेचने को विवश हैं. किसान को धान बेचने की आतुरता इसलिए रहती है कि इसी राशि से गेहूं की खेती के लिए खाद बीज खरीदे जाते हैं. किसानों के पास धान भंडारण की पर्याप्त साधन नहीं है. किसानों की फसल को खरीदने के लिए सरकारी व्यवस्था के लिए पैक्स है लेकिन दोनों पंचायत में पैक्स अकर्मित है. जबकि राज्य सरकार ने अब किसानों की कृषि निबंध पर धान बेचने की बात कही है लेकिन दोनो पंचायत में बहुत से किसान इतनी लंबी प्रक्रिया कर औनेपौने में धान बेचने को विवस हैं ।
![₹600 प्रति क्विंटल घाटे में निजी व्यापारियों के हाथों धान बेचने को विवश हैं किसान](https://blogger.googleusercontent.com/img/b/R29vZ2xl/AVvXsEjr9CQhhZA1jGMnxb_fOqvvKKi8xvyYgOWsNfqOyDhDSJsl9Nwvw4RoKBFbGxjVrBIg17oSHxhUWW3dZE1msTfl50m1whk8DIMqcd-gk-Dts2uAheoqo9Si1MHa3hjKl1HUAwcqaU-u6u4/s72-c/IMG20201225094249.jpg)
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