डीएपी नहीं मिलने से गेहूं की बोआई में हो रही देरी किसानों में मचा हाहाकार


मुरलीगंज प्रखंड क्षेत्र के किसान डीएपी खाद नहीं मिलने से परेशान हो रहे हैं. बाजार के एवं ग्रामीण क्षेत्रों के किसी भी खाद बीज भंडार ने डीएपी उपलब्ध नहीं है । डीएपी की किल्लत से किसानों को भारी परेशानी हो रही है, सुबह से शाम तक किसान शहर और बाजार में खाद के लिए दर-दर ठोकर खा रहे है।  किसानों को एक भी बोरे डीएपी लेने के लिए कड़ी मशक्कत करनी पड़ती है. शहर में कई खाद बीज भंडार के दुकानदारों से किसानों को झड़प भी हो जाती है.

दिग्घी पंचायत के रोशन कुमार यादव का कहना है कि डीएपी खाद नहीं मिलने से गेहूं की बुआई का कार्य प्रभावित हो रहा है. कुछ दुकानों के आसपास बिचौलिए खड़े रहते हैं और जब किसान हताश और निराश होकर दुकान से लौट रहा होता है तो उसे कहते हैं चलिए हम डीएपी देते हैं, लेकिन 1500 रुपैया प्रति बोरे की दर से लगेगा। आरोप लगाया कि कुछ दुकानदार तो जब से अंगूठा और पाउश मशीन से वितरण के लिए जिला पदाधिकारी द्वारा दिशा निर्देश दिया गया और वहां कृषि सलाहकारों एवं कृषि के अन्य पदाधिकारियों की नियुक्ति की गई है तब से मानो देर रात किसानों को ब्लैक से ऊंची कीमत पर अन्य जगहों से पर रखें खास गोदामों से किसानों को बेची जाती है।

कई किसान डीएपी की किल्लत से परेशान बिस्कोमान भवन के सामने जानकारी देते हुए कहा कि डीएपी की किल्लत से हम लोग काफी परेशान हैं. धान की कटाई पहले ही हो गई, खेत की नमी कम होती जा रही है. डीएपी के लिए कई दुकान गए लेकिन खाद नहीं मिला समय पर बुआई नहीं हुई तो से पैदावार पर असर पड़ेगा।

वही किसान रंजन कुमार घर कोल्हायपट्टी ने बताया कि शहर के किसी भी दुकान में डीएपी नहीं है. इधर बुआई के लिए खेत तैयार है खाद के लिए कृषि विभाग द्वारा कोई ठोस कदम नहीं उठाया गया है वितरण सुनिश्चित करने के लिए खाद दुकानों पर ब्लैक मार्केटिंग को रोकने के लिए जिला पदाधिकारी द्वारा कदम उठाया गया वह सराहनीय है

मधेपुरा पूर्णिया जिले की सीमा पर मुरलीगंज बिस्कोमान भवन है, जहां पर बगल के जिले से ज्यादातर किसान पहुंचकर फर्जी किसान बनकर फर्जी तरीके से खाद का उपयोग करते हैं. जिसमें कई मजदूर हैं जो दैनिक मजदूरी कर गुजारा गुजारा करते हैं वह किसान नहीं है. 

फर्जी किसान बनकर प्रतिदिन करते हैं खाद का उठाव

पूर्णिया जिले के सीमावर्ती गांव के कुछ व्यक्ति इस तरह के धंधे में संलिप्त हैं जो पर फर्जी तरीके के बारे में बताया कि आधार कार्ड कार्ड पर फर्जी किसान बनकर करते खाद का उठाव और बेच देते हैं ₹100 के ऊंचे दामों में दुकानदारों के हाथ. प्रतिदिन 40 से 50 आधार कार्ड लेकर अपने आदमियों को खड़ा कर देते हैं और प्रतिदिन 40 से 50 बैग डीएपी अवैध तरीके से उठाकर बाजार में ऊंचे दामों पर बेचते हैं.

उन्होंने रोकथाम के उपाय के विषय में बताया कि जिन किसानों का किसान रजिस्ट्रेशन हुआ है उन्हें रियायत दर पर खाद उपलब्ध होना चाहिए और उसका डाटा भी उपलब्ध हो रहेगा, तब फर्जीवाड़े और खाद की किल्लत पर लगाम लग सकेगा।

खाद की किल्लत के विषय में प्रभारी प्रबंधक बिस्कोमान दीपक कुमार ने बताया कि पिछले दिनों उन्हें 2999 बोरी डीएपी खाद पूर्णिया रेक से प्राप्त हुआ था। जिसका वितरण पिछले दिनों ही समाप्त हो चुका है अब मेरे पास सेफ यूरिया एवं अन्य मिक्सचर खाद है, जिसका हम वितरण कर रहे हैं. 1 सप्ताह के भीतर मधेपुरा में डीएपी खाद की रैक लगेगी तब जाकर था की किल्लत दूर हो सकेगी.

फर्जी तरीके से किसान बनकर खाद उठाव करने के मामले में जब उनसे पूछा तो उन्होंने बताया कि कई कई बार हमने इस तरह के मामले सामने आए हैं. जब हम उन्हें रोकते हैं तो कहते हैं कि कब ले गए हैं क्या सबूत है तुम्हारे पास तुम्हें खाद देना होगा और हमें खाद डीएपी देना पड़ता है. हम लोग जिला कृषि पदाधिकारी के आदेशों का पालन करते हैं और इस तरह के मामले के रोकथाम के लिए वरीय पदाधिकारी नहीं कुछ रोक लगा सकते हैं.

मामले में जिला कृषि पदाधिकारी राजन बालन ने बताया कि बिस्कोमान में खाद्य वितरण के लिए रेगुलेटरी पदाधिकारी इफको के द्वारा प्रतिनियुक्त होते हैं. वैसे इस मामले को लेकर हम पदाधिकारी से बात कर इस समस्या के निदान की ओर अवश्य कार्रवाई करेंगे. जिससे फर्जी तरीके से किसान बनकर खाद का उपयोग करने वाले पर लगाम लगाया जा सके.


डीएपी नहीं मिलने से गेहूं की बोआई में हो रही देरी किसानों में मचा हाहाकार डीएपी नहीं मिलने से गेहूं की बोआई में हो रही देरी किसानों में मचा हाहाकार Reviewed by Rakesh Singh on December 17, 2021 Rating: 5

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