जमीन अधिग्रहण और भू-स्वामियों के विरोध को लेकर विवादों में उलझा मधेपुरा में रेल इंजन फैक्ट्री बनने का रास्ता साफ़ होता नजर आ रहा है. विगत सात-आठ सालों के जमीन अधिग्रहण को लेकर किसानों और भू-दाताओं के विरोध और धरना-प्रदर्शन के कारण मामला कहीं न कहीं से फंसा नजर आ रहा था और सबकुछ सुगम नहीं लग रहा था. पर किसानों की दो प्रमुख मांगों पर अब लगभग सामंजस्य स्थापित हो चुका है.
जमीन देने वाले किसानों और रेलवे के मुख्य प्रशासी पदाधिकारी की बैठक कारगर साबित हुई है. मधेपुरा समाहरणालय में हुई एक बैठक में रेलवे के मुख्य प्रशासी पदाधिकारी बी० रॉय ने किसानों के समक्ष एक नई बात यह रखी कि पहले की योजना के अनुसार उन्हें अधिग्रहित की गई कुल 1116 एकड़ जमीन नहीं चाहिए, बल्कि अब 300 एकड़ जमीन पर ही रेल फैक्ट्री का निर्माण होगा. बाकी 816 एकड़ जमीन किसानों को वापस कर दिया जाएगा. किसानों की दूसरी सबसे बड़ी मांग थी कि उन्हें जमीन के बदले उचित मुआवजा दिया जाय. रेलवे प्रशासन के द्वारा दिए जा रहे मुआवजा को किसान मौजूदा वास्तविक दर से काफी कम बता रहे थे. उनकी मांग थी कि दर निर्धारण के लिए आर्बिट्रेटर (मध्यस्थ) की नियुक्ति की जाय ताकि उन्हें जमीन खोने की स्थिति में जमीन का उचित मुआवजा मिल सके.
किसानों की दूसरी मांग पर रेलवे सहमत हो चुका है. मुख्य प्रशासी पदाधिकारी बी रॉय ने मधेपुरा टाइम्स को बताया कि सप्ताह-दस दिनों में आर्बिट्रर नियुक्त कर मधेपुरा के जिलाधिकारी को इसकी सूचना दे दी जाएगी. आर्बिट्रेटर जो दर तय करेंगे, दोनों ही पक्षों को मान्य होगा. उन्होंने यह भी कि अब तत्काल मात्र 300 एकड़ जमीन पर ही रेल इंजन फैक्ट्री के काम को आगे बढ़ाया जाएगा. बाक़ी अधिग्रहित जमीन सम्बंधित किसानों को वापस करने की प्रक्रिया शुरू की जाएगी. उधर ग्रीनफील्ड रेल इंजन कारखाना बनाने के लिए कंपनी का भी निर्णय 15 अक्टूबर तक ले इया जाएगा.
बैठक में शामिल कई किसानों ने बताया कि अब इस फैसले से वे बेहद मधेपुरा में रेल इंजन फैक्ट्री के निर्माण से जिले में विकास और रोजगार की दिशा में उल्लेखनीय प्रगति होगी.
(रिपोर्ट: राजीव सिंह)
जमीन देने वाले किसानों और रेलवे के मुख्य प्रशासी पदाधिकारी की बैठक कारगर साबित हुई है. मधेपुरा समाहरणालय में हुई एक बैठक में रेलवे के मुख्य प्रशासी पदाधिकारी बी० रॉय ने किसानों के समक्ष एक नई बात यह रखी कि पहले की योजना के अनुसार उन्हें अधिग्रहित की गई कुल 1116 एकड़ जमीन नहीं चाहिए, बल्कि अब 300 एकड़ जमीन पर ही रेल फैक्ट्री का निर्माण होगा. बाकी 816 एकड़ जमीन किसानों को वापस कर दिया जाएगा. किसानों की दूसरी सबसे बड़ी मांग थी कि उन्हें जमीन के बदले उचित मुआवजा दिया जाय. रेलवे प्रशासन के द्वारा दिए जा रहे मुआवजा को किसान मौजूदा वास्तविक दर से काफी कम बता रहे थे. उनकी मांग थी कि दर निर्धारण के लिए आर्बिट्रेटर (मध्यस्थ) की नियुक्ति की जाय ताकि उन्हें जमीन खोने की स्थिति में जमीन का उचित मुआवजा मिल सके.
किसानों की दूसरी मांग पर रेलवे सहमत हो चुका है. मुख्य प्रशासी पदाधिकारी बी रॉय ने मधेपुरा टाइम्स को बताया कि सप्ताह-दस दिनों में आर्बिट्रर नियुक्त कर मधेपुरा के जिलाधिकारी को इसकी सूचना दे दी जाएगी. आर्बिट्रेटर जो दर तय करेंगे, दोनों ही पक्षों को मान्य होगा. उन्होंने यह भी कि अब तत्काल मात्र 300 एकड़ जमीन पर ही रेल इंजन फैक्ट्री के काम को आगे बढ़ाया जाएगा. बाक़ी अधिग्रहित जमीन सम्बंधित किसानों को वापस करने की प्रक्रिया शुरू की जाएगी. उधर ग्रीनफील्ड रेल इंजन कारखाना बनाने के लिए कंपनी का भी निर्णय 15 अक्टूबर तक ले इया जाएगा.
बैठक में शामिल कई किसानों ने बताया कि अब इस फैसले से वे बेहद मधेपुरा में रेल इंजन फैक्ट्री के निर्माण से जिले में विकास और रोजगार की दिशा में उल्लेखनीय प्रगति होगी.
(रिपोर्ट: राजीव सिंह)
रेल इंजन फैक्ट्री बनने का रास्ता अब हुआ साफ़: दस दिनों में होगी स्पष्ट प्रगति
Reviewed by मधेपुरा टाइम्स
on
September 16, 2015
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