माना जाता है कि हम 21वीं सदी के उस विज्ञान युग में हैं जहाँ हर कार्य को वैज्ञानिक दृष्टिकोण से देखा जाना चाहिए. पर धर्म और आस्था के मामले में विज्ञान को मानने वाले कम ही हैं. क्या आज भी मजहब की दीवार पर भारी है आस्था ? क्या जात क्या पात आस्था के आगे इसे मानने वाले हैं नत मस्तक. यदि ऐसा नहीं होता तो मधेपुरा की मुस्लिम महिला जुबेदा खातुन पिछले 12 साल से छठ नहीं कर रही होती.
जानकारी के अनुसार पिछले 12 वर्षो से लगातार पटोरी की वार्ड सदस्या जुबेदा खातुन लोक आस्था का महा पर्व छठ पूरी निष्ठा के साथ मना रही है. जात, पात और मजहब की कोई दीवार उसके छठ पर्व मनाने के आड़े नही आ रही है. इस बावत जुबेदा खातुन ने झिझकते हुऐ बताया कि मेरे पुत्र मो हनीफ को शादी के बाद पांच साल तक बच्चा नही होने के कारण घर में सभी काफी परेशान थे. डॉक्टरों को भी दिखाया लेकिन कोई फायदा नही हुआ. वार्ड 7 का वार्ड सदस्य होने के कारण काफी हिन्दू महिला से भी संम्पर्क रहने के कारण कुछ महिलाओं ने बताया कि आस्था के साथ छठ मैया का पर्व करने से छठ मैया सबकी मुराद पूरी करती है. उन महिलाओं की सलाह पर लगभग 2002 मे छठ का पर्व शुरु किया. फिर एक साल के अंदर मेरी बहु को एक पुत्री फरजाना खातुन का जन्म हुआ. उसके बाद भी एक लड़का मो तबरेज और लडकी चाँद बेगम का जन्म हुआ. तब से हमलोग हर साल पूरी निष्ठा से लोक आस्था का पर्व छठ मनाते आ रहे हैं. इस पर पटोरी की मुखिया बबली देवी ने बताया कि छठ मे पहली बार इसकी जानकारी मुझे हुई तो मुझे भी आश्चर्य हुआ था.
जो भी हो, या विज्ञान जो भी कहे, पर जुबेदा खातुन के छठ की बात पूरे इलाके में चर्चा का विषय बना हुआ है.
जानकारी के अनुसार पिछले 12 वर्षो से लगातार पटोरी की वार्ड सदस्या जुबेदा खातुन लोक आस्था का महा पर्व छठ पूरी निष्ठा के साथ मना रही है. जात, पात और मजहब की कोई दीवार उसके छठ पर्व मनाने के आड़े नही आ रही है. इस बावत जुबेदा खातुन ने झिझकते हुऐ बताया कि मेरे पुत्र मो हनीफ को शादी के बाद पांच साल तक बच्चा नही होने के कारण घर में सभी काफी परेशान थे. डॉक्टरों को भी दिखाया लेकिन कोई फायदा नही हुआ. वार्ड 7 का वार्ड सदस्य होने के कारण काफी हिन्दू महिला से भी संम्पर्क रहने के कारण कुछ महिलाओं ने बताया कि आस्था के साथ छठ मैया का पर्व करने से छठ मैया सबकी मुराद पूरी करती है. उन महिलाओं की सलाह पर लगभग 2002 मे छठ का पर्व शुरु किया. फिर एक साल के अंदर मेरी बहु को एक पुत्री फरजाना खातुन का जन्म हुआ. उसके बाद भी एक लड़का मो तबरेज और लडकी चाँद बेगम का जन्म हुआ. तब से हमलोग हर साल पूरी निष्ठा से लोक आस्था का पर्व छठ मनाते आ रहे हैं. इस पर पटोरी की मुखिया बबली देवी ने बताया कि छठ मे पहली बार इसकी जानकारी मुझे हुई तो मुझे भी आश्चर्य हुआ था.
जो भी हो, या विज्ञान जो भी कहे, पर जुबेदा खातुन के छठ की बात पूरे इलाके में चर्चा का विषय बना हुआ है.
मधेपुरा में 12 वर्षों से छठ कर रही मुस्लिम महिला: मजहब की दीवार पर भारी आस्था
Reviewed by मधेपुरा टाइम्स
on
November 15, 2015
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