आज मधेपुरा जिला के चकला चौक पर रेलवे कारखाना में जमीन मालिक को नौकरी नहीं
देने समेत कई अन्य मांगों को लेकर एक दिवसीय धरना एवं उपवास का आयोजन किया गया.
आन्दोलनकारियों का कहना था कि वर्षो से लंबित किसानों भूस्वामियों की मांग रेल
प्रशासन जिला प्रशासन द्वारा पूरी नहीं की गई. एल्सटॉम कंपनी द्वारा भी स्थानीय भू
स्वामियों को नौकरी नहीं देकर बाहरी व्यक्तियों को दी जा रही है. रेल मंत्रालय
द्वारा अपने ही पत्र जो नौकरी संबंधित है का अनुपालन इस परियोजना में नहीं किया जा
रहा है. कहा कि जिला पदाधिकारी मधेपुरा, जिला भू-अर्जन पदाधिकारी या सक्षम
प्राधिकारी लिए रेल इंजन कारखाना से संबंधित अपने ही पत्र का अनुपालन नहीं किया जा
रहा है. 300 एकड़ के अलावे अवशेष भूमि का निरस्तीकरण नहीं किया जा रहा
है, जिसको लेकर कई बार आवेदन भी दिया गया, किंतु अब तक कोई कार्यवाही नहीं की गई
है.
जिस वजह से विवश होकर शनिवार को चकला चौक पर संघर्ष मोर्चा के बैनर तले
प्रभावित ग्रामीणों द्वारा उपवास सहित धरना का आयोजन किसान मजदूर द्वारा किया गया.
स्थानीय प्रशासन रेल प्रशासन एवं एल्सटॉम कंपनी के प्रबंधकों से निवेदित है कि 1 माह के भीतर मांगे मानी जाए अन्यथा आमरण अनशन एवं आंदोलन
मधेपुरा एवं पटना में किया जाएगा.
संघर्ष मोर्चा में जिला प्रशासन तथा रेल प्रशासन से मांग है कि 8 जून 2016 को धरना प्रदर्शन के दरमियान दिए गए आवेदन में मांगों की
पूर्ति की जाए. किसान भूस्वामियों द्वारा जिला पदाधिकारी मधेपुरा एवं जिला
भू-अर्जन पदाधिकारी को मुआवजा संबंधित दिए गए आवेदन के आलोक में शोध एवं अतिरिक्त
मुआवजा का भुगतान किया जाए. संघर्ष मोर्चा द्वारा 22 मार्च 2018 को निबंधित डाक से भेजा गया जिला पदाधिकारी को आवेदन पर
कार्यवाही की जाए. रेल मंत्रालय के पत्र के आलोक में दिए गए नौकरी संबंधित आवेदन
पर कार्यवाही की जाए. विदित हो कि संघर्ष मोर्चा द्वारा अधिनियम नियम सरकारी आदेश
परिपत्र एवं जिलाधिकारी जिला भू-अर्जन पदाधिकारी सक्षम पदाधिकारी रेल इंजन कारखाना
द्वारा निर्धारित मुआवजा प्रसूत की राशि की मांग नियमानुसार भुगतेय 75% अतिरिक्त मुआवजा हेतु नियम के आलोक में मांग की जा रही है.
यह भी कहा गया कि रेल मंत्रालय ने पत्र 99/10 19 जुलाई 2010 को परियोजना हेतु भूमि अधिग्रहण के कारण प्रत्येक परिवार
को सरकारी नौकरी दिए जाने का निर्देश दिया गया है जिस के आलोक में देश में कई
परियोजना में नौकरी दी जा चुकी है किंतु इस परियोजना में नौकरी हेतु कोई कार्यवाही
नहीं की गई है.
बताया गया कि इसके अलावे वर्ष 2008 से 2015 तक जिला अधिकारी द्वारा 30 अक्टूबर 2015 को रेल विभाग से ब्याज की रकम 2013 की वर्जन कानून के आलोक में भुगतैय मांग की गई जिसे रेलवे
ने स्वीकृति प्रदान कर राशि उपलब्ध करा दी थी. जिला भू-अर्जन पदाधिकारी और सक्षम
पदाधिकारी रेलवे के द्वारा पंचाट बनाकर नोटिस भेजी गई जिसमें लिखा है कि यदि आप 29 दिसंबर 2015 को या उसके बाद किसी भी कार्य दिवस को मुआवजा हेतु उपस्थित
नहीं हो सके तो मुआवजा राशि पर किसी प्रकार का ब्याज नहीं दिया जाएगा. स्पष्ट है
कि ब्याज की राशि भूस्वामियों को भुगतैय है जिसे आज तक नहीं किया जा सका है अतः
इसे भुगतान किया जाए.
