सीडीपीओ मतलब ‘करप्शन डेवलपमेंट प्रोजेक्ट ऑफिसर’ (भाग-1)

|वि० सं०|23 अगस्त 2013|
जिलाधिकारी के गत जनता दरबार में हाल के आंगनबाड़ी सेविका-सहायिका के चयन में धांधली की बात कई पीडितों ने बताई. जाहिर सी बात है, पूर्व से ही तय था कि चयन प्रक्रिया में पैसे का नंगा नाच चलेगा. दरें तय थी और ये विश्वास करना कहीं से शोभा नहीं देता है कि जिले में बैठे आलाधिकारी इस लूट-कथा से अनजान रहे.
      जिले भर की अधिकाँश सीडीपीओ ने इस बार करोड़ों का मुंह देख लिया जो पहले एक साथ देखना मुमकिन नहीं हो पाया था. ये अलग बात है कि उसमें कुछ हिस्सा जिला भी पहुँचाना पड़ा. अब ऊपर वालों ने अपने से ऊपर वाले के लिए क्या रखा ये तो तफ्शीश का विषय है.
      मेधा सूची में पूरे जिले में धांधली हुई है. योग्य को अयोग्य करार देना और अयोग्य को योग्य करप्शन डेवलपमेंट प्रोजेक्ट ऑफिसर के लिए बाएं हाथ का खेल है. फर्जी मार्कशीट लाकर सीडीपीओ साहिबा को दे दीजिए, आईसीडीएस में बड़ा बाबू या कोई अन्य चहेता दलाल आपका काम ऊपर के अधिकारी की सहमति से निर्धारित दर पर कराने को मिल जायगा. अब मधेपुरा जिले में सीडीपीओ एक और बात की गारंटी देने लगी है कि वो दूसरी उम्मीदवार के फर्जी कागजात को गुप्त रखेगी, चाहे आप आरटीआई ही क्यों न लगा दें. कहावत है, चोर के लिए ताला क्या, बेईमान के लिए केवला क्या और फ्रॉड के लिए नियम आरटीआई वाला क्या ?
      यहाँ सीडीपीओ और आईसीडीएस के अधिकारी के दोनों हाथ में लड्डू है. यदि आपत्ति करने वाला उम्मीदवार मजबूत हुआ तो सीडीपीओ द्वारा किया गया चयन रद्द हो जाएगा. जिले में यदि 300 उम्मीदवारों से पैसे लिए गए तो इनमें कुछ ऐसे भी हैं जो चयन की योग्यता तो रखते हैं पर ये सोचकर दे देते हैं कि इन अधिकारियों के हाथ में बहुत पॉवर है ये किसी भी तरह की लसकी लगा देते हैं. ऐसे उम्मीदवार सीडीपीओ के नाक के बाल होते हैं. लड़ने वाले मजबूत उम्मीदवार की सख्यां कम ही होती है. फर्जी प्रमाणपत्र वालों का चयन रद्द होने के बाद भी उन्हें यह कहकर समझा दिया जाता है कि हमने तो प्रयास किया, चलिए न, फिर वेकेंसी निकलने वाली है उसमें कोई उपाय लगाया जाएगा. यदि न समझे तो दो-चार में वापस कर दो, फिर भी अधिकाँश में तो आपकी पौ-बारह है ही.
      यह बात सूबे का बच्चा-बच्चा जानता है कि आंगनबाड़ी केन्द्र यानि लूट-खसोट का केन्द्र. मधेपुरा में भी प्रति केन्द्र घूस की दर तय है और सीडीपीओ साहिबा अपने दलाल से वसूल करवा कर लगाव के हिसाब से कुछ राशि अपने कार्यालय में बाँट देती है और कुछ जिला भेजती है और बाक़ी खुद हजम कर जाती है.
      यदि कोई अधिकारी इन बातों पर विश्वास न करने का ड्रामा करते हों तो वे अधिकाँश सीडीपीओ की नौकरी के दौरान अर्जित की हुई चल और अचल संपत्ति की जांच करवा कर लोगों के सामने रखें. जाँच से यह बिलकुल स्पष्ट हो जायेगा कि सुशासन में गरीब के बच्चों के निवाले से सीडीपीओ और उनके बच्चों के शौक-मौज पूरे हो रहे हैं.
(क्रमश:)
सीडीपीओ मतलब ‘करप्शन डेवलपमेंट प्रोजेक्ट ऑफिसर’ (भाग-1) सीडीपीओ  मतलब ‘करप्शन डेवलपमेंट प्रोजेक्ट ऑफिसर’ (भाग-1) Reviewed by मधेपुरा टाइम्स on August 23, 2013 Rating: 5

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