विद्यापति की हृदय विदारक रचना 'उगना रे मोर कते गेला' का हृदयस्पर्शी नाट्य मंचन

शनिवार की संध्या सामाजिक सांस्कृतिक एवं साहित्यक संस्था सृजन दर्पण के युवा रंगकर्मियों द्वारा टीपी कॉलेज मधेपुरा में विद्यापति की हृदय विदारक रचना 'उगना रे मोर कते गेला' का हृदयस्पर्शी नाट्य मंचन किया गया 

अवसर था कुलपति के सम्मान समारोह का. मौजूद दर्शक देखते-देखते भाव विह्वल हो गये. अंत में जब विद्यापति बेसुध होकर गिर गये तब सबकी आंखें नम हो गयी. कुछ देर के लिए तालियां बजती रह गयी. प्रस्तुत नाटक के जरिए मिथिला की संस्कृति की महान परम्परा जीवंत हो उठी. भाषा ने परिवेश बनाया तो भाव ने मानव चिंतन की ऊंचाई का दर्शन कराया. 

मौके पर कुलपति डा.आर.के.पी. रमण ने कहा कि कला हृदय को बंधन मुक्त करता है. यह व्यक्ति को नई ऊर्जा प्रदान करता है. विद्यापति हमारी संस्कृति के प्रदीप्त मणि हैं. अपने मंचन से रंगकर्मियों ने उन्हें प्रत्यक्ष कर दिया. 

इस अवसर पर कुलसचिव डा. कपिलदेव प्रसाद यादव ने कहा कि भक्त के वश भगवान होते हैं की पंक्ति का साकार दृश्य इस मंचन से प्रकट हुआ. बेशक ये रंगकर्मी समाज के लिए उपयोगी है. महाविद्यालय प्राचार्य डा.के.पी. यादव ने कहा मैथिली और विद्यापति का रिश्ता अभिन्न है. दोनों एक दूसरे के पयार्य हो गए हैं. रंगकर्मी विकास एवं इसके साथियों ने अच्छा मंचन किया. ऐसा लगा कि हम लोग उसी कालखंड में पहुंच गये. दर्शकों में इच्छा अनुसार भाव पैदा कर देने में ही कला और कलाकार की उपयोगिता है. 

विद्यापति की जीवंत भूमिका में थे युवा रंगकर्मी एवं निर्दोशक विकास कुमार, भगवान शंकर का मंचन किया सुमन कुमार ने, तो कोरस का किरदार निभाया सौरभ कुमार ने. नाटक को सफल बनाने में सुशील कुमार एवं शंभू शंरण सिंह ने आम भूमिका निभाई.

विद्यापति की हृदय विदारक रचना 'उगना रे मोर कते गेला' का हृदयस्पर्शी नाट्य मंचन विद्यापति की हृदय विदारक रचना 'उगना रे मोर कते गेला' का हृदयस्पर्शी नाट्य मंचन Reviewed by मधेपुरा टाइम्स on December 06, 2020 Rating: 5

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