मधेपुरा जिले के मुरलीगंज प्रखंड अंतर्गत नगर पंचायत क्षेत्र एवं सभी 17 पंचायतों में चार दिनों तक चलने वाले सूर्योपासना के पर्व छठ का आज समापन हुआ. लोक आस्था का महापर्व छठ का शुभारंभ 18 नवंबर को नहाय खाय के साथ शुरू हुआ था. इसके अगले दिन 19 नवंबर को खरना का व्रत था. खरना की पूजा के बाद 36 घंटे का कठिन निर्जला व्रत शुरू हुआ. 20 नवंबर की शाम छठ घाटों पर व्रतियों ने डूबते हुए सूरज को अर्घ्य दिया. शनिवार को सुबह उदीयमान सूर्य को अर्घ्य देने के साथ ही छठ महापर्व संपन्न हो गया.
घाटों पर थे सुरक्षा के पुख्ता इंतजाम
महापर्व छठ शांतिपूर्ण और सौहार्दपूर्ण तरीके से संपन्न हो, इसके लिए जिला प्रशासन द्वारा संवेदनशील घाटों पर एसडीआरएफ एवं स्थानीय गोताखोरों की पुलिस बल के साथ तैनाती की गई थी. मुरलीगंज प्रखंड अंतर्गत रामपुर पंचायत के सुरसर नदी के तट पर एसडीआरएफ की टीम के साथ प्रखंड विकास पदाधिकारी एवं अंचलाधिकारी सुबह और शाम के समय मौजूद थे.
कोविड-19 संक्रमण और राज्य सरकार की गाइडलाइन का नगर पंचायत क्षेत्र के बेंगा नदी के किनारे बलुआहा और गोपाल गौशाला के तालाब में भुवनेश्वर मुरहो उच्च विद्यालय प्रखंड कार्यालय परिसर के पीछे बने तालाब में बिल्कुल भी असर नहीं दिखा. पिछले वर्ष की तुलना में इस बार भीड़ कम थी. लोगों ने शारीरिक दूरी तो जरूर बनाई लेकिन मानक के अनुरूप नहीं. अर्घ्य देने के समय दूरी का पालन नहीं हो सका. 90 फीसद लोगों ने मास्क नहीं लगा रखा था. सभी का यही कहना था कि छठी मैया है तो कुछ नहीं होगा और वैसे भी सब तो घर के ही लोग हैं बाहर का कोई नहीं है.
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