पूर्ण शराब बंदी में बाधा आदिवासी समाज में न सिर्फ देशी शराब निर्माण पेट चलने का जरिया है बल्कि यह पूजा में भगवान् को भी है चढ़ाया जाता

एक तरफ जहाँ बिहार सरकार देशी शराब की पूर्ण बंदी की घोषणा कर चुकी है और घोषणा को लागू होने में महज चंद दिन बचे हुए हैं, वहीँ इसे लेकर जानकारों में उहापोह की स्थिति बनी हुई है कि ये कितना लागू हो पायेगा? गाओंओं में देशी शराब निर्माण का धंधा काफी पुराना है, भले ही इसे प्रशासन हमेशा से अवैध मानती चली आ रही है.
      मधेपुरा जिले के मुरलीगंज थानाक्षेत्र के जाने माने आदवासी समाज बहुल पंचायत जोरगामा में आज जब मुरलीगंज के थानाध्यक्ष राजेश कुमार ने आदिवासी समाज के लोगों के साथ एक बैठक आयोजित की तो कई बातें खुल कर सामने आई. बैठक का उद्येश्य भले ही आदिवासी समाज के द्वारा किये जा रहे देशी शराब के निर्माण को बंद करके उन्हें किसी अन्य रोजगार के द्वारा जीवन-यापन करने को प्रेरित करना था, पर वहाँ उपस्थित कई महिलाओं ने कहा कि यदि हम देशी शराब बनाना बंद कर दे, तो हमारे परिवार का पेट कैसे चलेगा. उन्होंने यहाँ तक कहा कि हमलोग हरेक पूजा-पाठ में भगवान को शराब चढ़ाते हैं और यदि देशी शराब बंद हो गई तो फिर महँगी शराब हम कैसे चढ़ा पायेंगे?
हालांकि थानाध्यक्ष राजेश कुमार ने सभी पुरुषों और महिलाओं से आग्रह किया कि वो देशी शराब के निर्माण को बंद कर किसी अन्य रोजगार से अपना जीवन-यापन करें जो समाज में शांति और उन्नति के लिए अत्यंत आवश्यक है. उन्होंने समझाया कि सरकार अवैध शराब बनाने वालों पर सख्त कार्यवाही करते हुए जेल भेज देगी.
       हालांकि ग्रामीण इस बात पर सहमत हुए कि हमलोग शराब बनाना बंद कर देंगे, परन्तु सरकार हमलोगो के लिए कोई अन्य रोजगार या काम-धंधे की व्यवस्था करें ताकि हम अपना और अपने बच्चों का पेट भर सकें.
मौके पर कई जनप्रतिनिधि भी मौजूद थे.
(रिपोर्ट: चिराग साहा)
पूर्ण शराब बंदी में बाधा आदिवासी समाज में न सिर्फ देशी शराब निर्माण पेट चलने का जरिया है बल्कि यह पूजा में भगवान् को भी है चढ़ाया जाता पूर्ण शराब बंदी में बाधा आदिवासी समाज में न सिर्फ देशी शराब निर्माण पेट चलने का जरिया है बल्कि यह पूजा में भगवान् को भी है चढ़ाया जाता Reviewed by मधेपुरा टाइम्स on March 14, 2016 Rating: 5

No comments:

Powered by Blogger.