रोज नए करवट लेती बिहार की राजनीति (भाग-2): लालू, पप्पू और राजद धर्मसंकट में !

लालू यादव के बीमार होने के बाद टीम का सही नेतृत्व कौन कर रहा है इस पर भी संशय बरक़रार है. रामकृपाल यादव के राजद से जाने के बाद लालू यादव और उनकी पार्टी कोई जोखिम उठाने के मूड में नहीं है. इधर अति महत्वकांक्षा पाले हुए आरजेडी सांसद पप्पू यादव अपनी लड़ाई और अपने विचारों के कारण किसी की परवाह नहीं करते दिख रहे हैं. पप्पू यादव द्वारा जनहित में चलाए गए जनआंदोलन को जहाँ एक वर्ग काफी सराहनीय बता रहे हैं वहीं कुछ वर्ग चुपचाप इस आंदोलन की खिलाफत भी कर रहे हैं, इस बात की शिकायत आरजेडी मुखिया तक है और वो पल-पल के घटनाक्रम पर पैनी नजर भी रख रहें हैं. पप्पू यादव के इस जन-आंदोलन से जनता के स्वास्थ्य पर क्या असर पड़ेगा ये तो आने वाला वक्त बताएगा, फ़िलहाल तो पार्टी इसे अपने स्वास्थ्य के लिए हानिकारक मान रही है. हालांकि पप्पू यादव इस समय काफी जोश में दिख रहे हैं जिस वजह से कभी-कभी लालू को भी नसीहत दे डालते हैं और खुद को दूसरों की जरुरत बताने से भी परहेज नहीं करते हैं. इधर आरजेडी ने अपनी साख हर वर्ग पर बचाये रखने के लिए पप्पू यादव के आंदोलन और उनके मुहीम से खुद को बिलकुल अलग कर लिया है लेकिन पार्टी के माथे पर परेशानी की बलें साफ़ दिखती है. बिहार में जहाँ आरजेडी के कमजोर हो चुके वजूद को पप्पू यादव ने भरसक दोबारा स्थापित करने की कोशिश की है तो वहीं वो इसे पूरी तरह अपने रंग में रंगने के जुगाड़ में भी लग गए जिसे आरजेडी के कई बड़े और पुराने नेता कभी स्वीकार नहीं करेंगे. हालांकि पप्पू यादव को इस बात का इल्म भी बखूबी होगा की उनकी पत्नी 'सांसद' रंजीत रंजन पिछले विधानसभा चुनाव में मधेपुरा के बिहारीगंज क्षेत्र से कांग्रेस के टिकट पर बुरी तरह चुनाव हार चुकी है और इस वजह से वो लालू यादव और आरजेडी के शक्ति को भी जानते हैं. मतलब साफ़ है आरजेडी, जेडीयू, मांझी, पप्पू और महागठबंधन सभी धर्मसंकट में फंसे हुए हैं और सबकुछ सिस्टम से नहीं है. इसके विपरीत अगर सबका 'टारगेट' मतलब बीजेपी की बात करें तो परेशानी इस पार्टी  के साथ भी कम नहीं है. सबसे पहली परेशानी तो बिहार बीजेपी के नेतृत्व को लेकर है. अभी से हीं मुख्यमंत्री पद के लिए दावेदारी की होड़ मची है. उधर ऊपर के बहुत नेता हैं जो इस दौर में खुद को बनाये रखने के लिए अपना-अपना अलग खेमा बनाने लगे हैं. इस पार्टी की जो दूसरी परेशानी होगी वो होगी  आने वाले समय में टिकट बंटवारे को लेकर. बीजेपी के विजय रथ पर सवार होने के लिए बहुत लोग पुराने दल से बीजेपी में शामिल हो रहे हैं, जिस वजह से पार्टी के पुराने कार्यकर्ताओं और नेताओं में नाराजगी उभरने की संभावनाएं उत्पन्न होगी. एक तो विरोधियों का ध्रुवीकरण और दूसरा पार्टी कार्यकर्ताओं की नाराजगी, ऐसे में विधानसभा चुनाव में जीत बरक़रार रखना बीजेपी के लिए एक बड़ी चुनौती होगी, जबकि अभी-अभी उपचुनाव के रिजल्ट बीजेपी के लिए खतरे की घंटी बजा चुकी है.
      कुल मिलाकर देखा जाए तो बिहार में फ़िलहाल राजनीति रोज नए करवट ले रही है. अस्थिरता की स्थिति बरक़रार है और चुनाव आते-आते नए समीकरण बनने की संभावनाएँ दिख रही है मतलब आनेवाला 2015 का चुनाव कुछ खास होगा.
(ये लेखक के निजी विचार हैं.)
रोज नए करवट लेती बिहार की राजनीति (भाग-2): लालू, पप्पू और राजद धर्मसंकट में ! रोज नए करवट लेती बिहार की राजनीति (भाग-2): लालू, पप्पू और राजद धर्मसंकट में ! Reviewed by मधेपुरा टाइम्स on December 01, 2014 Rating: 5

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