छोटे-छोटे जानवरों का शिकार कर पेट पाल रहे लोग: कौन करेगा इनका विकास?

एक तरफ हम मंगल ग्रह पर यान भेज रहे हैं और देश को कम्प्यूटरीकृत करने का दावा कर रहे हैं, दूसरी तरफ अभी भी समाज के कई ऐसे वर्ग हैं जिन्हें न तो विकास की समझ है और न ही वो पेट चलाने की चिंता से बाहर निकल पा रहे हैं. यही नहीं पेट चलाने के लिए वो ऐसे जानवरों तक को मार रहे हैं जिन्हें सभ्य समाज के लोग खाने की वस्तु मानते ही नहीं हैं.
          अभी भी आदिवासी समुदाय के कई लोग छोटे-छोटे जंगली जानवर का शिकार कर अपना व अपने बाल-बच्चों का पेट भर रहे हैं. खेतों और जंगलों में जाकर चूहे मारकर बच्चों के द्वारा कंधे पर ले जाती तस्वीर बहुत कुछ कहने के लिए काफी है. इनके लिए न तो डिजिटल इंडिया का कोई मतलब है और न ही सरकार की बहुत सी योजनाओं का इन्हें पता है. योजनायें इनके लिए भी बनती होगी, पर शायद इनके हिस्से की बड़ी राशि का कागजों पर ही हिसाब-किताब हो जाया करता है.
(रिपोर्ट: रानी देवी)
छोटे-छोटे जानवरों का शिकार कर पेट पाल रहे लोग: कौन करेगा इनका विकास? छोटे-छोटे जानवरों का शिकार कर पेट पाल रहे लोग: कौन करेगा इनका विकास? Reviewed by मधेपुरा टाइम्स on January 30, 2016 Rating: 5

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