मधेपुरा जिले के सीमावर्ती खासकर चौसा, आलमनगर, बिहारीगंज, शंकरपुर और
सिंहेश्वर थाना क्षेत्र शराब कारोबारी के लिए सेफ जोन माना जा रहा है, जहाँ सीमा पार से भारी मात्रा मे शराब की खेप आ
रही है.
इसका ताजा उदाहरण इन क्षेत्रों में भारी
मात्रा मे अक्सर शराब
और शराब कारोबारी का पकड़ा
जाना है ।
मालूम हो कि चौसा, आलमनगर आदि क्षेत्र में और झारखंड नजदीक
होने के कारण शराब माफिया भागलपुर के
रास्ते जिले मे प्रवेश करते हैं.
यह रास्ता शराब माफिया के लिए बेहद
सुरक्षित माना जाता है । यह इलाके का भूभाग दियारा और नदी का इलाका है.
शराब माफिया पंगडंडी
और नदी के जरिए शराब का खेप लाने में काफी सुरक्षित मानते हैं क्योंकि क्षेत्र में पगडंडी और नदी पर पुलिस
का पहरा नहीं
होने के कारण शराब माफिया इसका फायदा उठाते है ।
सूत्र यह भी बताते हैं कि शराब माफिया को दियरा क्षेत्र मे बाहुबली
का संरक्षण प्राप्त है.
इतना ही नहीं,
ऐसे बाहुबली के यहां शराब की
खेप रखते
हैं. वही से शराब दूसरे कारोबारी को सप्लाई
करते हैं.
इसी कारण छोटे कारोबारी तो पुलिस की गिरफ्त में आते रहे हैं, लेकिन बड़े कारोबारी
पुलिस पकड़ में नहीं आते
हैं । बिहारीगंज थाना क्षेत्र सीमापार
पूर्णिया जिले से जुड़ा है. वहां से शराब की खेप जिले मे
आने की सूचना है.
पूर्णिया से घमदाहा, बड़हाड़ा कोठी आदि
रास्ते से शराब की खेप आने की सूचना है।
बताते हैं कि मुरलीगंज, सिंहेश्वर और गमहरिया थाना क्षेत्र
मे सबसे अधिक शराब
नेपाल से आते हैं. नेपाल
से शराब लाने के लिए शराब माफिया मुख्य सड़क छोड़कर नहर और
पंगडंडी के जरिये शराब लाया जाता है । शराबी और शराब को पकड़ने के लिए
के जो चेक पोस्ट बनाया गया है, महज खानापूरी है.
प्रतिदिन जिस तरह शराब कारोबारी शराब के साथ धराते हैं, इससे स्पष्ट
होता है कि शराब माफिया को न पुलिस का खौफ है और न शराबबंदी के लिए बनाए कठोर
कानून का ।
सूत्रों का यह भी मानना है कि जिला पुलिस और उत्पाद विभाग के पास कोई ठोस गुप्तचर व्यवस्था नहीं है । इन्ही वजहों से शराब कारोबारी और शराबी के मंसूबे घटते नहीं दिख रहे हैं ।
जिले में कहाँ से आती है शराब और क्यों नहीं घट रहे शराब माफियाओं के मंसूबे?
Reviewed by मधेपुरा टाइम्स
on
December 02, 2017
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