जानकारों का मानना है कि एक चिकित्सक को चाहिए कि वे
मरीज के प्रति सहानुभूति रखते हुए उन्हें दिलासा के दो शब्द कहें. कहा जाता है कि
यदि मरीज को अपनी किसी बड़ी बीमारी का भय हो जाए तो उस डर से भी उसकी उम्र कम हो
जाती है. पर इस मामले में मधेपुरा के कई डॉक्टर काफी बेहतर हैं कि वे न सिर्फ
सस्ते में रोगियों का इलाज करने की कोशिश करते हैं बल्कि उनके साथ बातचीत में भी
काफी ‘फ्रेंडली’ रहते हैं ताकि उनकी पीड़ा को कम
किया जा सके.
मधेपुरा
जिले के सिंहेश्वर प्रखंड के डंडारी निवासी लखन प्रसाद यादव को जब पहली बार छाती
में दर्द होने के बाद हार्ट अटैक हुआ था तो पूरे परिवार के सामने लगा दुखों का
पहाड़ टूट पड़ा. सीमित आय की वजह से मधेपुरा तथा सहरसा के कई डॉक्टरों को उसने अपना
मर्ज दिखाया पर उन डॉक्टरों ने उन्हें या उनके परिजनों को न तो बीमारी ही ठीक से
समझाया और न ही राहत ही दिला सके. और तबतक दूसरा अटैक भी आ चुका. एक बड़े खतरे को
भांप कर परिजनों ने लखन को मधेपुरा के आनंद हॉस्पिटल में भर्ती कराया.
आनंद
अस्पताल के चिकित्सक डा० आर० के० पप्पू ने मरीज की जांच कर आवश्यक दवाइयाँ दी तो
मरीज को अक्सर हो रहे दर्द से छुटकारा मिल गया, पर परिजन बताते हैं कि बड़ी राहत
डॉक्टर साहब के समझाने से है. डा० आर० के० पप्पू कहते हैं कि हार्ट के पेशेंट के
इलाज में बहुत ही खास सावधानी बरतनी पड़ती है और किसी भी बीमारी में दवा के साथ दुआ
और अच्छा व्यवहार उसे तकलीफ से निजात दिलाने में सहायक होता है.
इसी तरह
वहां मौजूद गम्हरिया के टोका निवासी एक व्यक्ति ने बताया कि उनकी पत्नी कैंसर से
पीड़ित है. चिकित्सक ने परिजनों को सलाह दे रखी है कि वे मरीज को उनकी बीमारी के
बारे में न बताएं क्योंकि उनकी जिंदगी वैसे ही कम है, जानने पर डर और तनाव से और
भी कम हो जायेगी. परिजन इस बात से भी खुश हैं कि डॉक्टर ने अब उन्हें ज्यादा खर्च
करने से मना कर दिया है और ये भी सलाह दी है कि रोगी जिस तरह जीना चाहे और जो
खाना-पीना चाहे उन्हें मना नहीं किया जाय.
जाहिर
है, मरीज के साथ चिकित्सक का अच्छा व्यवहार और कम खर्च में दी गई सही सलाह से मरीज
का दर्द निश्चित रूप से कम हो जाता है.
कैंसर और हार्ट के रोगी भी पा रहे मधेपुरा में राहत: दवा के साथ सहानुभूति भी असरदार
Reviewed by मधेपुरा टाइम्स
on
September 29, 2014
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