ऐसा नहीं है कि यह गांव हाल ही में बसा है। लगभग सौ साल पुराने इस गांव ने कई
जमाने देखे हैं। आजादी के बाद कई सरकारें आई और चली गई। पंचायत के प्रतिनिधि बदलते
रहे लेकिन गांव को सड़क नसीब नहीं हुई।
चुनाव के समय कोई वोट मांगने आता है तो ग्रामीण सड़क की ही मांग रखते हैं। इस
पर उन्हें आश्वासन की मीठी गोली मिलती है। चुनाव के बाद इस गांव में कोई नहीं आता
क्योंकि गांव तक जाने के लिए सड़क ही नहीं है। सड़क सुविधा से वंचित होना गांव के
लिये अभिशाप साबित हो रहा है।
यह गांव है मधेपुरा जिले के पुरैनी प्रखंड के सपरदह पंचायत का जलाल टोला, जहाँ
अल्पसंख्यक समुदाय के सौ से अधिक परिवार करीब सौ साल से गुजर बसर कर रहे हैं ।
गांव से महज 500
मीटर की दूरी पर प्रधानमंत्री ग्राम सड़क योजना की सड़क गुजरी है लेकिन जयलाल टोला
जाने वाला रास्ता कभी हो ही न सका । प्रधानमंत्री ग्राम सड़क से महज 200 मीटर तक मामला विवादित है जिसके कारण आजतक गांव सड़क से
वंचित है लेकिन प्रशासनिक उदासीनता और जनप्रतिनिधियों के उदासीनता की वजह से आजतक
गांव तक जाने को सड़क नसीब न हो सकी ।
गांव जाने को नही है सरकारी रास्ता: गांव जाने को अबतक सरकारी रास्ता नही रहने
से कई बार विवाद और मारपीट भी हो चुकी है. बार बार पंचायत प्रतिनिधि और प्रशासन
जाकर किसी तरह गांव आने-जाने का रास्ता को शुरू करवाते हैं, वहीँ जमीन मालिक
द्वारा बार-बार रास्ते पर कभी गड्ढा खोद दिया जाता है तो कभी वृक्ष काटकर रास्ते
को अवरुद्ध कर दिया जाता है ।
मंगलवार को जमीन मालिक जनार्दन महतो ने दो बड़े करीब 20-20 फिट के वृक्ष को काटकर बीच सड़क पर रख दिया और गड्ढा भी खोद
दिया जिससे जयलाल टोला सपरदह के ग्रामीणों मे आक्रोश व्याप्त हो गया ग्रामीणों ने
इसकी सूचना पुरैनी थाना को दी प्रभारी थानाध्यक्ष शत्रुघ्न प्रसाद घटनास्थल पर
पहुंचे और पंचायत के मुखिया प्रतिनिधि मुकेश झा, सरपंच मोहम्मद निहाल और पंसस प्रतिनिधि पप्पू यादव सहित कई
समाजसेवी की पहल पर रास्ते से वृक्ष को हटाकर आवागमन चालू करवाया । लेकिन बार बार
रास्ता
अवरुद्ध करने से गांव वासी और जमीन मालिकों के बीच तनाव
व्याप्त है ।
वही जलाल टोला वासी मोहम्मद समरूद्दीन, मोहम्मद मुबारक, अब्दुस सलाम, हाफिज शाहजहां, मोहम्मद मोहीउददीन, मोहम्मद रज्जाक, मोहम्मद कुद्दुस, मोहम्मद सिद्दीक, सेजुला खातुन,
असगरी खातुन, कारी खातुन आदि ने बताया कि जुलाई 2007
में तिरासी प्राथमिक विद्यालय के परिसर में
पंचायत के तत्कालीन मुखिया प्रीति देवी,
सरपंच मुन्नी देवी उपमुखिया सजमुन खातुन,
सहित जमीन मालिक और जयलाल टोलावासियों की उपस्थिति मे एक
पंचायत हुई जिसमें 6-
6 फिट जमीन देने की बात हुई. गाँव
तक जाने वाली इस रास्ते में पड़ने वाली जमीन के बाकी मालिक ने अमल किया और रास्ते
मे पड़ने वाले ज्यादातर जमीन अल्पसंख्यक समुदाय के लोगो ने खरीद लिया है, लेकिन
मुख्य सड़क से करीब सौ मीटर जहाँ तक जनार्दन महतो की जमीन है, वहां मामला बार-बार
विवादित हो रहा है और विवाद इस हद तक पहुंच गया है कि सड़क से वंचित ग्रामीण
तनावग्रस्त है और फिलहाल तनाव व्याप्त है।
एक गाँव ऐसा भी: गांव सौ साल पुराना, मगर नहीं है जाने को सड़क
Reviewed by मधेपुरा टाइम्स
on
December 19, 2017
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