ग्रामीण परिवेश में भी कला संस्कृति महत्वपूर्ण: भागवत कथा में अद्भुत कलश-यात्रा

कोसी के इलाके में ग्रामीण इलाकों में भी कला-संस्कृति का महत्त्व कम नहीं है. शहरों में जहाँ कला प्रदर्शन में बनावटीपन कुछ ज्यादा रहता है वहीँ गाँवों में इसकी मौलिकता देखते ही बनती है.
मधेपुरा जिले के मुरलीगंज प्रखंड के रधुनाथपुर पंचायत के भेलाही गाँव में शुक्रवार को सात दिवसीय भागवत कथा का आयोजन किया गया. आयोजित भागवत कथा में गाँव के कन्याओं के द्वारा कलश यात्रा भेलाही माँ दुर्गा स्थान से लेकर कोल्हायपट्टी दुर्गा स्थान से पुनः वापस लाया गया. कलश यात्रा के दौरान कृष्ण और राधा का वेश धरे बच्चे अद्भुत दिख रहे थे और लोग उनकी एक झलक पाने को बेताब थे.
कलश यात्रा के दौरान उपस्थित नगर पार्षद सह जिला योजना समिति सदस्य श्वेत कमल बौआ ने कहा कि भागवत कथा का आयोजन आस्था एवं पवित्रता का प्रतीक होता है. हमसबों को इस कार्यक्रम में अपने मन, वचन एवं कर्म से शुद्ध होकर भगवान श्रीकृष्ण की आराधना करनी चाहिए. आयोजित कलश यात्रा में मघु कुमारी, रूबी कुमारी, ज्योति कुमारी, गुडिया कुमारी, अंजन कुमारी, काजल कुमारी, सहित अन्य लडकियों ने उपवास कर अपनी भूमिका अदा की.
 भागवत कथा में पडित सियाराम यादव के द्वारा वैदिक मंत्रों का उच्चारण कर कथा का वाचन किया गया. मौके पर संचालक अनिल यादव, पुजारी शंकर पासवान, सुरेश पासवान, विकास कुमार भारती, सुनील कुमार, चन्दन पासवान, सत्तो पासवान, राजेश यादव, पवन पासवान, कृष्ण मोहन कुमार, संदीप कुमार, कौशलेन्द्र यादव सहित अन्य ग्रामीण  उपस्थित थे.
ग्रामीण परिवेश में भी कला संस्कृति महत्वपूर्ण: भागवत कथा में अद्भुत कलश-यात्रा ग्रामीण परिवेश में भी कला संस्कृति महत्वपूर्ण: भागवत कथा में अद्भुत कलश-यात्रा  Reviewed by मधेपुरा टाइम्स on January 17, 2015 Rating: 5

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