मधेपुरा में रंगमंच को नई दिशा दे रहा नाट्य संस्था ‘इप्टा’

|वि० सं०|18 जून 2013|
मधेपुरा की भारतीय जन नाट्य संघ (इप्टा) की इकाई रंगमंच की विधा में बेहतरीन है. पूरे भारत में 50 से अधिक नाटकों की प्रस्तुति कर चुका इप्टा के कलाकारों के हरेक प्रदर्शन में कुछ खास और नई बात रहती है. वर्ष 2008 में पटना के कालिदास रंगालय जब मधेपुरा के इप्टा कलाकारों ने घो-घो रानी कितना पानी की प्रस्तुति की तो पूरे बिहार के दर्शकों ने इसे जमकर सराहा था.
      इस समय मधेपुरा इप्टा के कलाकार एक विशिष्ट प्रशिक्षण पा रहे हैं जिससे उनकी कला और भी निखर रही है. नेशनल स्कूल ऑफ ड्रामा दिल्ली से मास्टर और थियेटर किये काजल मुंडू इन दिनों मधेपुरा में हिन् और इप्टा के कलकारों को ड्रामा के गुर सिखा रहे हैं. साथ ही इनकी तैयारी एक खास नाटक सूपना का सपना पर करा रहे हैं.
      काजल मुंडू कहते हैं कि अभिनय के क्षेत्र में कोई भी व्यक्ति आगे बढ़ सकता है. अभिनय के क्षेत्र में भी कम्पीटीशन है पर यदि मन में लगन को तो ये क्षेत्र काफी सुरक्षित हो सकता है. वे कहते हैं कि रंगमच को नई तकनीक से जोड़ने की आवश्यकता है ताकि ये और भी लोकप्रिय हो सके. मधेपुरा के कलाकारों की तारीफ करते काजल मुंडू कहते हैं कि यहाँ के कलाकारों में आगे बढ़ने की अद्भुत क्षमता है.
      इप्टा के जिला संयोजक सुभाष कुमार भी इन दिनों इप्टा की प्रगति से काफी उत्साहित हैं. वी कहते हैं कि इप्टा की सफलता मधेपुरा की जनता की सफलता है क्योंकि ये संस्था लोगों के द्वारा दिए जा रहे आर्थिक सहयोग से ही चल रही है. चल रहे एक महीने के वर्कशॉप के बारे में कहते हैं कि इसके बाद तैयार नाटक सूपना का सपना की प्रस्तुति मधेपुरा के अलावे पटना में भी की जायेगी और मधेपुरा के कलाकारों की यह प्रस्तुति नाटक जगत में मील का पत्थर साबित होगा.
मधेपुरा में रंगमंच को नई दिशा दे रहा नाट्य संस्था ‘इप्टा’ मधेपुरा में रंगमंच को नई दिशा दे रहा नाट्य संस्था ‘इप्टा’ Reviewed by मधेपुरा टाइम्स on June 19, 2013 Rating: 5

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