मुख्यमंत्री विद्यालय सुरक्षा कार्यक्रम के अंतर्गत विद्यालय सुरक्षा पखवारा हेतु आपदा से निपटने के लिए आज प्रखंड संसाधन केंद्र चौसा में शिक्षकों के बीच प्रशिक्षण कार्यक्रम का आयोजन किया गया।
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जिसका उद्घाटन प्रखंड विकास पदाधिकारी मिथिलेश बिहारी वर्मा ने दीप प्रज्वलित कर किया। उन्होंने कहा कि आपदा से प्रभावित क्षेत्र मधेपुरा है। जागरूकता के अभाव में हमें हानि होती है। हर साल यहां काल के गाल में हम समा रहे हैं। बावजूद इसके हम जागरुक नहीं है। बाढ़ का स्थाई निदान है। तटबंध बनाकर इसे रोका जा सकता है। आपदा के लिए हम सभी लोग जिम्मेवार हैं। उन्होंने कहा कि बाढ़ से राज्य का अधिकांश हिस्सा प्रत्येक वर्ष प्रभावित होता रहता है और मानसून के समय बाढ़ संवेदनशीलता की दृष्टि से हम बाढ़ प्रवण क्षेत्र में आते हैं। चौसा का कुछ भाग सूखे के लिए जाना जाता है और या तो सूखे जैसी स्थिति प्रतिवर्ष बन जाती है। गर्मी के समय में अगलगी धीरे-धीरे भयानक रूप ले लेते जा रही है। सड़क, दुर्घटना, वज्रपात ,शीत लहर, लू एवं चक्रवर्ती तूफान से प्रतिवर्ष सैकडों मौतें हो रही हैं और हमें सर्वाधिक आर्थिक स्थिति का सामना करना पड़ रहा है। ऐसी नाजुक परिस्थितियों में सबसे ज्यादा प्रभावित बच्चे होते हैं क्योंकि उनमें आपदाओं के प्रभाव को सहन करने की क्षमता इतनी नहीं होती है जितनी हम बड़ों में होती है।
कहा कि पिछली कुछ विनाशकारी घटनाओं पर नजर डालने से पता चलता है कि असुरक्षित निर्माण किये जाने के कारण, जानकारियों के अभाव के कारण, पहले से तैयारी नहीं होने के कारण एवं आत्मरक्षा के तरीकों की जानकारी नहीं होने के कारण विद्यालय एवं घरों में बच्चों की ही मौतें ज्यादा हुई है। इसका प्रमुख कारण यह है कि बच्चे किसी भी योजना निर्माण का हिस्सा नहीं बनाए जाते हैं। चाहे वह घर की कोई योजना हो या विद्यालय तथा सामुदायिक स्तर की कोई योजना हो। उनके साथ हमेशा लापरवाही होती रही है। बच्चों से संपर्क का एक सशक्त माध्यम विद्यालय हैं। उन्होंने कहा कि शिक्षक मर्यादित पद है इसका सम्मान किया जाना चाहिए। शिक्षक अपने कर्तव्य एवं उत्तरदायित्व का निर्वहन बखूबी करें। शिक्षक मर्यादित आचरण करें। अपने कर्तव्य को समझने की जरूरत है।
मौके पर प्रशिक्षक सह प्रखंड साधन ओम प्रकाश प्रवे, राम प्रकाश रेणु ने कहा कि बिहार भौगोलिक रूप से बहू आपदा प्रबंध प्रदेश है। ऐसे में पढ़ाई के साथ साथ सुरक्षित वातावरण खासकर संरचनात्मक एवं गैर संरचनात्मक बिंदुओं को ध्यान में रखकर निर्माण करना जरूरी है। क्योंकि बच्चों के लिए विद्यालय एक स्थान है जहां वे सबसे ज्यादा समय व्यतीत करते हैं और शिक्षण करते हैं। आपदाओं के समय विद्यालय की अन्य गतिविधियों के साथ साथ शिक्षण कार्य पूर्णता अवरूद्ध हो जाता है। जिससे बच्चों का व्यक्तिगत मानसिक बौद्धिक एवं सामाजिक विकास बाधित हो जाता है। इसके प्रकोप से बच्चों में निराशा कुंठा एवं अभिघात से ग्रसित होने की संभावना काफी रहती है। इस मौके पर प्रशिक्षक संजय कुमार, मंजू कुमारी ने आपदा के बारे में सामान्य जानकारी,आपदा प्रबंधन से संबंधित सुरक्षा कार्यक्रम एवं उद्देश्य आपदाओं से बचाव के तरीके की विस्तृत जानकारी प्रशिक्षणार्थियों को दी। प्रशिक्षण में विभिन्न विद्यालय से आया 50 शिक्षक एवं शिक्षिकाओं ने भाग लिया।
विद्यालय सुरक्षा पखवारा: आपदा से निपटने के लिए प्रशिक्षण कार्यक्रम का आयोजन
Reviewed by मधेपुरा टाइम्स
on
June 22, 2017
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