बीएनएमयू वेबसाइट मामला (भाग-2): कौआ के पीछे मत दौड़िये, अपना कान देखिये. जानिए सच क्या है???

(गतांक से आगे..)
पर इस बार कोसी आईटी वेंचर्स के द्वारा रिमाइंडर के बावजूद विश्वविद्यालय प्रशासन ने इसे जारी नहीं रखा और यह डोमेन bnmu.in दिसंबर 2013 के बाद से मंडल विश्वविद्यालय के हाथ से जाता रहा. उधर विश्वविद्यालय ने अपना एक अलग ऑफिशियल वेबसाईट बना डाला जिसका यूआरएल है: www.bnmuniversity.com. खैर, ये तो विश्वविद्यालय प्रशासन का अंदरूनी मामला है.
4. फ्री मार्केट में उपलब्ध किसी भी डोमेन को खरीद सकता है कोई भी: इंटरनेट के नियमों के तहत जो डोमेन उपलब्ध है उसे कोई भी खरीद सकता है. यहाँ First come, first get यानि पहले आओ, पहले पाओ के आधार पर डोमेन की बिक्री की जाती है. ऐसे में जब bnmu.in खाली हो गया हो तो कोई बड़ा या कोई अदना सा व्यक्ति भी इसे निर्धारित शुल्क देकर खरीद सकता है. ऐसे में यदि किसी S. Kumari या साक्षी सौम्या जो भी हो, ने यदि इस डोमेन को खरीद लिया तो इसमें इंटरनेट के किसी क़ानून का उल्लंघन नहीं होता है और वह वेबसाईट पर क़ानून के तहत किसी भी तरह के कंटेंट डालने के लिए स्वतंत्र है. यहाँ तक कि पूरे मामले में पूर्व की कंपनी कोसी आईटी वेंचर्स की भी किसी तरह की लापरवाही नहीं दिखती है.
5. विवाद पर क्या किया विश्वविद्यालय ने: बीएनएमयू के कुलपति ने मामले पर मधेपुरा एसपी को पत्र लिखते इसकी कॉपी सदर थाना, साक्षी सौम्या, पूर्णियां, कोसी आईटी वेंचर, सहरसा, डीआईजी सायबर सेल, पुलिस हेड क्वार्टर, पटना और पीए, वीसी को अग्रसारित किया है. जिसमें बीएनएमयू ने स्वीकार किया है कि कोसी आईटी वेंचर को नन-पेमेंट की वजह से 14.12.2013 को bnmu.in एक्सपायर्ड हो गया था. पत्र में वीसी ने आशंका जाहिर की है कि वेबसाईट की नई खरीददार साक्षी सौम्या यूनिवर्सिटी की छवि को धूमिल कर सकती है और उसे लोगो का इस्तेमाल करने का अधिकार नहीं है. मामले मी जांच की जाय और दोषी के खिलाफ सायबर लॉ की धाराओं के तहत कार्यवाही की जाय ताकि यूनिवर्सिटी की छवि खराब न हो.
6. एफआईआर गिर सकता है औंधे मुंह: इस मामले में वेबसाईट संचालक या किसी पर भी सायबर लॉ की गंभीर धाराओं में एफआईआर का कोई सशक्त आधार बनता नहीं देख पड़ता है. जहाँ तक वेबसाईट पर अश्लील कंटेंट का मामला है तो ये व्यक्तिगत वेबसाईट पर है और यहाँ सायबर क़ानून काफी कमजोर है. वैसे देखने से bnmu.in पर गूगल एडसेंस के द्वारा एड डाले गए हैं और गूगल एडसेंस कभी अश्लील विज्ञापन व्यक्तिगत वेबसाईट पर नहीं परोसती है. किसी पर्सनल कम्प्यूटर पर उसकी सिक्यूरिटी कमजोर होने की वजह से अश्लील विज्ञापन दिख सकता है.
      कुल मिलाकर यह पूरा एपिसोड किसी मामले को बेवजह तूल देने जैसा लगता है. मंडल विश्वविद्यालय के कुलपति ने आज ही मधेपुरा टाइम्स से फोन से बात करते हुए कहा कि ऑफिशियल वेबसाईट को और भी उन्नत बनाया जाएगा ताकि छात्रों को यहाँ से सभी तरह से अपडेट्स मिल सकें, पर ये तो माना ही जा सकता है कि विश्वविद्यालय की लापरवाही से ही पुराना डोमेन उसके हाथ से गया है और नए विवाद ने जन्म लिया है. बात निकली है तो दूर तलक जानी ही चाहिए. मामले की तह तक जांच तो होनी ही चाहिए.
(ब्यूरो रिपोर्ट)
बीएनएमयू वेबसाइट मामला (भाग-2): कौआ के पीछे मत दौड़िये, अपना कान देखिये. जानिए सच क्या है??? बीएनएमयू वेबसाइट मामला (भाग-2): कौआ के पीछे मत दौड़िये, अपना कान देखिये. जानिए सच क्या है??? Reviewed by मधेपुरा टाइम्स on December 16, 2014 Rating: 5

6 comments:

