नेता और सूअर

एक नेता को किसी ने सूअर कह दिया,
नेताजी ने तो हंस कर सह लिया.
लेकिन यह सुनकर एक सूअर भड़क उठा,
गुस्से के मारे उसका अंग-अंग फडक उठा,
बोला प्राणी अपनी पहचान कभी नही खो सकता,
नेता के बराबर वह बेईमान कभी नहीं हो सकता.
 
हमारी और इनकी कुंडली में गुण मेल नही खाते हैं,
हम गंदगी मिटाते हैं ये समाज में गंदगी फैलाते हैं.
धरा की रक्षा के लिए भगवान ने बाराह रूप धरा है,
और इन नेताओं ने मिलकर उसी का चीर हरा है.
अगर झूठ बोलूँ तो मुझे कानूनन अरेस्ट करवा लो,
उससे पहले इस नेता का डीएनए टेस्ट करवा लो.
यकीनन रिपोर्ट में भी यह लाचार प्राणी हार जाएगा,
भ्रष्टाचार करके ये शातिर-दिमाग बाजी मार जायेगा.
सच मानिए मेरी बात असत्य अपवाद नहीं हो सकती,
इतनी मक्कार किसी सूअर की औलाद नहीं हो सकती.

--अज्ञात (रचियता के सम्बन्ध में अगर किसी का कोई दावा हो तो अपना दावा madhepuratimes@gmail.com पर भेजें.हम उनका नाम इस कविता के साथ प्रकाशित करेंगे)
नेता और सूअर नेता और सूअर Reviewed by मधेपुरा टाइम्स on July 21, 2011 Rating: 5

2 comments:

  1. I really reject that kind of comparison that says, Netas and Pigs. The pigs will be hurt. Nevertheless to vent my views on it, I quote George Bernard Shaw - " I learned long ago, never to wrestle with a pig. You get dirty, and besides, the pig likes it."

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  2. last line is not true."meri baat asatya aur apwaad nahi ho sakti" .Har example ka koi na koi apwaad hota hi hai.Netaon ke baare me aapki kahi baate sach hai par yah bhi sach hai ki har rastra ke nirmata bhi bare bare neta hi hue hain .

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