बिहार सरकार के सुशासन का सच

आप यह जानकर कर हैरान होगें कि दि0 17/07/13 के रात्री में आलमनगर बाजार में दुर्घटना के कारण एक व्यक्ति के मौत होने के उपरांत आलमनगर थाना पर अकारण हमला कर सरकारी सम्पति को क्षति करने के साथ ही पत्थरबाजी कर थानाध्यक्ष एवं अन्य कर्मियों को जख्मी करने वालों के नेतृत्वकर्ता आलमनगर प्रखंड का जनता दल यूनाईडेट का प्रखंड अध्यक्ष राजेश्वर यादव था. दि0 27/07/13 को माननीय विधि एवं कानून मंत्री श्री नरेन्द्र नारायण यादव बिहार सरकार उपरोक्त घटना में दर्ज आलमनगर थाना कांड सं0 86/13 दि0 18/07/13 धारा 147/148/149/323/353/427/333/307/504 भा00वि0 में फरार एवं जेल गये सभी 22 अभियुक्तों एवं राजेश्वर यादव के घर पर जाकर मिले तथा उनके परिजनों से नही घबराने की बात बोले एवं मामले को रफा दफा करवा देने का भी आश्वासन उनके एवं उनके साथ चल रहे चम्मचों द्वारा खुले रुप से दी गयी. माननीय मंत्री जी के भाव ऐसे थे कि मानो वे सभी अभियुक्त किसी स्वतंत्रता की लडाई में शहीद हुए हैं. जब कि इसी थाना के स्कोर्ट करने वाली पुलिस को देखकर उनके मुंह से कोई सहानुभूति के शब्द नही निकले. क्या पुलिस कर्मियों के हित देखने के लिए माननीय मंत्री जी जिम्मेवार नही है ? क्या वोट देने वाली जनता एवं उसके तथाकथित रहनुमा राजेश्वर यादव के हितों की रक्षा करने के लिए माननीय मंत्री जी जिम्मेवार हैं ? क्या पुलिसकर्मियों के विरूद्ध असमाजिक तत्वों के द्वारा की गयी गैर कानूनी कार्यो को शह देने के प्रयास रुप में इस घटना को देखा जाना गलत तो नही होगा ? क्या सरकार में इतने उच्च पद पर बैठे राजनैतिक व्यक्ति का यह कार्य उसकी दिमागी दिवालियापन का प्रमाण नही माना जायेगा ? क्या उपरोक्त घटना एवं उसके बाद सरकार के एक वरिष्ठ मंत्री का व्यवहार राज्य के गिरती विधि व्यवस्था को खाई में ले जाने वाला क्यों नही माना जाये ?
सबसे बुरी स्थिति राज्य के पुलिस मुख्यालय में बैठे उच्चधिकारियों की है. वे अपने पद पर बने रहने एवं वर्तमान सरकार के छवि को साफ सुथरा बनाये रखने के लिए अपनी अधीनस्थों के कानूनी कार्यो में रक्षा करने की नैसर्गिक जिम्मेवारी को भी ताक पर रख दिये हैं. जब राज्य पुलिस के किसी कर्मी द्वारा सरकारी कार्य के निष्पादन में कोई भी गलती होती है तो उनके विरूद्ध आनन फानन में कठोरतम कारवाई कर दी जाती है. इसके कई उदाहरण विगत दिनों में देखने को आसानी से मिल जायेगें. क्या उसी गलती के लिए असमाजिक तत्वों के विरूद्ध कारवाई करने से रोकना पुलिस मुख्यालय का दोगले चरित्र का होना नहीं प्रमाणित करता है? क्या राज्य पुलिस के मुखिया श्री अभयानंद जी के ईमानदार छवि के दावे पर प्रश्न चिन्ह नही लगाता है ? क्या इसी सुशासन की बात जोर जोर कही जाती है ? आम शांति प्रिय जनता सभी बातों को देख एवं महसूस कर रही है. मौके पर जबाब देगी. जिन पुलिस कर्मियों के बदौलत प्रथम पांच वर्ष के कार्य काल में वर्तमान सरकार जंगल राज से सुशासन बिहार में लाने का दावा कर पूरे भारत वर्ष में माननीय मुख्य मंत्री जी अपना नाम कमाये उसका पुरस्कार इस रुप में पाकर बिहार पुलिस के कर्मी काफी नाराज एवं आक्रोश में है.
आशा करते हैं इस मैसेज को सम्पादित कर अन्य मीडिया के लोगों को भेजेगें. ताकि बिहार सरकार के इस मंत्री के कारनामों को अधिक से अधिक लोग जान सके.

धन्यवाद. सादर एवं सप्रेम.
आलमनगर, मधेपुरा, बिहार के आम शांति प्रिय लोग.
(ई-मेल से प्राप्त)
बिहार सरकार के सुशासन का सच बिहार सरकार के सुशासन का सच Reviewed by मधेपुरा टाइम्स on July 28, 2013 Rating: 5

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