  1. अगर इस बात पर गौर करें तो :
    १. bnmu,in website बी.न.एम्.यु की अधिकारिक वेबसाईट थी.. जिसे युनिवर्सिटी ने पहले टेंडर दी थी..... तो टेंडर क्या बस कुछ समय के वेबसाइट बनाने के लिए हुआ था.. और अगर सिमित समय के लिए हुआ था और नाम परिवर्तित हुआ तो इसकी जानकारी क्या मीडिया में कभी दी गयी..
    २. क्या टेंडर ख़त्म होने के बाद पुराने कंपनी को वह वेबसाइट बंद नहीं करनी चाहिए थी.. डोमेन बंद होने के बाद कोई भी लोग उस डोमेन को खरीद सकता हैं यह बात तो सभी जानते हैं मगर जिस कंपनी को इस बार टेंडर मिला ही नहीं उसका फिर से वही डोमेन खरीदने का क्या मकसद हो सकता हैं?
    ३. पेपर में खबर आने के बाद bnmu,in ने अपने पेज में तुरंत बदलाव किया. यह बदलाव जब टेंडर नहीं मिला तो ही क्यू नहीं किया गया? नहीं बदलने के सूरत में युनिवर्सिटी ने क्या करवाई की?
    ४. नए अधिकारिक वेबसाईट की सूचना क्या कभी छात्रों के पास पहुंची?
    ५. डोमेन की कीमत दस साल के लिए ख़रीदा जाए तो महज दस हजार का खर्च आयेगा, युनिवर्सिटी लाखो रूपए का टेंडर इसके नाम पर करती हैं तो डोमेन एक वर्ष का लेने का क्या मतलब? क्या इसे कामधेनु गाय समझ कर जब मन आया दुहते हैं?
    ६. रेनुवल के नाम पर लाखो का खेल का जिम्मेदार अज्ञानता हैं या साजिश यह तो विभागीय लोग ही बस बतला सकते हैं.
    ७. नए वेबसाइट का टेंडर किस किस मिडिया मे प्रकाशित किया गया था?
    ऐसे बहुत सी बाते हैं तो पुर्णतः जाँच का विषय हैं... युनिवर्सिटी प्रशासन को बदले की भावना से सोचे बिना मंथन करना चाहिए और अपने गलती को स्वीकार करते हुए आगे फिर ऐसी गलती न हो इसपर काम करना चाहिए.

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  2. Hi,

    Sandeep sir I represent Webx99.com who served university during 2011 to 2013 when there services were about to expire we had notified them via all proper channel even madheprua times had published that website is about to expire.


    Next we didn't have developed or bought bnmu.in after it expired when university not renewed it and dropped it.

    Some individual started some other website completely on different platform it seems as we had designed the site using JOOMLA for university back other we didn't shared codes/ application or content to the individual who runs that community website.

    When it comes about new tender we were not invited to participate in it even we had worked with university without any service disruption during contract period.

    I agree to your point New website must have been notified via media to students.

    Vivek
    Webx99.com

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  3. आपके तरफ से इस वेबसाइट को 2011 में रजिस्टर किया गया था और मधेपुरा टाइम्स के माध्यम से कहा जा रहा की टेंडर नहीं मिलने के बाद किसी और महिला ने इसे ख़रीदा. जबकि तथ्य कुछ और ही कह रहा हैं. जब से BNMU.in रजिस्टर हुआ हैं तब से इसका मालिक कभी बदला नहीं गया हैं.

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  4. प्रिय संपादक जी

    इस मामले में कोशी वेंचर की लापरवाही साफ दिखती है और उनपर केस भी बनता है. कुछ बातें इस पर भी गौर करना चाहिए।

    १. कोई भी विश्वविद्यालय की वेबसाइट प्राइवेट डोमेन या सर्वर पर होस्ट नहीं हो सकती, इसके बारे में केंद्रीय गृह मंत्रालय का आदेश २०११ में ही आ चूका था, और कोशी आईटी वेंचर को इसकी जानकारी कुलपति को देना चाहिए था और वेबसाइट को .gov.in or .ac.in के साथ nic के सर्वर पर होस्ट करना था. सरकार के तरफ से nic पर होस्टिंग मुफ्त होती है. ऐसा न करके कोशी वेंचर ने गृह मंत्रालय के आदेश का उन्लंघन किया था.

    २. यदि डोमिन बुक भी किया था तो उसका आधिकारिक नियंत्रण विश्विद्यालय या nic के स्थानीय अधिकारी को देना चाहिए था. विश्विद्यालय के रेनू नहीं करने से पहले काम से काम nic को तो डोमेन ट्रांसफर कर ही देना चाहिए था. ऐसा न करना देश की प्रतिष्ठा से खेलने की तरह है.

    ३. जब विश्वविद्यालय ने टेंडर दिया था तब उन्हें कंपनी एक्सपिरेन्स को भी देखना था उस समय ये कंपनी काफी नई थी.

    ४. कंपनी को भी समझना पड़ेगा की सरकारी काम और प्राइवेट काम में फर्क होता है.

    ५. वैसे कोशी आईटी वेंचर के वेबसाइट पर madhepuratimes.com को भी अपने क्लाइंट में दिखाया गया है इस पर भी मधेपुरा टाइम्स को प्रकाश डालना चाहिए।

    अब व्ही कोशी आईटी वेंचर के पास मौका है जाकर किसी तरह डोमेन वापस लें और विश्विद्यालय या स्थानीय nic को सौंप दें नहीं तो उनका सरकार में ब्लैकलिस्ट होना तय है.

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  6. Hi,

    Sandeep ji this is a fact that domain is not managed under Webx99.com there are many other reasons might be auction sell, escrow sell, domain transfer even after expiry, or redemption period displays the last registration date.

    Gaurav ji humse kaafi pahle se nic ne aur uske baad kisi aur ne bnmu.in pe sewa de rakhi thi aur hame bnmu.in ko hi register kar suru karne ka offer mila tha boss .nic.in aaj bhi chala rahi hai ek website http://bnmu.bih.nic.in/.

    Gaurav ji ne kafi nai baat jaankari aur salah di hai we thank him for this.

    Haan apna experience kam raha hoga par kabhi dikkat nahi hui 11-13 me khair ab to nai site hai naya umang www.bnmuniversity.com jara dekhen aur apni pratikria den.

    :)

    Nic ke server pe omg.

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