बिहार में विधान सभा का चुनाव होना है. चुनाव
का समय भी नजदीक है, बस घोषणा होना बाकी है, लिहाज़ा बिहार में मुख्यमंत्री पद की दावेदारी के
लिए रस्साकसी
शुरू हो गयी है.
राष्ट्रीय
जनतांत्रिक गठबंधन यानि NDA में मुख्यमंत्री पद के लिए कई लोग ताल ठोक रहे हैं. कुछ खुलेआम तो कुछ समर्थन के माध्यम से, तो
कुछ बयानों के रास्ते. चौंकाने वाली बात तो यह है कि बीजेपी, जिसे
अनुशासित पार्टी
कही जाती है, उस बीजेपी के ही अंदर कई
दावेदारों की लाइन लगी है , जो एक अन्ने मार्ग स्थित मुख्यमंत्री की सरकारी आवास में प्रवेश करने की
ख्वाहिश रखते हैं. कितनी मजबूती है इसकी दावेदारी में आइए जानते हैं:
सबसे प्रबल दावेदार मोदी सरकार के वरिष्ट मंत्री रविशंकर प्रसाद जो प्रधानमंत्री के गुड लिस्ट में भी
शामिल हैं, लम्बे समय से मीडिया में बीजेपी के चेहरा रहे हैं. चुनाव में एनडीए का चेहरा बन सकते हैं. सुशील मोदी बिहार बीजेपी के सबसे कद्दावर नेताओं में से एक, संगठन पर जबरदस्त पकड़, लालू यादव और उनकी पार्टी संघर्ष में ढाई दशक से सुशील मोदी बीजेपी का चेहरा रहे हैं. नीतीश कुमार के मंत्रिमंडल में भी उप मुख्यमंत्री पद पर रहे हैं और फिलहाल बिहार विधान मंडल में बीजेपी के नेता और पार्टी
की ओर से मुख्यमंत्री पद के दावेदार हैं. जीतन राम मांझी जो जेडीयू से मुख्यमंत्री पद के लिए बगावत करके एनडीए में शामिल हुए है, उनकी
पुरानी ख्वाहिश
उमड़ सकती है और इसके लिए आवाज़ बुलंद कर सकतें हैं. नंदकिशोर
यादव बिहार प्रदेश भाजपा के पूर्व अध्यक्ष और वर्तमान में विधान सभा के विरोधी दल के नेता जो यादव समुदाय से आते है जिनकी आबादी बिहार में सबसे ज्यादा और चुनाव में
निर्णायक है. ऐसे में लालू के मूल
समर्थक आधार में निर्णायक सेंधमारी के लिए पार्टी इन्हें आगे कर सकती है.
रामविलास पासवान लोक जन शक्ति पार्टी के अध्यक्ष राराजनीति में लालू और नीतीश से भी सीनियर हैं और वर्षों से मुख्यमंत्री बनने की ख्वाहिस रखे हुए है. वैसे फिलहाल घोषित रूप से मुख्यमंत्री पद की दावेदारी
पेश नहीं की है, लेकिन फरवरी 2005
की तरह अगर इस चुनाव में भी सत्ता की
चाभी रामविलास
पासवान को लगी तो यह माना जा सकता है कि रामविलास खुद को नहीं रोक पाएंगे. सी पी ठाकुर बड़े डाक्टर
हैं और केंद्रीय मंत्री भी रह चुके हैं. ठाकुर सवर्णों में जिस जाति से आते हैं, उस
जाति में कुछ संगठन सीपी ठाकुर के उम्मीदवार बनने पर पार्टी को समर्थन कर सकते हैं और इन्होने कहा भी है कि वे मुख्यमंत्री
पद की कुर्सी सँभालने के लिए तैयार हैं.
शत्रुघ्न
सिन्हा जो कभी भाजपा के चुनाव में स्टार प्रचारक बनकर भाजपा को
बुलंदियों पर पहुँचाने में भूमिका निभाई है,
अभी हाल
में ही में अपनी पार्टी को
सलाह दी थी
कि बीजेपी चुनावी जंग में
जनरल की घोषणा कर मैदान में उतारें.
जानकारों की मानें तो खुद जनरल बनने की ख्वाहिशमंद भाजपा को इनके नाम की सलाह देने वालों में लालू यादव भी शामिल हो सकते हैं. गिरिराज सिंह की पूंजी उनकी कट्टरपंथी से है. जब बीजेपी और जदयू के बीच गठबंधन
था तब नरेन्द्र मोदी के सवाल पर ज्यादातर नेता चुप रहना पसंद करते
थे. मगर गिरिराज सिंह उस वख्त भी नरेंद्र मोदी के समर्थन
में बड़ी बेबाकी से बोलते थे. इसलिए ये मोदी जी के
गुड लिस्ट में है और यदि बीजेपी को हिन्दू
वोटों के सांप्रदायिक गोलबंदी की जरुरत पड़ी तो पार्टी गिरिराज को आगे कर सकती है. प्रेम कुमार सरकार में मंत्री रहें है और सातवीं बार हैं. अपनी वरीयता के आधार पर खुद को कई बार मुख्यमंत्री की
दावेदारी पेश
कर चुके हैं. उसपर भी वे अतिपिछड़ा वर्ग से आतें हैं, जिनकी
भूमिका आगामी चुनाव में निर्णायक साबित हो सकती है. रामकृपाल यादव जो किसी समय लालू के खासम ख़ास हुआ करते थे और 2014
के आम चुनाव में टिकट के सवाल पर अलग
हो गए.
उन्होंने लालू यादव की बेटी को
हराकर लोक
सभा में अपनी जगह बनाकर केंद्र में मंत्री पद पाई और साथ ही समय के साथ बीजेपी के उन
नेताओं में शामिल हो गए जिसपर बीजेपी दाव खेल सकती है. उपेन्द्र कुशवाहा
NDA के सहयोगी दल राष्ट्रीय
लोक समता पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष हैं और केंद्रीय मंत्री भी. इन्होनें खुद मुख्यमंत्री पद की दावेदारी पेश की है.
इसके अलावे और
कई प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष दावेदार एनडीए और बीजेपी में हैं और हर कोई चाहता है
1-अन्ने मार्ग के मुख्यमंत्री निवास में रहना. कह सकते हैं, एक अनार सौ बीमार.
एक अनार, सौ बीमार: एनडीए में बड़ी लम्बी कतार है 1, अन्ने मार्ग के लिए..
Reviewed by मधेपुरा टाइम्स
on
July 13, 2015
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