धरना पर बैठे लोगों का यह भी कहना था कि भूमि पर कब्जा रेल अधिनियम के अंतर्गत
ना लेकर 2013 के अधिनियम की धारा 38 एवं 40 मे लिया गया है. अधिनियम की धारा 40(1)
में सरकारी आदेश की अनिवार्यता है जो नहीं प्राप्त की गई है.
यदि कानूनी रूप से देखा जाए तो भूमि का कब्जा लिया जाना ही गलत है और एल्सटॉम के
साथ किया गया इकरारनामा ही गलत है. यदि लिया गया तो धारा 40(5)
के आलोक में 75% अतिरिक्त मुआवजा दिया जाना अनिवार्य है जिसे आज तक नहीं
दिया गया है, इसे भुगतान किया जाए. बताया कि 2013 के अधिनियम की धारा 28 की उप धारा 7 में जिलाधिकारी को मुआवजा निर्धारण का अधिकार प्राप्त है
निसंदेह जिलाधिकारी ने इन अधिकार का प्रयोग करते हुए ब्याज की राशि की मांग की
होगी. अतः जिलाधिकारी ब्याज की रकम एवं अतिरिक्त मुआवजा भुगतान हेतु कार्यवाही
करें.
मांगों में यह भी कहा गया कि भूमि अधिग्रहण के कारण प्रभावित परिवार के समक्ष
भुखमरी की नौबत आ गई. कारखाने में जिनकी भूमि अधिग्रहित की गई है उन्हें अनिवार्य
रूप से नौकरी दी जाए. साथ ही अन्य सुविधाएं मासिक पेंशन का एक मुश्त भुगतान आदि
किए जाएं क्योंकि 2013 कानून में यह प्रावधानित है. बाहरी लोगों को कारखाने में
नौकरी दी जा रही है उसे बंद किया जाए. इससे प्रभावित लोगों को प्रशिक्षित कर उच्च
पद पर बहाल किए जाए. साथ ही मजदूरों को मजदूरी अनिवार्य रूप से देते हुए प्रत्यक्ष
अप्रत्यक्ष रोजगार की व्यवस्था सुनिश्चित की जाए, कंपनी द्वारा विज्ञापन प्रकाशित
किए जाएं और पंचायत में बैठक बुलाकर संघर्ष मोर्चा के सदस्यों की उपस्थिति में
आवेदन लिए जाएं तब उपरांत नौकरी दी जाए ताकि पारदर्शिता बनी रहे. बहुत से
भूस्वामियों को मुआवजा का भुगतान नहीं किया गया है उसे भुगतान किया जाए. प्रभावित
गांव में शुद्ध पेयजल, सड़क परिवहन, शिक्षा, स्वास्थ्य आदि की व्यवस्था की जाए
क्योंकि कारखाना निर्माण से जलवायु एवं प्रदूषण संकट व्याप्त हो गया है.
यह भी मांग राखी गई कि कुल 1116 एकड़ भूमि का खेसरावार अधिग्रहण की अधिसूचना निर्गत की गई
थी और रेल मंत्रालय भारत सरकार ने कारखाने हेतु 301 की अधिसूचित खेसरा के अलावे शेष भूमि के अधिसूचना निरस्त
करने हेतु 2015- 16
में ही पत्र भेज दिया है. 2 वर्ष बाद भी आज तक वापसी की अधिसूचना निर्गत नहीं हुई है इसे 7 दिनों के भीतर किया जाए.
संघर्ष मोर्चा ने जिला पदाधिकारी एवं रेल मंत्रालय से आग्रह किया है कि
उपरोक्त मांगों की पूर्ति एक माह के भीतर किया जाए अन्यथा मजबूरन संघर्ष मोर्चा को
चरणबद्ध आंदोलन करने को बाध्य होना पड़ेगा.
मौके पर निर्मल कुमार सिंह, बिशुनदेव प्रसाद यादव, प्रकाश कुमार उर्फ़ पिंटू यादव, अभय सिंह, अनिल अनल, भूषण यादव, मो. क़याम, श्रवण कुमार, प्रमोद प्रभाकर, पुलेंद्र प्रसाद
यादव, शिवेंद्र प्रसाद उर्फ़ शिवाजी समेत कई दर्जन अनशनकारी मौजूद थे.
रेलवे कारखाना में जमीन मालिक को नौकरी समेत कई मुद्दों को लेकर धरना एवं उपवास
Reviewed by मधेपुरा टाइम्स
on
March 24, 2018
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