तत्पश्चात अपराह्न मौन व्रत के बाद तीन बजे से सेमिनार विषय "मास्टर यूनिट" (चक्रनेमी) पर प्रकाश डालते हुए वरिष्ट आचार्य ने कहा कि आनंद मार्ग में मास्टर यूनिट अर्थनैतिक दृष्टिकोण से स्वयं संपूर्ण होंगे जो सामाजिक आर्थिक दर्शन "प्रउत" के नौवें सिद्धांत का व्यवहारिक पक्ष है, जिसमें कहा गया है कि मौलिक की गारंटी सबको प्रदान करनी होगी. अर्थात भोजन, वस्त्र, आवास, चिकित्सा एवं शिक्षा की पूर्ति सबको करनी होगी. मास्टर यूनिट का ध्येय है "आत्मामोक्षार्थम जगत् हिताय च " इस महान आदर्श को व्यवहारिक धरातल पर प्रयोग करना होगा. मास्टर यूनिट के लिए कम से कम 5 एकड़ जमीन आवश्यक है. आज आनंद मार्ग द्वारा दुनिया के कोने में कोने में सैकड़ों मास्टर यूनिटों की स्थापना की जा चुकी है. सभी के सभी मास्टर यूनिट अपने सेवा के कार्यों को शिक्षा, संस्कृति, आर्थिक एवं आध्यात्मिक उन्नयन के क्षेत्र में चलाते हैं. मास्टर यूनिट को पृथ्वी के प्रत्येक देश के हर जिले में, हर प्रखंड में आरंभ करने की आवश्यकता आनंद मार्ग द्वारा महसूस की गई है.
वहीं प्रत्येक मास्टर यूनिट में जनकल्याणर्थ सभी पक्षों का समावेश किया गया है. जिसमें मुख्य रुप से शामिल हैं- स्कूल, छात्रावास, शिशु सदन, औषधालय, आभा सेवा सदन, कुटीर उद्योग, डेरी फार्म, वृक्षारोपण, आटा चक्की मशीन, बेकारी, बीज भंडार, सुलभ बीज वितरण केंद्र, रेशम कीट पालन, बायोगैस प्लांट, मक्खन उत्पादन, मधुमक्खी पालन, कृषि, कृषि प्रशिक्षण केंद्र, जैविक कम्पोष्ट खाद, खेल का मैदान, पार्क, रिटायरिंग होम, औषधीय पौधे, चिकित्सा केंद्र, ध्यान केन्द्र, सिंचाई की व्यवस्था, तालाब, सड़क, सोलर एनर्जी सेंटर, कृषि उद्योग, कृषि सहायक उद्योग, बागवानी, फूलों की खेती, वयस्क शिक्षा केंद्र, कृषि प्रशिक्षण केंद्र, अनुसंधान केंद्र इत्यादि ऐसे ही अनेक मास्टर यूनिट के कर्मधारा के अंग है जो उसे आत्म निर्भरता की ओर ले जानते हैं. इन्हीं कल्याण एवं त्राण मूलक योजनाओं को लेकर मास्टर यूनिटों की स्थापना की गई है. जिसका मुख्य उद्देश्य है- "सर्वजन हिताय सर्वजन सुखाय".
इस कार्यक्रम की जानकारी आचार्य प्रणवेशानंद अवधूत सेक्टोरल जनसंपर्क सचिव ने दी. इस कार्यक्रम को सफल बनाने हेतु, मुख्य रूप से आचार्य बज्रदत्तानंद अवधूत डी.टी.एस. मधेपुरा एवं डी.एस. पूर्णिया आचार्य सत्यरूप ब्रद्मचारी, डी.एल.एस. पूर्णिया अवधूतिका आनंद कल्याणमया आचार्या, बी.एस. बन्नी, आचार्य हरियुक्तानंद अवधूत, आचार्य चन्द्रेश्वररानंद अवधूत एवं सुमन जी भुक्ति प्रधान मधेपुरा, एवं प्रणय जी चन्दु, रमेश जी, राजीव जी, जयकुमार जी, पिन्टु जी, अमरेश जी मधेपुरा तथा जयप्रकाश जी भुक्ति प्रधान सुपौल, भुक्ती समिति के लोग तन्मयता से लगे हुए हैं.
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