2 करोड़ 30 लाख की लागत से बने इस भवन की तीसरी मंजिल की ढलाई के तुरंत बाद ही दर्जनों जगहों पर दरारें आ गईं. मुखिया बालकृष्ण यादव, पसंस रामसुंदर दास समेत कई ग्रामीणों ने इसकी शिकायत की. निरीक्षण के दौरान उन्होंने निर्माण कार्य में घटिया सामग्री के इस्तेमाल का आरोप लगाया. तीन मंजिला भवन की दीवारों में भी कई जगह दरारें पड़ गई हैं. शिक्षक भी इस घटिया निर्माण से नाराज हैं. बताया गया कि निर्माण में घटिया सीमेंट, कमजोर सरिया, दो नंबर ईंट और मिलावटी बालू का इस्तेमाल किया गया. इसका नतीजा यह हुआ कि निर्माण के दौरान ही छत में दरारें आ गईं.
मुखिया बालकृष्ण यादव ने पसंस की बैठक में भी इस अनियमितता की शिकायत की थी. पहले भी जब पहली मंजिल का निर्माण हो रहा था, तब ग्रामीणों ने विरोध किया था लेकिन संवेदक और विभागीय अधिकारियों की मिलीभगत से काम जारी रखा गया. ग्रामीणों का कहना है कि अधिकारियों की लापरवाही से यह भवन अनियमितता की भेंट चढ़ गया. 70% निर्माण पूरा हो चुका है, लेकिन अब तक योजना की प्राक्कलन राशि का बोर्ड तक नहीं लगाया गया.
ग्रामीणों और जनप्रतिनिधियों ने जिला पदाधिकारी से जांच कर कार्रवाई की मांग की है. प्रभारी प्रधानाध्यापक बिनोद कुमार ने बताया कि छत की ढलाई के तुरंत बाद दरारें आ गईं. इसकी शिकायत संवेदक और विभागीय जेई से की गई, लेकिन कोई ध्यान नहीं दिया गया. स्कूल के बंद होने के बाद मिस्त्री ने सीमेंट का घोल चढ़ा दिया, फिर भी दरारें बनी हुई हैं. शिक्षा विभाग के ईई तौफिक से संपर्क किया गया, लेकिन उन्होंने शिकायत सुनते ही फोन काट दिया.
वहीं अभिषेक कुमार, डीपीओ, सर्व शिक्षा अभियान, मधेपुरा ने कहा कि भवन निर्माण में अनियमितता की जानकारी मिली है. जांच कर कार्रवाई की जाएगी. उन्होंने कहा कि मेरे संज्ञान में मामला आया है. जांच के लिए अधिकारी को भेजा जाएगा, उसके बाद आगे की कार्रवाई की जाएगी.

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