भारत जैसे कृषि प्रधान देश में किसानों की हालत दिन-ब-दिन बदतर ही होती जा रही
है, भले की सरकारी दावे और आंकड़े शेखी बघार रहे हों. ताजा मामले में मधेपुरा के कई
उन किसानों को बड़ा झटका लगा है जिन्होंने मक्के की फसल बोई थी.
मधेपुरा जिले के कुमारखंड प्रखंड के टेंगराहा गाँव के कई किसान सदमे में हैं. जिन
लहलहाती मक्के की फसल को देखकर उनकी उम्मीदें भी लहलहा रही थी, आज मकई में दाना
नहीं होने के कारण उनके सपने बिखर गए हैं. मायूस किसान राज कुमार यादव मधेपुरा
टाइम्स को अपना दुखड़ा सुनाते बताते हैं कि उन्होंने सिंहेश्वर के ओमप्रकाश की
दूकान से पायोनियर के बीज खरीदे थे. बुआई के बाद पटवन तथा खाद आदि डालने के बाद
फसल खेतों में इस कदर लहलहाने लगी थी कि लगा इस बार घर की हालत भी संभल जायेगी. पर
बुने सपने उस समय बिखरते नजर आये जब मक्का में दाने नहीं दिखे. बीज दूकानदार को फोन
किया तो उसने अपना पल्ला कंपनी पर झाड़ दिया. पायोनियर कंपनी वाले को फोन लगाया तो
उन्होंने मामला देखने की बात कह कर टाल दिया.
राज कुमार कहते हैं कि हम तो बर्बाद हो गए. सिर्फ मेरी तीन बीघा फसल मक्के की थी और लोगों के साथ भी यही रोना है. खून-पसीने की कीमत तो अलग रखिये, सरकार की नजरों में उसकी कीमत कुछ है ही नहीं, सिर्फ लागत 60 से 70 हजार रूपये थी. कर्ज लेकर बड़ी उम्मीद में लगाया था खेतों में, अब कहाँ जाएँ. कृषि सलाहकार से बात की तो उसने कृषि पदाधिकारी को आवेदन देने की सलाह दी. फिलहाल आँसू बहाने के अलावे इन किसानों के पास कोई रास्ता नहीं बचा है.
राज कुमार कहते हैं कि हम तो बर्बाद हो गए. सिर्फ मेरी तीन बीघा फसल मक्के की थी और लोगों के साथ भी यही रोना है. खून-पसीने की कीमत तो अलग रखिये, सरकार की नजरों में उसकी कीमत कुछ है ही नहीं, सिर्फ लागत 60 से 70 हजार रूपये थी. कर्ज लेकर बड़ी उम्मीद में लगाया था खेतों में, अब कहाँ जाएँ. कृषि सलाहकार से बात की तो उसने कृषि पदाधिकारी को आवेदन देने की सलाह दी. फिलहाल आँसू बहाने के अलावे इन किसानों के पास कोई रास्ता नहीं बचा है.
इस देश की हकीकत यही है कि किसानों के हित की बात तो नेता और मंत्री से लेकर
अधिकारी तक करेंगे और यह भी कहेंगे कि देश इन्हीं पर टिका हुआ है, पर कोई बड़े लोग
अपने बच्चों को किसान बनने के लिए प्रेरित नहीं करते, क्योंकि वे जानते हैं कि इस
काम में घाटा है, कष्ट है, पीड़ा है, हताशा है और कभी-कभी अंत और भी बुरा
है...आत्महत्या तक. हम उम्मीद करते हैं जिला प्रशासन इन किसानों के दर्द पर मरहम
बनकर सामने आएगी.
(रिपोर्ट: आर. के. सिंह)
उम्मीद पर फिरा पानी: मक्के की फसल में दाना नहीं निकलने से किसान हताशा में
Reviewed by मधेपुरा टाइम्स
on
March 01, 2018
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