मजदूरों के अन्य राज्यों मे पलायन कर जाने की वजह से कोसी में किसानों को खासी परेशानी झेलनी पड़ रही है.
मधेपुरा जिले के शंकरपुर प्रखंड क्षेत्र के किसानों को धानरोपणी मे काफी परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है।
किसानों को मजदूरों के अभाव मे धानरोपणी का संपूर्ण कार्य पूरी तरह से महिला मजदूरों के भरोसे करना पड रहा है। सरकार द्धारा संचालित महात्मा गांधी राष्ट्रीय रोजगार गारंटी अधिनियम ( मनरेगा ) भी मजदूरों को प्रदेश जाने से रोक नहीं पा रहे है। मनरेगा मे व्याप्त गड़बड़ी से मजदूरों का लगातार मोहभंग हो रहा है। कम मजदूरी मिलने व भुगतान की समस्या को लेकर बडी संख्या मे मजदूरों का पलायन लगातार जारी है। यही वजह है कि अब धानरोपणी के लिए भी मजदूरों की आफत हो गयीं हैं।
प्रखंड क्षेत्र मे इन दिनों इन्द्रदेव की कृपा से लगातार बारिश होने के बाद भी धानरोपणी के लिए मजदूरों की कमी खलने लगी है. किसान चाहकर भी ससमय धानरोपणी पूरा करने मे सक्षम नजर नहीं आ रहे हैं । क्षेत्र के पुरूष मजदूर रोजी-रोटी की तलाश व परिवार के भरण पोषण के लिए पंजाब, हरियाणा, दिल्ली सहित अन्य राज्य की तरफ पलायन कर चुके हैं. जिस कारण किसानों को धानरोपणी के लिए महिला मजदूर का ही सहारा लेना पड़ रहा है. उनका कहना है कि महिला के साथ अगर पुरूष मजदूर रहते तो काम ससमय पूरा कर लिया जाता।
पर शायद ये पूरे बिहार की ही बदनसीबी है कि यहाँ के किसान अन्य राज्यों के खेतों को लहलहा रहे हैं और सरकार है कि विकास का ढिंढोरा पीटने में लगी है पर पलायन रोकने में फिसड्डी साबित हो रही है.

मधेपुरा जिले के शंकरपुर प्रखंड क्षेत्र के किसानों को धानरोपणी मे काफी परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है।
किसानों को मजदूरों के अभाव मे धानरोपणी का संपूर्ण कार्य पूरी तरह से महिला मजदूरों के भरोसे करना पड रहा है। सरकार द्धारा संचालित महात्मा गांधी राष्ट्रीय रोजगार गारंटी अधिनियम ( मनरेगा ) भी मजदूरों को प्रदेश जाने से रोक नहीं पा रहे है। मनरेगा मे व्याप्त गड़बड़ी से मजदूरों का लगातार मोहभंग हो रहा है। कम मजदूरी मिलने व भुगतान की समस्या को लेकर बडी संख्या मे मजदूरों का पलायन लगातार जारी है। यही वजह है कि अब धानरोपणी के लिए भी मजदूरों की आफत हो गयीं हैं।
प्रखंड क्षेत्र मे इन दिनों इन्द्रदेव की कृपा से लगातार बारिश होने के बाद भी धानरोपणी के लिए मजदूरों की कमी खलने लगी है. किसान चाहकर भी ससमय धानरोपणी पूरा करने मे सक्षम नजर नहीं आ रहे हैं । क्षेत्र के पुरूष मजदूर रोजी-रोटी की तलाश व परिवार के भरण पोषण के लिए पंजाब, हरियाणा, दिल्ली सहित अन्य राज्य की तरफ पलायन कर चुके हैं. जिस कारण किसानों को धानरोपणी के लिए महिला मजदूर का ही सहारा लेना पड़ रहा है. उनका कहना है कि महिला के साथ अगर पुरूष मजदूर रहते तो काम ससमय पूरा कर लिया जाता।
पर शायद ये पूरे बिहार की ही बदनसीबी है कि यहाँ के किसान अन्य राज्यों के खेतों को लहलहा रहे हैं और सरकार है कि विकास का ढिंढोरा पीटने में लगी है पर पलायन रोकने में फिसड्डी साबित हो रही है.

पति गए परदेश, पत्नियाँ कर रही हैं खेतों में मजदूरी: मजदूरों के पलायन से बढ़ी किसानों की समस्या
Reviewed by मधेपुरा टाइम्स
on
July 11, 2018
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