|वि० सं०| 20 जून 2013|
गत गुरूवार को ‘वीकली प्रेस कॉन्फ्रेंस’ में आज मधेपुरा के जिला उत्पाद पदाधिकारी ने जो सरकार का
लक्ष्य मीडिया के सामने रखा वो चौंकाने वाले थे. जिले में उत्पाद विभाग को गत
वित्तीय वर्ष में 26 करोड़ 21 लाख रूपये का लक्ष्य सौंपा गया था जिसे लगभग प्राप्त
कर सरकार के खजाने में जिले से 26 करोड़ 04 लाख रूपये जमा किये गए.
वहीं इस
वित्तीय वर्ष में सरकार के निर्देशानुसार जिले में शराब बिक्री का लक्ष्य 35 करोड़ 54 लाख रूपये का रखा गया है, जो गत
वित्तीय वर्ष से अधिक है.
सूबे
में शराब की बढ़ती खपत सरकार के खजाने को भरने में काफी मदद पहुंचाती है. वही खजाना
जिससे राज्य में सड़क, बिजली आदि को विकसित करने के प्रयास किये जा रहे हैं और वही
खजाना जिससे राज्य में विभिन्न कल्याणकारी योजनाओं को चलाया जा रहा है और इन
कल्याणकारी योजनाओं में मचे लूट के हिस्सेदार अधिकारी से लेकर मंत्रालय तक के लोग
हैं.
बिहार
सरकार के उत्पाद विभाग के वेबसाइट
पर जाएँ तो आप पायेंगे कि सरकार की इस मामले में ‘नीति’ और ‘खपत’ का विवरण साईट पर ‘Under Construction’ ही रखा गया है जबकि इस
सम्बन्ध में आंकड़े निश्चित रूप से उनके पास उपलब्ध होंगे.
जाहिर
सी बात है, एक तरफ सरकार का लक्ष्य शराब की बिक्री बढ़ाना है और दूसरी तरफ ‘मद्य निषेध दिवस’ पर ‘डायलॉगबाजी’ भी करना है.
सुशासन: सरकार का लक्ष्य लोगों को और अधिक दारू पिलाने का
Reviewed by मधेपुरा टाइम्स
on
June 23, 2013
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