मिली जानकारी के अनुसार कुपोषण को दूर करने के लिए आंगनबाड़ी केंद्रों पर बच्चों को पोषण युक्त और सेहतमंद बनाने के लिए सुधा दूध पाउडर उपलब्ध कराया जाता है. ताकि ग्रामीण क्षेत्र में कुपोषण की दर में कमी लाया जा सके. इसके तहत 03 से 06 माह के बच्चों को प्रति सप्ताह बुधवार के दिन 150 ग्राम दूध पिलाने का प्रावधान है लेकिन अधिकारी एवं कर्मियों की लापरवाही के कारण लगभग 300 पैकेट दूध कार्यालय में रखा रखा एक्सपायर हो गया. मामले का उजागर तब हुआ जब तत्कालीन प्रभारी सीडीपीओ विनीत कुमार सिन्हा ने कार्यालय का निरीक्षण किया.
निरीक्षण के दौरान उन्होंने पाया कि गोदाम के अंदर 12 बोरी में कुल 300 सुधा दूध पाउडर रखा हुआ है. जिसका बाजार मूल्य करीब 15 हजार रुपये बताया जा रहा है. उक्त दूध पाउडर के पैकेट पर जब निर्माण अवधि देखा गया तो पाया कि वह 22 जुलाई 2020 को निर्मित किया गया है. वहीं पैकेट पर साफ शब्दों में लिखा हुआ है कि निर्माण अवधि के 06 माह के अंदर ही इसका उपयोग किया जा सकता है.
बताया जा रहा है कि दिसम्बर 2020 में एक्सपायर होने के 09 माह बाद भी कार्यालय के गोदाम में जहर रूपी दूध पाउडर रखना बहुत बड़ा अपराध है. यदि जानकारी के अभाव में गलती से यह किसी आंगनबाड़ी केंद्र तक पहुंच जाता है और बच्चों के बीच इसे बांट दिया जाता है, तो बड़ी अनहोनी हो सकती थी.
वहीं मामले को लेकर प्रभारी सीडीपीओ सुलेखा कुमारी ने बताया कि मामला मेरे संज्ञान में नहीं है. संज्ञान में आया है तो छानबीन कर मामले की जानकारी ली जाएगी.
(नि. सं.)

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