वहीं सेविकाओं ने नाम न छापने की शर्त पर बताया कि आईसीडीएस कर्मी जबरन 30 से 35 किलो चावल कम देता है. विरोध करने पर विभागीय कार्रवाई की धमकी दी जाती है. सेविकाओं का कहना है कि इसी चावल से बच्चों को एमडीएम खिलाना और सूखा राशन बांटना होता है. कई बार अधिकारियों से शिकायत की गई, लेकिन कोई कार्रवाई नहीं हुई.
सेविकाओं के अनुसार, 124 केंद्रों से 30-30 किलो चावल कम कर दिया जाए तो करीब 37 क्विंटल चावल गायब हो जाता है. आरोप है कि कर्मी इस चावल को बेच देता है. नियम के अनुसार, एफसीआई गोदाम से चावल सीधे आंगनबाड़ी केंद्रों तक पहुंचना चाहिए लेकिन शंकरपुर में ऐसा नहीं होता. सेविकाओं को खुद भाड़े की गाड़ी से चावल लाना पड़ता है. पड़ोसी जिले सुपौल में चावल सीधे केंद्रों तक पहुंचाया जाता है, लेकिन शंकरपुर में ऐसा नहीं किया जाता.
आईसीडीएस डीपीओ रश्मि कुमारी ने कहा कि मामला संज्ञान में आया है. कर्मी से जानकारी लेकर आगे की कार्रवाई होगी. एफसीआई गोदाम मैनेजर नगमा खातून ने बताया कि सीडीपीओ के निर्देश के अनुसार ही चावल का वितरण हुआ है. सीडीपीओ ने कहा कि यदि सेविकाएं लिखित शिकायत देंगी तो कार्रवाई की जाएगी.
प्रखंड प्रमुख, शंकरपुर स्मिता आनंद ने कहा कि यदि आईसीडीएस द्वारा कम अनाज दिया जा रहा है तो यह गलत है. सभी सेविकाओं को सही वजन और आंगनबाड़ी केंद्र तक अनाज पहुंचाने का नियम है. आईसीडीएस कार्यालय से स्पष्टीकरण मांगकर विभागीय अधिकारियों को आगे की कार्रवाई के लिए लिखा जाएगा.

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