|वि० सं०|22 मार्च 2013|
जिले में पत्रकारिता का स्तर दिनोंदिन गिरता जा रहा
है. यहाँ कुछ लोगों के लिए पत्रकारिता वर्षों से समाचार संकलन कम पैसा उगाही अधिक
बना हुआ है. ताजा स्थिति और भी भयावह है. जिले भर में ऐसे मोटरसायकिलों की भरमार
दिखती है जिसपर ‘प्रेस’ लिखा हुआ है जिसे देखने से ‘लफुए’ किस्म के युवक अनियंत्रित गति
से हांक रहे होते हैं.
सिंघेश्वर
मेला हो या मैट्रिक परीक्षा, फर्जी पत्रकारों ने कैमरे की आड़ में खूब लाभ उठाया. परीक्षा
में कैमरा हाथ में लेकर चींट तक पहुंचाते ये ‘पत्रकार’ पुलिस तक की आँखों में भी धूल झोंकते चले गए. अभी भी अपने
को किसी खास अखबार से जुड़ा बताकर ये उगाही तक कर डालते हैं. हालांकि कुछ जानकार
लोगों का मानना है कि इनमें से अधिकाँश किसी पुराने पत्रकार से जुड़े हुए हैं
जिन्होंने इन युवकों को पत्रकारिता-सह-दलाली में उतारा है ताकि उनका पॉकेट खर्च भी
बिना बदनाम हुए आता रहे. प्रखंड स्तर पर ऐसे युवकों की संख्यां कुछ ज्यादा ही है.
जिले के मीडिया: जिले के सूचना एवं
जनसंपर्क विभाग में जो पत्रकारों की सूची है वो जिले भर में महज दो दर्जन के करीब
है.
जिले के सभी मीडिया की यदि बात
करें तो यहाँ प्रिंट में दैनिक हिन्दुस्तान, दैनिक जागरण, प्रभात खबर और सन्मार्ग से
जुड़े कई दर्जन पत्रकार जिले में समाचार संकलन के काम में लगे हैं.
इलेक्ट्रॉनिक मीडिया में प्रमुख
रूप से सहारा समय, ईटीवी, कशिश, महुआ, इण्डिया न्यूज, आर्यन, मौर्या, न्यूज एक्सप्रेस
आदि क्षेत्रीय चैनल हैं जिनसे जुड़े करीब एक दर्जन पत्रकार ही जिले में काम कर रहे
हैं चूंकि क्षेत्रीय इलेक्ट्रॉनिक पर सिर्फ एक-दो बड़ी ख़बरें ही चलती है.
न्यू अथवा वेब मीडिया में एकलौता
मधेपुरा टाइम्स है जिनमें वर्तमान में जिले भर में लगभग एक दर्जन पत्रकार ही
समाचार संकलन का काम कर रहे हैं.
ऐसे में बड़ा सवाल यह भी उठता है कि आखिर जिले में लोगों और
प्रशासन की आँखों में धूल झोंकने वाले इन फर्जी पत्रकारों की पहचान कैसे की जाय. इस
मुद्दे पर जिला प्रशासन को गंभीरता से विचार करने की आवश्यकता है. पदाधिकारियों के
लिए तो एक आसान रास्ता यह भी हो सकता है कि वे जिला स्तर के संपादकों अथवा ब्यूरो
चीफ के संपर्क नंबर अपने साथ रखें ताकि किसी भी पत्रकार के अवैध धंधे अथवा
असामाजिक गतिविधियों में शामिल नजर आने पर उन्हें कॉल कर पुष्टि की जा सके. साथ ही
पुलिस प्रशासन को अवैध गतिविधियों में शामिल ऐसे फर्जी पत्रकारों के साथ सख्ती
बरतने की भी आवश्यकता है ताकि जिले में पत्रकारिता गर्त में जाने से बच सके.
कैमरे की आड़ में अवैध धंधा: मधेपुरा में कई फर्जी पत्रकार
Reviewed by मधेपुरा टाइम्स
on
March 22, 2013
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