दूध की नदी बहती है मधेपुरा के पचरासी में

दूध पर नंगे पांव खड़े लोग
आरिफ आलम/१५ अप्रैल २०१२
चौसा प्रखंड मुख्यालय से ८ कि.मी. दक्षिण लौआलागान के पचरासी में तीन दिनों तक चलने वाले मेले का आज समापन हो जाएगा.प्रत्येक वर्ष सिरुआ पर्व के अवसर पर लगने वाले इस विशाल मेले में इस वर्ष अब तक लाखों लोग शिरकत कर चुके हैं.श्रद्धालुओं की उमड़ी भीड़ बाबा विशुराउत की समाधि पर इतना दूध चढ़ाया करते हैं कि पचरासी में इस अवसर पर मानो दूध की नदी बहती दिखती है.इस वर्ष भी श्रद्धालुओं द्वारा दुग्धाभिषेक करने से यहाँ दूध की नदी बह रह रही है.श्रद्धापूर्वक ग्रामीण इस बहते दूध को घर भी ले जाते हैं.मेले की सजावट भी इस वर्ष देखते ही बन रही है.
दूध जमा करते श्रद्धालु
  कहते हैं कि आस्था के प्रतीक बाबा विशुराउत की इस समाधि पर लोग जो भी मन्नत मांगते हैं पूरी हो जाती है.पचरासी का भव्य मेला अपनी तरह का बिहार में एकलौता है.जिले और प्रखंड से दूर इस जगह पर लाखों की भीड़ उमड़ना बाबा विशुराउत के प्रति लोगों की असीम श्रद्धा को दर्शाता है.इस मेले की एक विशेषता शहीद योगेन्द्र तूफ़ान की स्मृति में यहाँ होने वाला कुश्ती-दंगल है.पूरे भारत का पहला चरवाहा संघ भी पचरासी में ही है.सत्तासीन होने के बाद वर्ष १९९१ में तत्कालीन मुख्यमंत्री लालू प्रसाद यादव जब यहाँ पर्यटन मंत्री अशोक सिंह के साथ आये थे तो उन्होंने पचरासी को पर्यटन स्थल के रूप में विकसित करने का वादा किया था और कहते हैं कि यहीं के चरवाहा संघ को देखकर उनके मन में चरवाहा विद्यालय विकसित करने की योजना आई थी.पर इसे पर्यटन स्थल का दर्जा मिल न सका.वर्ष २००७ में जब वर्तमान मुख्यमंत्री नीतीश कुमार जब अन्य कई मंत्री के साथ यहाँ पहुंचे तो उन्होंने यहाँ के लाखों पशुपालक श्रद्धालुओं की श्रद्धा देखकर पचरासी को पर्यटन स्थल की सूची में दर्ज करवाकर इसके विकास की तरफ अपना ध्यान दिया.
     बाबा विशुराउत के प्रति पशुपालकों में इतनी आस्था है कि इस प्रसिद्द मेले में कई राज्यों के पशुपालक आकर यहाँ दूध चढ़ाते हैं. और इस दूध की मात्रा इतनी अधिक हो जाती है कि यहाँ बहने लगती है-दूध की नदी.
दूध की नदी बहती है मधेपुरा के पचरासी में दूध की नदी बहती है मधेपुरा के पचरासी में Reviewed by मधेपुरा टाइम्स on April 15, 2012 Rating: 5

1 comment:

  1. 12th ki commarce ki exam cancle kr di gai hai.... ye baat shi hai ya galat ? agar cancle hui hai ti kyo hui hai ?

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