'जब मन का प्रदूषण समाप्त होगा तब बाहरी पर्यावरण स्वतः ही स्वच्छ हो जाएगा': श्रीमद्भागवत कथा

मधेपुरा जिले के मुरलीगंज में दिव्य ज्योति जागृति संस्थान द्वारा श्रीमद्भागवत कथा ज्ञान यज्ञ का भव्य आयोजन के सप्तम दिवस अन्तर्गत भगवान की दिव्य लीलाओं व उनके भीतर छिपे हुए गूढ़ आध्यात्मिक रहस्यों की कथा प्रस्तुत की गई. वहीं पर्यावरण असंतुलन की समस्या को उठाते हुए साध्वी सुश्री कालिंदी भारती ने कहा कि समाज मानव मन की अभिव्यक्ति है. जब-जब संतो के आदर्शों का परित्याग करते हुए मानव भोग वासना की ओर प्रवृत्त हुआ, तब तब समाज रूपी यमुना विषाक्त होती गई. जरूरत है मन को प्रदूषण से मुक्त करना, तब मन का प्रदूषण समाप्त होगा तब बाहरी पर्यावरण स्वतः ही स्वच्छ हो जाएगा. जितनी लालसायें बढ़ेगी उतना ही प्रकृति का दोहन होगा. यदि हमें एक स्वच्छ व सुंदर समाज का निर्माण करना है तो भारतीय सांस्कृति को पुनर्जीवित करना होगा. 


साध्वी ने इस गंभीर मुदे पर विचार देते हुए कहा कि आज का आधुनिक मानव जिस गति से पर्यावरण का दोहन कर रहा है उसके परिणाम स्वरूप आने वाले कुछ समय में पृथ्वी पर न तो पीने के लिए स्वच्छ जल बचेगा और न ही श्वांस लेने के लिए स्वच्छ वायु. इसलिए यदि समय रहते इस दिशा में पर्याप्त कदम नहीं उठाए गए तो मानव अपने भविष्य के लिए स्वयं जिम्मेवार होगा. वर्तमान समय में यदि कोई आपदा मानव जीवन को खत्म करने का प्रयत्न कर रही है तो वह हैं पर्यावरण में बढ़ रहा प्रदूषण. इसमें तेजी से हो रही बढ़ोतरी के कारण पृथ्वी का तापमान लगातार बढ़ता जा रहा है व समुद्र के पानी का स्तर ऊपर उठता जा रहा है. यदि यह ऐसे ही चलता रहा तो एक दिन पृथ्वी के अस्तित्व पर खतरा उत्पन्न हो जाएगा. इसी सोच के कारण मानव प्रकृति के प्रति अपने कर्त्तव्यों को भूलता जा रहा है. वह संवैधानिक व सामाजिक नियमों की धज्जियाँ उड़ा कर वातावरण में जहर घोलता जा रहा है. इनके द्वारा पैदा किए गए जहरीले एवं कच्चे माल की पूर्ति के लिए प्राकृतिक संसाधनों के दोहन ने इस समस्या को जन्म दे दिया है. इस क्रांति के साथ ही मानव की जिन्दगी का पूरी तरह से मशीनीकरण हो चुका है.\


इसके अलावे नदियों को कारखानो की गंदगी फेंकने के लिए कूड़ादान बना लिया है. ग्लोबल वार्मिंग बढ़ने के कारण सूर्य की भयानक किरणों से हमारा बचाव करने वाली ओजोन परत में भी छिद्र हो चुका है. जिस कारण आज मानव भयानक व नामुराद बीमारियों से ग्रसित है. यदि इस प्रदूषण को न रोका गया तो वर्ष 2054 तक हमारी सुरक्षा कवच ओजोन परत पूरी तरह से नष्ट हो जाएगी. 


आज की कथा में पर्यावरण जागरुकता को लेकर एक विशेष स्टाल लगाया गया. आए हुए भक्त श्रद्धालुओं को पौधे वितरित किए गए. उल्लेखनीय है कि दिव्य ज्योति जागृति संस्थान द्वारा प्रस्तुत कथा में प्रतिदिन सामाजिक बुराईयों व समस्याओं के प्रति विश्लेषणात्मिक विचार प्रस्तुत किए जा रहे हैं. उपस्थित प्रभु भक्त इसी रोचकता के चलते बड़ी संख्या में कथा श्रवण करने हेतु पधार रहे हैं.


भक्तगण श्रीमद्भागवत की कथा में भगवान श्रीकृष्ण की नटखट व भाव विभोर करने वाली लीलाओं की कथा प्रसंग व मधुर सकीर्तन के माध्यम से श्रवण कर भाव विभोर हो उठे.


'जब मन का प्रदूषण समाप्त होगा तब बाहरी पर्यावरण स्वतः ही स्वच्छ हो जाएगा': श्रीमद्भागवत कथा 'जब मन का प्रदूषण समाप्त होगा तब बाहरी पर्यावरण स्वतः ही स्वच्छ हो जाएगा': श्रीमद्भागवत कथा Reviewed by मधेपुरा टाइम्स on October 27, 2021 Rating: 5

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