इस अवसर पर कॉलेज के सेवानिवृत्त फाउंडर प्राचार्य डा. अशोक कुमार ने मेडिकल कॉलेज के भूमी पूजन से निर्माण तक के संघर्ष को याद किया. उन संघर्षो को याद करते हुए वे भावुक हो गये. उन्होंने कहा भुपेंद्र बाबु का यह ड्रीम प्रोजेक्ट था. उन्होंने मेडिकल कॉलेज के प्राचार्य भुपेंद्र प्रसाद की ओर इशारा करते हुए कहा कि मेरा भागिरथी प्रयास इस मेडिकल में लगा है. आप भी मधेपुरा की धरती से ही हैं. इसे निर्मल रखने की जिम्मेदारी आपके हाथ में है. साथ ही लार्ड बुद्धा के संघर्ष की भी चर्चा की. लार्ड बुद्धा के डा.पी.के. सिंह ने कहा कि यह श्रंगी ऋषि की पावन धरती है और राज्य का प्रसिद्ध शिवलिंग स्थापित है. यहीं मंडन मिश्र और शंकराचार्य से शास्त्रार्थ हुआ था. जब मंडन मिश्र हार गये तो उनकी पत्नी भारती मिश्र ने जो सवाल पूछा वह मेडिकल साइंस से जुड़ा हुआ है. चंद्रमा की बढी कला के साथ गर्भस्थ शिशु की दशा क्या होगी.
उन्होंने कहा कि यह धरती बड़े ही भोले भाले और सीधे इंसानो की है. मेडिकल कॉलेज के लिए मुख्यमंत्री और भारत सरकार को धन्यवाद भी दिया. उन्होंने कोविड 19 के मामले में विज्ञान को भी कठघरे में खड़ा करते हुए कहा कि विज्ञान भटक तो नहीं गया. कभी वाइरस का स्वरूप बदल जाता है तो कभी ऐंटीबाइटिक अपनी ताकत खो देता है. क्या शुरुआत में हम उससे दोस्ती कर लेते और हम इम्यूनिटी को बढ़ाते, उससे परहेज कर लेते, प्रिवेंशन की दिशा में जाते तो आज इस तरह अरबों खर्च करने के बाद भी हम असहाय नजर नहीं आते. क्यो ना हम प्रिवेंशन की तरफ और टीकाकरण की तरफ जाये.
आये हुए अतिथियों का स्वागत बुके से किया गया. सेमिनार में बिहार के सभी मेडिकल कॉलेज के चिकित्सक और प्रतिनिधि ने शिरकत किया. साइंटिफिक सेशन में मुख्य रूप से वैश्विक महामारी कोविड 19, ऐपेडमीक और लाईफ स्टाइल हेल्थ फॉर आल पर चर्चा की गई. सेमिनार का आयोजन पीएसएम विभाग के विभागाध्यक्ष डा. प्रो. मनोज कुमार ने बताया सेमिनार का प्रायोजक भारत सीरम, केयर इंडिया और सिगमा हेल्थ केयर है. सेमिनार का मंच संचालन डा. प्रिय दर्शनी ने किया.
मौके पर डा. कासिम, डा. शाहनवाज, डा. रत्नेश,डा. दिलशाद, डा. नैना, डा.पुनीता, डा. रवि रंजन, डा. विवेक, डा. बालमुकुंद, डा. बृजेश, डा. परितोष के साथ सैकड़ों चिकित्सक और छात्र मौजूद थे.
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