यहाँ बिकती है दुल्हन, यूपी से आता है दूल्हा

 |दिलीप राज, मधेपुरा टाइम्स, पूर्णिया|01 अक्टूबर 2013| 
पूर्णिया सीमांचल का वह  इलाका है जहाँ बाढ़ और सुखाड़ का चोली दामन का साथ है. गरीबी का यह आलम है की ठीक से दो जून की रोटी भी नसीब नहीं हो पाती. लिहाजा  इस इलाके के लोग दिल्ली-मुम्बई में अपनी जीविका के की तलाश में भटकते रहते है. स्थितियों से पनपी गरीबी के कारण इस इलाके के लोग बेटी होने पर अपने भाग्य को कोसते है ऐसे में दूसरे प्रान्तों  से आया  दुल्हा इनके लिए भगवान जैसा है. और हो भी क्यूँ नहीं ! इनकी बेटियों को इस अर्थवादी युग में  शादी के लिए अच्छा दूल्हा जो नहीं मिल पाता और यूपी वाले दूल्हा रुपया लेने के बजायरुपये देकर दुल्हन ले जाने को तैयार रहते हैं भले ही उसका परिणाम गलत ही क्यूँ न हो !   
पूर्णिया  मुरलीचक  जहाँ महानंद नामक  व्यक्ति अपनी छोटी सी मरैया में चार बेटियों  और पत्नी के साथ रहता है. महानंद  दो जून की रोटी के लिए हर दिन मजदूरों के बाज़ार में बिकता है जहाँ उसकी बोली लगाई जाती है और वह दिन भर मजदूरी करके अपने परिवार  के लिए रोटी की जुगाड़ कर पाता है. जिस दिन इस मजदूर की बोली नहीं लगती उस दिन इसके घर के चूल्हे की आग नहीं  जलती. फिर भी किसी तरह इसने पेटकाट कर बड़ी बेटी  की शादी पास के ही गाँव में करवा दी थी. महानंद की दूसरी बेटी भी शादी के लिए तैयार थी और इसके लिए दूसरी बेटी को तत्काल ब्याहना मुश्किल हो रहा था. इसी बीच दलाल के माध्यम से यूपी वाले दुल्हे के विषय में पता चला. इसने शादी के लिए हामी भर दी. 15000 रूपये में मामला तय हुआ और शादी एक दिन में ही संपन्न हो गयी. पर इस बात की  भनक लोगों को लग गयी और किसी ने महिला हेल्प लाइन को इस मामले की सूचना दे दी.
महिला हेल्प लाइन के निदेशक डॉ रमण कुमार ने मामले की जाँच करते हुए प्रशासन को सूचना दी और उस सूचना के आधार  पर बाकी लोगों की छानबीन की जा रही है.   
       महानंद पासवान लड़की का पिता  मजदूर जरुर है, पर बेटी का सौदागर नहीं, इसे कहाँ पता था कि जिस बेटी को दुल्हन बना कर वह विदा करनेवाला था वो लौट कर कभी वापस नहीं आने वाली थी. वो तो मज़बूरी में दलाल के चक्कर में आकर महानंद  ने बेटी की जीवन की बेहतरी के लिए फैसला लिया था. महानंद  का कहना था कि इस दानवी समाज में बिना दहेज़ के बेटी का व्याह करना कितना मुश्किल होता है यह तो एक गरीब बेटी का बाप ही बता सकता है. वो तो  पूरी कहानी का पर्दाफाश उस वक़्त  हो गया जब महानंद ने यूपी वाले दुल्हे की सच्चाई  जानी. उसके बाद तो महानंद को काटो तो खून नहीं.  
 लड़की गुंजन के दिल में हर लड़की की  तरह  अरमान था कि लाल जोड़े पहने उसके हाथों में भी मेहंदी रचे, मगर शादी आनन-फानन में किए जाने के कारण ऐसा कुछ भी नहीं हुआ.  इसे तो यह भी पता नहीं है कि लड़का कहाँ  से आया है और लड़के का नाम क्या है. मगर अब गुंजन शादी हो जाने के बाद भी उसी लड़के के साथ रहना चाहती है बावजूद इसके कि वो लड़का जिसके साथ ब्याह हुआ है, धोखेबाज है. 
लड़का उत्तर प्रदेश अलीपुर बदमिया का रहनेवाला है. इसकी शादी अपने इलाके में नहीं हो रही थी इसलिए दलाल के माध्यम से पूर्णिया पहुँच गया और 15000 रुपये खर्च करके ब्याह कर लिया. लड़का  तुलाराम का कहना है कि मैं इसके साथ कोई गलत व्यवहार नहीं करूँगा, अगर मुझे मौका दें. 
 बिकी हुयी दुल्हन लौट कर नहीं आती वापस: राम प्रसाद पासवान ने बताया कि  इस इलाके में इस तरह की घटनाएं पहले भी हुई है जो अब  तक वापस लौटकर नहीं आई है. इसलिए इस पर विश्वास करना खतरे से खाली  नहीं है.
 इस इलाके की बिडम्बना तो देखिये सरकार करोड़ों रुपये खर्च कर रही है. योजनाओ के पीछे एक योजना कन्या विवाह योजना भी है मगर उसका लाभ इन मजदूरों की बेटियों को नहीं मिल पा  रहा है. इसलिए मजबूर पिता  दलालों के चुंगुल में आ जाते है. ऐसी ही घटना चम्पानगर के  योगेन्द्र की बेटी लीलावती के साथ हुई थी. ससुराल यूपी विदाई तो हुयी पर जब वहाँ लीलावती  को कोठे पर बेच दिया गया. वह किसी तरह वहाँ से भाग कर वापस आई थी जो अब किसी तरह जीवन बिता रही है. खुसकी बाग की संगीता यूपी से अब तक लौट कर नहीं आई और गरबनैली की ख़ुशी एवं  ममता का कहीं कोई पता नहीं चल पाया हैबात साफ़ है, जब तक योजनाओ के प्रति  सरकार का रवैया इस तरह का रहेगा तब तक इस इलाके में दुल्हन बिकती रहेगी.   
यहाँ बिकती है दुल्हन, यूपी से आता है दूल्हा यहाँ बिकती है दुल्हन, यूपी से आता है दूल्हा Reviewed by मधेपुरा टाइम्स on October 01, 2013 Rating: 5

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