कचरों का टीला बनाने में वैसे लोग भी कोई कसर नहीं छोड़ते हैं जो अच्छे खासे पढ़े -लिखे हैं या मोटी रकम वाली नौकरी करते हैं. हम सब अपने घर को ही अपना घर समझते है. जबकि ये देश भी घर ही है जिसमें हम सब रहते हैं, तो कुछ जिम्मेदारी आपकी भी बनती है. अगर आप अपने घर की तरह खुद को अपने देश का सदस्य समझते हैं तो ये बातें हर जगह आप अप्लाई कर सकतें हैं. आप जहाँ भी जाए इंसान के नाते आपकी पहचान हो और सभ्य तरीके से अपने रहन-सहन का परिचय दें. जिससे पर्यावरण पर कचरे का गहराता संकट कम हो सके. इसे कम करने में आप और हम जैसे लोगों के द्वारा किया गया योगदान महत्व रखता है.
वहीं देखें तो कचरे के साथ होने वाली प्लास्टिक जो घूमते-फिरते पशुओं के लिए जानलेवा बन जाती है. चूंकि फेंका गया कचरा को चरती हुई गाय सब्जी आदि के छिलके के साथ उसमें मिला हुआ प्लास्टिक भी खा जाती है जो डाइजेस्ट नहीं होने के कारण पशु के लिए जानलेवा बन जाती है.
मालूम हो कि प्लास्टिक को गलने में वर्षों लग जातें हैं. सरकार द्वारा चलाए जा रहे स्वच्छता मिशन के पालन की कमी देखने को मिलती है. ये बात लोगों को समझना बहुत ही जरूरी है कि लोगों के पहल से ही वातावरण सुंदर बन सकता हैं. सरकार और अधिक सख्ती बरते ताकि ये भी जीवन शैली का जरूरी हिस्सा बन सके. लोग अपनी जिम्मदारियों को समझे, पर्यावरण बचेगा तभी मनुष्य का जीवन बचेगा. पर्यावरण को नष्ट करने वाले संकटों से बचाना होगा तभी हमारा भविष्य बेहतर होगा.
कौस्तुभा
अर्थशास्त्र
बी.एन.एम.यू , मधेपुरा.

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