जिन्दगी के सपने और विकास में बाधक हेजिटेशन: श्रुति झा के मोटिवेशनल वर्कशॉप का दूसरा और तीसरा दिन

 समिधा ग्रुप में चल रहे मोटिवेशनल वर्कशॉप के तीसरे दिन छात्रों के सर्वांगीण विकास के लिए बहुत से अलग-अलग तरह की एक्टिविटीज कारवाई गई. इंडिविजुअल परफोर्मेंस और ग्रुप परफोर्मेंस में छात्रों का चयन कर उन्हें स्टेज पर बुलाया गया और डब्बे में रखे पर्चे के आधार पर उन्हें कुछ परफोर्मेंस देने को कहा गया. इसके माध्यम से छात्रों के भीतर के हेजिटेशन को दूर करने की कोशिस सॉफ्टस्किल ट्रेनर श्रुति झा ने किया. साथ ही उन्होंने कहा कि जैसे डब्बे में कुछ नया रखने के लिए ढक्कन को खोलना होता है, उसी तरह हेजिटेशन नाम के ढक्कन को भी हमें अपने अन्दर से खोलना होगा. तब ही हम कुछ नया कर सकते हैं.
    सभी छात्रों को मधेपुरा और बिहार से जुडी दस छोटे जेनरल नॉलेज खुद से तैयार करके लाने को कहा गया था ताकि वे पहले परफेक्ट क्वेश्चन सिलेक्शन के तरीके सीख पाए. समिधा ग्रुप के सचिव संदीप शाण्डिल्य ने छात्रों द्वारा तैयार किये प्रश्नों को एक जगह प्रिंट करवा कर नोट्स के शक्ल में उपलब्ध करवाने का अश्वासन दिया. साथ ही छात्रों को इंटरव्यू की तैयारी के टिप्स भी दिए गए और अगले दिन इंटरव्यू के लिए खुद को तैयार करने को कहा गया.
      प्रोग्राम के अंत में आज के क्वीन के तौर पर पूर्ण ग्रामीण महिला श्रीमती सुजिता को और किंग के तौर पर रंजीत कुमार को अपने अन्दर जबरदस्त बदलाव करने के लिए ताज पहना कर मनोनीत किया गया. कल पूरा दिन उनका स्वागत एक राजा और रानी के तौर पर किया जायेगा. साथ ही एक्टिविटी में हिस्सा लेने के लिए निकिता को प्रथम, कृष्णा कुमार को दुतीय और उम्दा प्रशन के लिए मार्टिना को तृतीय पुरस्कार प्रदान किया गया.
    इससे पहले कल समिधा ग्रुप में चल रहे मोटिवेशनल वर्कशॉप के दूसरे दिन श्रुति झा ने छात्रों से उनके जिन्दगी के सपने के बारे में चर्चा किया. सभी छात्रों को अपने सपने को चित्र के माध्यम से अपने नोट्स में बनाने को कहा गया सभी छात्र ने अपने इच्छा अनुसार चित्र बनाए फिर इससे सम्बन्धित चर्चा की गई ताकि सभी छात्र सपने को पूरा करने का रोड मैप बना सके. प्रोग्राम के दौरान वीडियो के माध्यम से जानकारी दी गयी कि आज से दौर में लोग किसी बात के तह में गए बगैर तुरंत निर्णय पर पहुँच जाते हैं जबकि कई बार आपके द्वारा सोची और देखी गई बात एकदम गलत भी हो सकती हैं. मनुष्य एक विवेकशील प्राणी हैं शायद इस बात को हम भूल रहे हैं जबकि जरूरत हैं हम किसी बात पर सोचे, तर्क करें तब जा कर निर्णय कर सकते हैं. इसके साथ जानकारी दी गयी की अगर हम कुछ पाना चाहते हैं तो सोचने भर से काम नहीं हो सकता उसके लिए एक्ट करने की जरुरत होती हैं. (नि.सं.)
जिन्दगी के सपने और विकास में बाधक हेजिटेशन: श्रुति झा के मोटिवेशनल वर्कशॉप का दूसरा और तीसरा दिन जिन्दगी के सपने और विकास में बाधक हेजिटेशन: श्रुति झा के मोटिवेशनल वर्कशॉप का दूसरा और तीसरा दिन Reviewed by मधेपुरा टाइम्स on December 28, 2015 Rating: 5

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