कोसी में ‘फ्लाईएश’ ईंट का बढ़ता कारोबार: क्या निर्माण का भविष्य है ‘फ्लाईएश’ ईंट ?

पारंपरिक तरीके से मिट्टी को पका कर बनाये जा रहे ईंट की जगह पर ‘फ़्लाईएश ईंट’ का बढ़ता कारोबार इन दिनों कई लोगों के जेहन में अक्सर ये बात ला रही है कि क्या सचमुच फ़्लाईएश ईंट बेहतर है या इसकी बनावट और मजबूती पर कोई प्रश्नचिन्ह भी है?

    मधेपुरा जिला मुख्यालय से सटे गणेश स्थान में ‘शिव इंडस्ट्रीज’ फ़्लाईएश ईंट फैक्ट्री का उद्घाटन जब पिछले दिनों मधेपुरा के जिलाधिकारी मो० सोहैल ने कई गणमान्य लोगों की उपस्थिति में किया तो कई लोगों का या सोचकर चौंकना स्वाभाविक था कि आखिर ऐसी क्या बात है इस ईंट फैक्ट्री में कि डीएम, एसपी से लेकर शहर और कोसी के कई चर्चित चेहरे उद्घाटन समारोह में इकठ्ठा हुए हैं. क्या सचमुच यह फैक्ट्री कोसी में औद्योगिकीकरण के विकास में महत्वपूर्ण कड़ी है?
    हमने भी इस नए ईंट की गुणवता तथा अन्य मानदंडों को जानने का प्रयास किया और पहुंचे गणेश स्थान स्थित शिव इंडस्ट्रीज नामक फ़्लाईएश ब्रिक फैक्ट्री. विशाल फैक्ट्री में मशीनों का शोर जारी था और सैंकड़ों मजदूर मास्क लगाकर ईंट निर्माण में लगे हुए थे. मौके पर फैक्ट्री में  मौजूद मैनेजमेंट से जुड़े अधिकारियों को हमने साथ लिया और पूरी निर्माण प्रक्रिया को समझने का प्रयास किया.
    दरअसल ये ‘फ्लाई एश’ एक प्रकार का राख या चूर्ण है जो बिजली आदि के उत्पादन में निकला बाई-प्रोडक्ट होता है. इसमें लाल बालू और सीमेंट की निर्धारित मात्रा मिलाकर इसे पूरी तरह कम्प्यूटराइज्ड मशीन में ईंट का आकार दिया जाता है. मशीन में बनने और सुखाने के बाद इसकी मजबूती साधारण ईंट से कहीं अधिक हो जाती है.  चूंकि इस ईंट में पहले से ही सीमेंट की मात्रा मौजूद होती है इसलिए गृह या अन्य निर्माण कार्य के दौरान जुड़ाई में सीमेंट की बचत आसानी से की जा सकती है. चूंकि सभी ईंटों का आकार हूबहू एक होता है और अधिक मजबूत तथा चिकना होने के कारण इस ईंट का प्रयोग कर निर्माण के बाद प्लास्टर में भी भारी बचत की जा सकती है. घर के अन्दर से सिर्फ पुट्टी आदि का प्रयोग कर पेंट कराया जा सकता है तो बाहर से भी ब्रिक-डिज़ाइन स्वत: तैयार मिलता है और दीवारें के बाहर तथा भीतर से भी रूखड़ा होने की कोई आशंका नहीं रहती है. इसे खरीदने के समय भले ही ये पारंपरिक ईंटों से थोड़ा महंगा लग सकता है, पर जुड़ाई, प्लास्टर तथा लेबर कॉस्ट की बचत होने से सम्पूर्ण निर्माण में उल्लेखनीय बचत की जा सकती है और घर की मजबूती भी अधिक कही जाती है.
    इसके अलावे इसमें अन्य ईंट की तरह एक नंबर, दो नंबर और तीन नंबर नहीं होते हैं जिसके कारण आप विक्रेता के द्वारा मिलावट कर देने  के खतरे से भी बचे रहते हैं. अभी हाल में ही मेडिकल कॉलेज समेत कई जगहों पर जब निर्माण में खराब ईंट प्रयोग करने की बात सामने आई तो वैसी स्थिति में गुणवत्तापूर्ण का निर्माण कार्य के लिए फ़्लाईएश ईंट के प्रयोग का ही निर्णय लिया गया.
    वैसे भी पूर्व के ईंट भट्ठों/चिमनी से निकले धुंए के कारण वायु प्रदूषण और मिट्टी काटने से पर्यावरण को पहुँच रहे भारी नुकसान की वजह से आने वाले समय में सरकार द्वारा भी सिर्फ फ़्लाईएश ब्रिक्स फैक्ट्री को ही लायसेंस दिए जाने के नियम को लागू किया जा रहा है.
    हालांकि कोसी में भी निर्माण कार्य से जुड़े संस्थाओं और आम लोगों का भी रूझान फ़्लाईएश ईंट की तरफ बढ़ता देख यह सवाल उठाना लाजिमी है कि क्या निर्माण का भविष्य है ‘फ्लाईएश’ ईंट ?
कोसी में ‘फ्लाईएश’ ईंट का बढ़ता कारोबार: क्या निर्माण का भविष्य है ‘फ्लाईएश’ ईंट ? कोसी में ‘फ्लाईएश’ ईंट का बढ़ता कारोबार: क्या निर्माण का भविष्य है ‘फ्लाईएश’ ईंट ? Reviewed by मधेपुरा टाइम्स on February 23, 2017 Rating: 5
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